कृषि कानूनों के विरोध के बहाने उपद्रव मचाने और प्रदर्शनकारियों को भड़काने के लिए सड़कों पर उतरे इच्छाधारी प्रदर्शनकारी और पाखंडी राजनीतिज्ञ योगेंद्र यादव ने शनिवार (9 जनवरी, 2021) को हरियाणा और राजस्थान के स्थानीय ग्रामीणों को मोदी सरकार के खिलाफ तथाकथित विरोध में शामिल होने के लिए उकसाने का प्रयास किया।
केंद्र सरकार का विरोध करने के लिए वर्तमान में किसान की भूमिका निभा रहे योगेंद्र यादव ने दक्षिण हरियाणा और पूर्वी राजस्थान के क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए भड़काने की कोशिश की है।
अब तो आजा ताऊ!
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 8, 2021
एक विशेष अपील मेरे अपने इलाके (दक्षिण हरियाणा, पूर्वी राजस्थान) के किसानों के नाम।#FarmersProtest
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अब तक विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए निर्दोष किसानों की खिल्ली उड़ाते हुए यादव ने ग्रामीणों को यह कहकर उकसाने का प्रयास किया कि अगर उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ दिल्ली की ओर जा रहे सड़क को ब्लॉक नहीं किया, किसान आंदोलन में शामिल नहीं हुए तो आने वाली पीढियाँ हमेशा उनके साथ कठोरता से पेश आएगी।
दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए योगेंद्र यादव ने एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि उनके पास हरियाणा और राजस्थान के ग्रामीणों के लिए एक चेतावनी, शिकायत और अपील है। अपने तथाकथित विरोध के घटते समर्थन पर चिंता व्यक्त करते हुए यादव ने झूठ बोलकर आंदोलन में भीड़ खींचने का प्रयास किया और कहा कि किसान सरकार के खिलाफ गुस्से में हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो अगले 20 सालों तक कोई भी उनकी शिकायतों को नहीं सुनेगा।
योगेंद्र यादव ने निर्दोष किसानों को उकसाने की कोशिश में दावा किया, “मेरे पास आपके खिलाफ शिकायत है। मैं स्थानीय क्षेत्रों के किसानों को विरोध प्रदर्शनों में शामिल नहीं होते हुए देख रहा हूँ। इतिहास याद रखेगा कि स्थानीय इलाकों (हरियाणा और राजस्थान) के किसान तब सो रहे थे जब देश के बाकी हिस्सों के किसान विरोध कर रहे थे।”
घुमा फिरा कर हरियाणा और राजस्थान के किसानों को धमकी देने वाले योगेंद्र यादव ने बेशर्मी से उन्हीं किसानों को फल, सब्जियाँ, दूध और छाछ आदि प्रदान करने के लिए कहा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही ‘इच्छाधारी प्रदर्शनकारी’ योगेंद्र यादव ने धमकी दी थी कि यदि तथाकथित ‘किसान प्रदर्शनकारियों’ की माँग पूरी नहीं की जाती है तो वे गणतंत्र दिवस को निशाना बनाएँगे। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने भी जनवरी 02, 2021 को यही घोषणा की थी।
योगेंद्र यादव ने कहा था, “अगर हमारी माँगें 26 जनवरी तक पूरी नहीं होती हैं, तो किसान दिल्ली में ‘किसान गणतंत्र परेड’ करेंगे। हम राष्ट्रीय राजधानी के निकटवर्ती क्षेत्रों के किसानों से अपील करते हैं कि वे तैयार रहें और देश के हर किसान परिवार से अनुरोध करें कि यदि संभव हो तो एक सदस्य को दिल्ली भेजें।”
बता दें किसान आंदोलन के दौरान योगेंद्र यादव लगातार सरकार को धमकी देते रहे हैं। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वह कब किसान नेता बन गए। सरकार का कहना है कि वह किसान नहीं है और उन्हें सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच वार्ता में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई।
उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन में भी सीएए विरोध प्रदर्शन वाली ही रणनीति अपनाई जा रही है। इससे पहले नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन स्थलों पर पहुँच कर योगेंद्र यादव ने ही दिसंबर 2019 में CAA विरोधी आन्दोलनों को भी भड़काया था। उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ मिल कर प्रदर्शन स्थलों का दौरा किया था। उमर खालिद ने ही शरजील इमाम से उनका परिचय कराया था। जामिया, DU और JNU के छात्रों को मोबिलाइज करने की चर्चा इन तीनों के बीच हुई थी।
तीनों की बैठक में ये रणनीति बनाई गई थी कि चक्का जाम के लिए मुस्लिमों को सोशल मीडिया के माध्यम से भड़काया जाएगा। इसी तरह ‘पिंजरा तोड़’ की गिरफ्तार एक्टिविस्ट्स नताशा नरवाल और देवांगना कलिता ने खुलासा किया था कि उन्हें योगेंद्र यादव की तरफ से दिशा-निर्देश दिए गए थे। दिल्ली दंगों की चार्जशीट में भी बताया गया है कि कैसे योगेंद्र यादव ने CAA विरोधी आन्दोलनों को हवा दी, जो बाद में हिंसा में बदल गया।