एक दशक तक 125 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या वाले देश ने एक ऐसे प्रधानमंत्री को बर्दाश्त किया जिसकी छत्रछाया में अनगिनत घोटाले होते गए लेकिन वह चुप रहा। अब समय आ गया है जब कैप्टेन अमरिंदर सिंह इतिहास से सीखें, दूसरा मनमोहन सिंह कहलाने से बचें और नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब मंत्रिमंडल से तत्काल बरख़ास्त करें। कैप्टेन अगर ऐसा करने में असमर्थ साबित होते हैं, तो उन्हें लेकर पूरे देश में गलत सन्देश जाएगा। अगर एक परिवार विशेष की चाटुकारिता राष्ट्रहित पर भारी पड़ती है तो जनता यही सोचेगी कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह जैसे भारी-भरकम व्यक्तित्व वाला नेता भी राजनीति की उसी धारा का हिस्सा है, जो सत्ता के लिए ‘कुछ भी’ कर सकता है।
कैप्टेन साहब, आप सेना में रहे हैं। सेना से इस्तीफ़े के बाद भी भारत-पाक युद्ध के दौरान आपसे चुप नहीं रहा गया और आप फिर से सेना से जुड़ गए थे। क्या आज 76 वर्ष का यह मुख्यमंत्री 24 वर्ष के उस कैप्टेन पर भारी पड़ रहा है? क्या भारत-पाक युद्ध को क़रीब से देखने वाला सेना का वह जवान आज एक बूढ़े मुख्यमंत्री के रूप में अपने उस गौरवपूर्ण इतिहास को भूल चुका है? भारत-पाकिस्तान युद्ध पर पूरी की पूरी पुस्तक लिखने वाला विद्वान यह तो जानता ही है कि आतंकवाद का देश होता है। उसे यह भी पता है कि उस देश का नाम क्या है? फिर नवजोत सिंह सिद्धू के बयान पर चुप्पी क्यों?
पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने हमारे 42 जवानों को हमसे छीन लिया। पड़ोसी देश में बैठे आतंक के निशाचरों ने हमें एक ऐसा घाव दिया है, जिस से उबरने में हमें काफी वक़्त लगेगा। हम इस घाव से भले उबर जाएँ, लेकिन देश के वो जवान हमारे स्मृति पटल में सदा के लिए बने रहेंगे। कैप्टेन साहब, क्या आपका रक्त नहीं खौलता? पाकिस्तान के करतूतों पर पुस्तक लिखने वाला वह अध्येता आज न जाने कहाँ गुम हो गया है। रह गया है तो बस एक राजनेता, जो अपने कैबिनेट में एक ऐसे व्यक्ति को बर्दाश्त कर रहा है जो बिना उनकी सलाह लिए बेख़बर पाकिस्तान जाता-आता है।
यह सब आपकी नाक के नीचे हो रहा है कैप्टेन साहब। यह हमें दर्द देता है। यह हर उस व्यक्ति को दर्द देने वाला है, जिसे लगता है कि पंजाब कॉन्ग्रेस में एक तो शेर बैठा हुआ है जो राष्ट्रहित को व्यक्ति-पूजा से ऊपर रखता है। कैप्टेन साहब, आप NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) के प्रोडक्ट हैं। आप जब पहली बार सेना में शामिल हुए थे तब से अब तक साढ़े पाँच दशक बीत चुके हैं। सेना से लेकर राजनीति तक, आपके अनुभवों की कोई कोई सीमा नहीं। फिर भी ऐसी चुप्पी? फिर भी ऐसा मौन? कारण क्या है कैप्टेन साहब? क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी ने सेना के उस बहादुर जवान को सुला दिया है?
बार-बार अपमान, आपका भी… देश का भी…
नवजोत सिंह सिद्धू जब पाकिस्तान से लौटे थे तब उनसे यह सवाल पूछा गया था कि क्या उन्होंने पाकिस्तान जाने से पहले मुख्यमंत्री की सहमति ली है? उस पर उन्होंने जो जवाब दिया था, उन्हें पंजाब कैबिनेट से बाहर फेंकने के लिए वही काफ़ी था। लेकिन आपने, कैप्टेन साहब, चुप रहना बेहतर समझा। आपने कोई कार्रवाई नहीं की। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उनके कैप्टेन सिर्फ़ और सिर्फ़ राहुल गाँधी हैं और उन्ही की सहमति से वह बार-बार दौड़ कर पाकिस्तान की गोद में जा बैठते हैं। यह अपमान कैसे सह लिया आपने कैप्टेन साहब? नवजोत सिंह चाटुकार हैं। किस मजबूरी में आपने एक चाटुकार को अपना और देश का अपमान करने का हक़ दे दिया?
Sidhu backs Pakistan pic.twitter.com/Jhr9LEGgjx
— w მ l ἶ ? (@LW3210) February 15, 2019
जब खालिस्तान की बात आती है, तब राष्ट्रहित में आप कनाडा की भी नहीं सुनते। यह आपका ही प्रभाव था कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो को भारत में यह महसूस कराया गया कि अगर कनाडा खालिस्तानी आतंकियों को समर्थन देने वाला कोई भी कार्य करता है तो उसे भारत की भारी नाराज़गी झेलनी पड़ेगी। आपने कनाडा के प्रधानमंत्री से मुलाक़ात में भी राष्ट्रहित को प्रथम रखा। जहाँ नेतागण किसी ख़ास वर्ग का वोट पाने के लिए उस वर्ग के कट्टरवाद का भी पुरजोर समर्थन करते हैं, आपका यह स्टैंड सराहनीय था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी आपके इस स्टैंड को तवज्जोह दी और कनाडा के पीएम से उनकी भारत यात्रा के दौरान ऐसा ही व्यवहार हुआ, जैसा आप चाहते थे।
आप तो राहुल गाँधी से नहीं डरते हैं न?
क्या नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्रिमंडल ने निकाल कर बाहर फेंकने में आपको राहुल गाँधी का डर सता रहा है? कनाडा जैसे विशाल देश को उसकी गलती का एहसास दिलाने वाला योग्य शासक आज अपने ही अंतर्गत कार्य कर रहे एक मंत्री को उसके कुकर्मों की सज़ा तक नहीं दे सकता? लेकिन, आप तो राहुल गाँधी से नहीं डरते हैं न? हमें याद है कि कैसे बीच चुनाव के दौरान राहुल गाँधी ने आपको पंजाब में कॉन्ग्रेस का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था। उस से पहले आपने कहा था कि राहुल गाँधी को ‘रियलिटी चेक‘ की ज़रूरत है। क्या वह सिर्फ एक व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए था?
कैप्टेन साहब, आपके मंत्री ने पाकिस्तान का बचाव किया है। जनभावनाओं के प्रतिकूल जाकर देश को नीचा दिखाने वाला कार्य किया है। अनजान बन कर मत बैठिए। सोनी चैनल आपसे ज़्यादा समझदार निकला। उसे इसी देश में अपना व्यापार चलाना है। उसने जनता की माँग को मानते हुए सिद्धू को अपने शो से निकाल बाहर किया। आज जब एक प्राइवेट कम्पनी मिशाल पेश कर रही है, आपको अपने आप से पूछना पड़ेगा कि क्या पाकिस्तान परस्तों को अपने कैबिनेट में रख कर शासन करना जायज है? डॉक्टर मनमोहन सिंह भी रेनकोट पहन कर नहाया करते थे। इतिहास में उन्हें कैसे और किसलिए याद रखा जाएगा, आपको बख़ूबी पता है।
After Sony TV, it is Congress’s turn to set an example. Retweet if you want @Capt_Amarinder to remove Navjot Singh Sidhu from his cabinet.
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) February 16, 2019
There are already demands of action against Sidhu within the Punjab Congress unit itself. Let’s unite against terrorists & their apologists.
राहुल गाँधी तक को घुड़की देकर कॉन्ग्रेस में बने रहने वाले शायद आप अकेले नेता हैं। लेकिन एक चाटुकार ने आपको मनमोहन बना दिया है। खालिस्तान और वामपंथियों के ख़िलाफ़ बोलनेवाला व्यक्तित्व आज निःसहाय नज़र आ रहा है। शेर मेमना बन चुका है। कैप्टेन ने हथियार डाल दिए हैं। विद्वान मूर्खता कर रहा है। मुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी के आलाकमान तक को झुका देने वाला व्यक्ति आज देश की पुकार सुनने में असमर्थ है। कॉन्ग्रेस का शायद एकमात्र नेता जिसने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कहा था कि उसे कोई सबूत की ज़रूरत नहीं है, आज सबूत होते हुए भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। सेना के बयान पर शब्दशः भरोसे का दावा करने वाला व्यक्ति आज शहीदों के बलिदान पर असंवेदनशील बयान देने वाले के सामने झुका पड़ा है।
समय बदल गया है। कैप्टेन की यह निष्क्रियता भी इतिहास में दर्ज होगी। इतिहास आपको दूसरा डॉक्टर मनमोहन सिंह के नाम से याद रखेगा। पटियाला के राजवंशी परंपरा का ध्वजवाहक आज पाकिस्तान का गुणगान करने वाले अपने ही एक जूनियर के सामने झुक गया। राजनीति ने शौर्य को चकमा दे दिया। अभी भी वक़्त है कैप्टेन साहब, जागिए और कान साफ़ कर जनता की आवाज सुनिए। वो आपसे कोई बलिदान नहीं माँग रही, वही माँग रही जो आप एक सेकेंड में कर सकते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को अपने कैबिनेट से बाहर फेंक कर पटियाला का प्रताप दिखाइए।