भाजपा ने इलाहबाद लोकसभा क्षेत्र से अपने सबसे बड़े ट्रम्प कार्ड्स में से एक प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी को उतारा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पर्यटन मंत्री के तौर पर काम कर रहीं जोशी उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक घराने से आती हैं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और चरण सिंह सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे हैं। उनकी माँ कमला बहुगुणा फूलपुर से सांसद थीं। उनके भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। ऐसे में, रीता बहुगुणा जोशी को राजनीति विरासत में मिली लेकिन उन्होंने अपने बलबूते कई मुकाम हासिल किए। हालाँकि, यूपी में जिस पार्टी को सँवारने के लिए उन्होंने ख़ासी मेहनत की, उन्हें वहाँ उचित सम्मान नहीं मिला और अंततः उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ दी।
रीता बहुगुणा जोशी एक समय उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस संगठन की सर्वेसर्वा मानी जाती थीं। कार्यकर्ताओं के बीच उनका अच्छा-ख़ासा प्रभाव हुआ करता था। महिला कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकीं रीता 2009 में उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी की अध्यक्ष बनीं। अपने राजनीतिक करियर के ढाई दशक कॉन्ग्रेस में गुज़ारने के बाद उन्होंने अक्टूबर 2016 में भाजपा का रुख़ किया। उन्हें मंत्री रहते इलाहाबाद से उतारना इलाहबाद सीट के महत्व और पार्टी की आगामी रणनीति को दिखाता है। हो सकता है कि अगर चुनाव बाद राजग सरकार बनती है तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिले। लेकिन फिलहाल, हम यहाँ चर्चा करेंगे कि इलाहाबाद में रीता बहुगुणा जोशी के आने के बाद समीकरणों में क्या बदलाव आए हैं?
इलाहबाद सीट से ही उनके पिता ने भी 1977 के आम चुनाव में जीत दर्ज की थी। उस समय उन्हें कुल मतों का 58% प्राप्त हुआ था, यही 1,42,000 से भी ज्यादा। हालाँकि, 1984 के चुनाव में उन्हें बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। इलाहबाद से उन्हें उतारने के पीछे की एक वजह यह भी है कि वो यहाँ की मेयर रह चुकी हैं। भाजपा ने उनके इसी स्थानीय प्रभाव और राज्य स्तरीय लोकप्रियता को भुनाने के लिए इलाहबाद जैसी महत्वपूर्ण सीट से उतारा है। 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने लखनऊ कैंट से मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को 33,000 से भी अधिक मतों से पराजित किया था। 2012 में उन्होंने यही सीट कॉन्ग्रेस के टिकट पर जीती थी।
पार्टी की ‘देश एवं जनता की सेवा को प्राथमिकता’ की विचारधारा को अपनाते हुये, प्रयागराज के नागरिकों की नि:स्वार्थ सेवा के लिये कांग्रेस छोड़ भाजपा में सम्मिलित हुए कांग्रेस सदस्यों का मैं हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ। pic.twitter.com/qCUHeIxSZ1
— Chowkidar Rita Bahuguna Joshi (@RitaBJoshi) April 1, 2019
प्रियंका गाँधी कहाँ से चुनाव लड़ेंगी, ये अभी तय नहीं हुआ है। वाराणसी, इलाहाबाद और अयोध्या में से किसी एक सीट से उनके लड़ने की चर्चाएँ चल रही हैं। इलाहाबाद के स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं ने रीता बहुगुणा जोशी के वहाँ से उतरने की ख़बर सुनते ही प्रियंका को वहाँ से लड़ाने की विनती की है। कॉन्ग्रेस के अंदर ये चर्चा ज़ोरो पर है कि अगर वो नहीं लड़ीं तो ये सीट आसानी से भाजपा के खाते में चली जाएगी। उनका ऐसा मानना बेजा नहीं है। इसके पीछे की वजह समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। आज से 24 वर्ष पहले, जब वो इलाहाबाद की मेयर बनी थीं।
उन्होंने पाँच वर्ष तक मेयर का पद संभाला। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास का प्रोफेसर होने के कारण पढ़े-लिखे लोगों के प्रोफशनल समूह में उनका अच्छा प्रभाव है और दो दशक बाद वो उस जगह लौट रही हैं,जहाँ उन्होंने मेयर के रूप में पाँच वर्षों तक (1995-2000) काम किया था। लेकिन, आप चौंक जाएँगे जब आपको पता चलेगा कि रीता बहुगुणा जोशी ने अब तक जो 4 लोकसभा चुनाव लड़ा हैं, उन्हें उन सभी में हार मिली है। लेकिन, फिर भी कॉन्ग्रेस के अंदर उनकी वापसी से व्याप्त भय को देख कर कोई भी सकते में आ जाए कि 4 लोकसभा चुनाव हार चुकी उम्मीदवार से कैसा भय? लेकिन नहीं, इसमें एक पेंच है जो आगामी चुनाव में इलाहाबाद की दशा एवं दिशा तय करने वाला है।
लोकसभा उम्मीदवारी तय होने के बाद रीता जैसे ही इलाहाबाद पहुँचीं, वहाँ कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। लेकिन, आश्चर्य की बात यह थी कि वहाँ भाजपा और कॉन्ग्रेस, दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता एक साथ उनका स्वागत कर रहे थे। आम कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की तो बात ही छोड़िए, जिला कॉन्ग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष संत प्रसाद पांडेय भी भाजपा समर्थकों के साथ जोशी के स्वागत में उपस्थित थे। प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी ने आगामी ख़तरे की आहट को पहचानते हुए जोशी का स्वागत करने वाले अपने पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का ऐलान किया है। उपाध्यक्ष और ब्लॉक प्रभारी समेत कम से कम 20 पार्टी पदाधिकारियों को पार्टी से निकाला जा चुका है, तो कुछ ने ख़ुद ही कॉन्ग्रेस को टा-टा कर दिया। ज़िला कॉन्ग्रेस कमेटी के महामंत्री और प्रवक्ता तक ने पार्टी छोड़ दिया।
संगम की इस पावन नगरी प्रयागराज में आप सभी नगरवासियों द्वारा मिले इस अपार स्नेह एवं आशीर्वाद के लिए तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ। pic.twitter.com/dNfz1MuMgs
— Chowkidar Rita Bahuguna Joshi (@RitaBJoshi) March 31, 2019
लगभग दो दर्जन अन्य कार्यकर्ता और पदाधिकारी अभी भी कॉन्ग्रेस के रडार पर हैं, जिन्हे बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। रीता के पहुँचते ही पार्टी यहाँ लगभग बिखर चुकी है और प्रत्याशी चयन में फूँक-फूँक कर क़दम रख रही है। दरअसल, इलाहाबाद में ऐसे कई कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता हैं जिन्हे रीता की बदौलत पद मिला था। प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रहते रीता ने इन्हे पद और सम्मान दिया था। ऐसे में, ये कार्यकर्ता और पदाधिकारी कॉन्ग्रेस के कम और रीता के ज़्यादा वफ़ादार हैं। अब जब वो इलाहाबाद लौट चुकी हैं, इन्हे नए उत्साह का संचार हुआ है और वो फिर से अपनी पुरानी नेता के आवभगत में मशगूल हो गए हैं।
रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने के बाद इलाहाबाद के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता लगभग हाशिए पर थे। अब रीता ने लौटते ही अपनी पुरानी टीम को सक्रिय कर दिया है, जिसका सबसे ज़्यादा नुकसान कॉन्ग्रेस पार्टी को उठाना पड़ रहा है। 1999 में रीता को इलाहाबाद से हार मिली। उन्हें 1,33,000 से ज़्यादा मत मिले थे। उनके सामने भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी और इलाहाबाद राजपरिवार के कुँवर रेवती रमन सिंह थे। मुरली मनोहर इलाहाबाद से 3 बार सांसद रहे जबकि कुँवर साहब ने भी 2 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। दिग्गजों के इस खेल में फँसी रीता उस समय तो संसद नहीं पहुँच पाई, लेकिन बदले समय और हालत में अब वो नए उत्साह के साथ उतर रही हैं।
1998 में सपा के टिकट पर अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रही रीता को भाजपा के देवेंद्र बहादुर राय ने हरा दिया था। 2004 में उन्हें लखनऊ से भाजपा के लालजी टंडन ने हराया था। चूँकि लखनऊ वाजपेयी का गढ़ रहा है, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की स्थिति में उनके संसदीय क्षेत्र इंचार्ज लालजी टंडन ने चुनाव लड़ा और जीते। 2014 में मोदी लहर के बीच रीता को इसी सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने हरा दिया। इस तरह से 4 लोकसभा चुनावों में हार के बावजूद जिस तरह से रीता बहुगुणा जोशी ने इलाहाबाद में एंट्री ली है, उस से ऐसा लगता है जैसे कोई दिग्गज राष्ट्रीय नेता वहाँ से चुनाव लड़ रहा हो।
UP minister Rita Bahuguna Joshi to be Bjp candidate from Allahabad. Jaya Prada will be contesting from Rampur and in place of MM Joshi, Satyadev Pachauri is the candidate from Kanpur. pic.twitter.com/kGBKnpdPHJ
— Marya Shakil (@maryashakil) March 26, 2019
कभी संयुक्त राष्ट्र द्वारा सबसे प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई मेयर का पुरस्कार पा चुकीं रीता इस बार मोदी-योगी का चेहरा बनाने के साथ-साथ इलाहाबाद को मेयर के रूप में शुरू किए गए विकास कार्यों की याद दिलाएँगी। अभी हाल ही में संपन्न हुए प्रयागराज कुम्भ महापर्व को सफल बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। अब कॉन्ग्रेस से इलाहाबाद सीट पर प्रियंका आए या कोई और, देखना यह है कि अपनी उम्मीदवारी के ऐलान मात्र से कॉन्ग्रेस में हड़कंप मचा देने वाली रीता अपने पिता की सीट पर जीत का पताका लहरा पाती हैं या नहीं।