Tuesday, March 25, 2025

सहमति से संबंध बनाने वाला ‘बलात्कारी’ नहीं होता: उड़ीसा हाई कोर्ट ने रेप मामले में आरोपित को दी राहत, कहा- ‘ब्रेक अप करना जुर्म नहीं’

उड़ीसा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि ब्रेकअप कोई जुर्म नहीं है। कोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर पुरुष के खिलाफ बलात्कार के आरोप को खारिज कर दिया। महिला ने दावा किया था कि पुरुष ने 9 साल तक शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।

उड़ीसा हाई कोर्ट के जस्टिस संजीब कुमार पाणिग्रही ने कहा कि अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से संबंध बने हों और शादी नहीं हुई, तो इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने साफ किया कि हर टूटा वादा या नाकाम रिश्ता अपराध नहीं बन जाता। जस्टिस ने कहा, “शादी न होने से दुख हो सकता है, लेकिन प्यार का टूटना जुर्म नहीं है।”

महिला ने 2021 में शिकायत की थी कि पुरुष ने मंदिर में उससे ‘शादी’ की और बाद में तय तारीख पर शादी का रजिस्ट्रेशन करने नहीं आया। इसके बाद उसने बलात्कार का केस दर्ज कराया। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सहमति से बने संबंधों को अपराध नहीं माना जा सकता। हाल ही में देश के कई हाई कोर्ट्स ने ऐसे मामलों में यही रुख अपनाया है, जहाँ सिर्फ शादी के झूठे वादे के आधार पर बलात्कार के आरोप खारिज किए गए हैं।