फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में ब्रह्मपुरी के रहने वाले विनोद कुमार की भी जान चली गई थी। मुस्लिम भीड़ ने उन्हें पीट-पीट कर मार डाला था। उस समय वो अपने बेटे नितिन उर्फ मोनू के साथ घर लौट रहे थे। आज इन दंगों के भले ही 2 साल बीत गए हों, लेकिन नितिन कुमार और उनके परिवार का दर्द अभी भी ताजा है।
ब्रह्मपुरी की ‘खजूर वाली गली’ सीलमपुर मेट्रो स्टेशन से यहीं कोई 5 किलोमीटर की दूसरी पर स्थित है। इसी गली में थोड़ा आगे जाने पर नितिन कुमार उर्फ मोनू का घर है। घर के ऊपर शुभ-लाभ लिखा हिन्दू प्रतीक चिह्नों वाला स्टीकर लगा है। देवी-देवताओं की तस्वीरें भी दरवाजे पर लगी हुई हैं। फूल की एक माला दरवाजे के ऊपर टँगी है। बिल्कुल उसी तरह का यह घर जैसा धर्म में आस्था रखने वाले, गौरव करने वाले सामान्य हिंदुओं का होता है।
मोहल्ले में विनोद कुमार का नाम लेते ही लोग भावुक हो जाते हैं और आह भरते हुए बताते हैं कि कैसे दंगे में उनकी जान चली गई थी। हालाँकि, ऑन कैमरा कोई इस बारे में कुछ बोलने को तैयार नहीं है, जिससे पता चलता है कि दो साल भी किस तरह लोग डरे हुए हैं यहाँ पूछने पर कोई भी बता देगा कि ‘DJ वाले’ विनोद कुमार का घर कौन सा है। परिवार का गुजर-बसर DJ सर्विस पर ही निर्भर है। अफसोस वो भी अब ठप्प पड़ा हुआ है।
नितिन कुमार का कहना है कि उनके परिवार में फ़िलहाल 5 लोग हैं और घर की आर्थिक स्थिति भी खराब है। उन्होंने कहा कि कोई नौकरी न होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उस घटना के बाद से माहौल बिगाड़ने वाली कोई बात नहीं हुई या धमकी वगैरह तो नहीं मिली, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। उन्होंने बताया कि उनके पिता की हत्या के बाद सरकार से बतौर मुआवजा 10 लाख रुपए मिले थे।
वो बताते हैं कि इसके अलावा उन्हें कहीं से कोई मुआवजा नहीं मिला। कोरोना के कारण घर की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है। मोनू इसका कारण बताते हैं कि कोरोना काल में शादी-विवाह ज्यादा हुए नहीं और DJ सर्विस का बिजनेस इस कारण ठप्प पड़ गया। मोनू कुमार के दो बेटे भी हैं। एक 6 साल का है और एक मात्र 1 साल का है। ऐसे में उन्हें बड़े बेटे की पढ़ाई की भी चिंता है। इनके अलावा उनकी माँ और पत्नी भी घर में हैं। कमाने वाले वो अकेले हैं।
वो बताते हैं कि उन्हें इस घटना के बाद से परेशान नहीं किया गया और 2 सालों में इलाके का माहौल भी काफी बदल गया है। बता दें कि इस हत्याकांड में 12 लोगों को आरोपित बनाया गया था। अप्रैल 2021 में इनमें से 7 को ये कहते हुए अदालत ने जमानत दे दी थी कि कोरोना के कारण ट्रायल में देरी हो रही है और इसीलिए इन्हें इतने लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सागीर अहमद, नावेद खान, जावेद खान, अरशद, गुलजार, मोहम्मद इमरान और चाँद बाबू नामक आरोपितों को अदालत ने जमानत दे दी थी।
इसके तीन महीने बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने साबिर अली, महताब और रईस अहमद नामक तीन अन्य आरोपितों को भी जमानत दे दी। ब्रह्मपुरी के गली नंबर-1 में ये घटना हुई थी। हाई कोर्ट का कहना है कि इसके कोई शुरुआती सबूत नहीं हैं कि आरोपित वहाँ पर हथियारों से लैस होकर मौजूद थे। इनमें से दो के वकीलों का कहना है कि उनके मुवक्किल भीड़ देख कर सिर्फ जानकारी लेने निकले थे। नितिन और उनके पिता के ऊपर पत्थरबाजी भी की गई थी। नितिन भी इस हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे।