जाँच में खुलासा हुआ है कि विकास दुबे के पास अथाह रुपए थे और उसने काफी संपत्ति अर्जित की थी। पिछले 1 साल में उसके 6 बैंक खातों से 75 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था। ये सारा लेनदेन उसके करीबी जय वाजपेयी के साथ हुए थे। साथ ही उसने 5 करोड़ रुपए आईपीएल में सट्टेबाजी में भी लगाए थे। एसटीएफ की जाँच में पता चला है कि जय वाजपेयी ही विकास के सारे सट्टेबाजी के कामों को देखता था।
जय वाजपेयी को ये काम दिया गया था कि वो विकास दुबे द्वारा दी गई रकम को सट्टेबाजी में लगाए। ऑनलाइन सट्टेबाजी के इस गिरोह में कई विदेशियों की भी संलिप्तता का पता चला है। बता दें कि विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जाँच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है, जिसे लखनऊ में दफ्तर भी दिया गया है। वहाँ तमाम सम्बंधित लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। वहीं ED ने भी रुपए की हेराफेरी मामले में जाँच शुरू की है।
ईडी द्वारा जय के ब्रह्मनगर में 6 मकान, आर्यनगर में 2 मकान और पनकी में 1 मकान की खरीद-फरोख्त का विवरण जुटाया जा रहा है। साथ ही इस मामले के सम्बन्ध में लोगों की सहूलियत के लिए एक ईमेल ([email protected]) और एक फोन नंबर (0522-2214540) जारी किया गया है, जहाँ कोई भी व्यक्ति इस केस के जुड़ी जानकारियाँ साझा कर सकता है।
The source said that #VikasDubey had gathered huge wealth in the form of properties in several states and that the agency has got information about 11 buildings and 16 flats of Dubey in several cities and several plots bought through ‘benami’ transactions.#VikasDubeyEncounter pic.twitter.com/bI67l3tKcu
— IANS Tweets (@ians_india) July 11, 2020
साथ ही इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत की भी जाँच की जा रही है और इस सम्बन्ध में भी पुलिस को सूचना दी जा सकती है। वहीं यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि ये तेलंगाना के साइबराबाद एनकाउंटर से बिलकुल अलग है। सरकार ने कहा कि इस दुर्घटना के बारे में पुलिस के पास तमाम साक्ष्य सामग्रियाँ मौजूद हैं। योगी सरकार ने कहा कि तेलंगाना के उलट यहाँ जाँच आयोग का भी गठन किया गया।
ये भी बताया गया है कि विकास दुबे ने अपनी छत पर 80 के आसपास अपराधियों को तैनात कर रखा था। इस दावे का भी खंडन किया गया कि उसने उज्जैन में आत्मसमर्पण किया था। उसे गिरफ्तार किया गया था। उसने 3 जुलाई की रात पुलिसकर्मियों का क़त्ल करने के बाद भागने के लिए 3 किलोमीटर की दौड़ लगाई थी। उसे पुलिस के आने की खबर पहले ही मिल चुकी थी, जिसके बाद उसने गुर्गों के साथ हिंसा की साजिश रची।