Sunday, January 19, 2025

जस्टिस शेखर यादव पर CBI करे FIR: 13 सीनियर एडवोकेट ने CJI को लिखा पत्र, महाकुंभ में राम मंदिर पर आयोजित सेमिनार में नहीं जाएँगे

देश की बहुसंख्यक आबादी पर टिप्पणी करके चर्चा में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव ने प्रयागराज महाकुंभ में आयोजित राम मंदिर परिचर्चा से अपना नाम वापस ले लिया है। इसके पीछे उन्होंने कार्यदिवस का हवाला दिया है। कार्यक्रम के संयोजक शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि जस्टिस यादव ने वर्किंग डे होने की वजह से इस कार्यक्रम में भाग लेने में असमर्थता जताई है।

‘राष्ट्रीय संगोष्ठी: राम मंदिर और गोरक्षपीठ’ नाम से 22 जनवरी को कुंभ क्षेत्र में होने वाले इस कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि आमंत्रित हैं। इनमें निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज, RSS के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी, विहिप के संरक्षक बड़े दिनेश जी सिंह, विहिप काशी प्रांत के अध्यक्ष एवं पूर्व IPS केपी सिंह, भारत विकास परिषद के विक्रांत खंडेलवाल शामिल हैं।

बता दें कि 8 दिसंबर 2024 को विहिप के लीगल सेल के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने मुस्लिमों में कट्टरपंथ और रूढ़िवादिता को लेकर कुछ बातें कही थीं। उन्होंने ‘कठमुल्लों’ को देश के लिए घातक बताया था। उन्होंने देश में सामान्य नागरिक संहिता पर भी अपने विचार रखे थे। इसके बाद उनके पीछे पूरा लिबरल और वामपंथी गैंग पड़ गया है।

उनके बयान को लेकर अब 13 वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने शुक्रवार (17 जनवरी) को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर आग्रह किया कि जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को एफआईआर दर्ज कर जाँच करने का निर्देश दें। अधिवक्ताओं का कहना है कि जस्टिस शेखर यादव ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है।