दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान को उनके पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि खान ने अपने सोशल मीडिया पेज पर भड़काऊ और देशद्रोही बयान दिया था। याचिका पर 11 मई को सुनवाई होगी।
जफरुल इस्लाम के खिलाफ देशद्रोह का मामला पहले ही दर्ज किया जा चुका है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखे एक पोस्ट में हिंदुओं को अरब का धौंस दिखाया था।
रिटायर बैंक अधिकारी सुभाष चंद्र द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 2 मई को, एक शिकायत के आधार पर, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच देशद्रोह और घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देने के आरोप में आईपीसी की धारा 124A और 153A के तहत FIR दर्ज किया था।
अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर किए गए याचिका में कहा गया है कि FIR दर्ज होने के बावजूद जफरुल इस्लाम खान ने 3 मई को कहा कि उन्होंने न तो अपना ट्वीट डिलीट किया है और न ही इसके लिए माफी माँगी है। वह अपनी बात पर अब भी कायम हैं। खान ने कहा था, “कुछ मीडिया हाउस ने इस तरह से रिपोर्ट किया कि मैंने अपने ट्वीट के लिए माफी माँगी और उसे डिलीट कर दिया है। मैंने अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं माँगी है और न ही उसे डिलीट किया है। मैंने ट्वीट के लिए नहीं बल्कि मेडिकल इमरजेंसी के समय ट्वीट करने के लिए खेद जताया था। वो ट्वीट अभी भी मेरे ट्विटर और फेसबुक अकाउंट पर उपलब्ध हैं।”
याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पष्ट है कि वे जान-बूझकर भड़काऊ और देशद्रोही बयान दे समाज में असंतोष और दरार पैदा करना चाहते हैं। याचिका में आगे दावा किया गया कि जफरुल इस्लाम, जो कि एक जिम्मेदार पद पर आसीन है, ने ऐसा घृणित बयान देकर देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल दिया है। इन्होंने भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल करने और दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश की है। जफरुल खान का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, अपमानजनक और देश विरोधी है।
याचिका में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल से कहा गया है कि वो जफरुल इस्लाम को उनके इस देशद्रोही और घृणित बयान के लिए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के पद से हटा दिया जाए।
इससे पहले, उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की गई थी जिसमें जफरुल खान के खिलाफ उनकी भड़काऊ टिप्पणी और हिंदू समुदाय के खिलाफ धमकी भरे बयान के लिए FIR दर्ज करने की माँग की गई थी। इस याचिका को भी 11 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। दिल्ली निवासी मनोरंजन कुमार की याचिका में दावा किया गया है कि आयोग के अध्यक्ष ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किए हैं जिसमें उन्होंने हिंदू समुदाय को ‘कट्टर हिंदू’ बताया है।
28 अप्रैल को जफरुल इस्लाम ने ट्वीट कर कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के दूसरे मजहब वालों ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के लोग एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे।
खान ने पोस्ट में शाह वलीहुल्ला देहलवी, अबू हस्सान नदवी, बहुदुद्दीन खान और ज़ाकिर नाइक को हीरो की तरह पेश किया था। बता दें कि मलेशिया में रह रहे इस्लामी प्रचारक ज़ाकिर नाइक को वापस लाने के लिए भारत सरकार प्रयत्न कर रही है और उसके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर आतंकियों को भड़काने तक के आरोप हैं।