1942 में आज़ाद हिन्द रेडियो के एक प्रसारण से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा ‘ब्लस्टर ब्लफ कॉर्पोरेशन’ का तमगा BBC को मिला, अर्थात धमकियाँ देकर ठगी करने वालों का समूह। तब परिस्थितियाँ कुछ और थी अब कुछ और हैं।
पिछले कुछ समय में औपनिवेशिक सरकार द्वारा त्यागी गई विष्ठा यानी, बीबीसी ने भारत विरोधी, पाक-परस्त और जिहादी प्रोपेगेंडा फैलाने की अनेकों जगजाहिर कीर्तिमान हासिल किए हैं। झूटी रिपोर्टिंग और औपनिवेशिक अहंकार से ग्रसित बीबीसी व सोरोस के नमक में पलने वाले बीबीसीकर्मी झूठे और भ्रामक तथ्यों के आधार पर भारत-विरोधी एजेंडा चलाने का ऐसा कोई भी अवसर नहीं छोड़ते।
दिलचस्प बात यह है कि इनकी गिरोह मंडली मतारोपण के बारीक और सुनियोजित षड्यंत्र के लिए दुनियाभर से ऐसे ही दिशाहीन अजेंडेबाज़ पत्रकार रिक्रूट करती है और ‘बीबीसी- हिंदी’ जैसे भारत स्थित साजिश खाने गाहे – बगाहे कभी हिन्दूघृणा से लिप्त कार्टून तो कभी भारतीयता का पाखंड कर अपने औपनिवेशिक ठाठ-बाठ से जनमानस को भ्रमित करने का पुरजोर प्रयत्न करते हैं व शहरी समाज के प्रगतिशील पाठकों में अक्सर मनचाहा जहर भरने में सफल भी होते हैं।
ऐसा ही कुछ, दो दिन पूर्व देखने को मिला,जब प्रसिद्द न्यूज़ एंकर व पॉलिटिकल एनालिस्ट शहजाद पूनावाला को बीबीसी के अमुक पत्रकार का मैसेज प्राप्त हुआ जब बीबीसीकर्मी पत्रकार की मंशा विवादों में आए कथित तौर पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले गिरोह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ के पक्ष में जबरन बात करवाकर उस संस्था पर लगे तमाम प्रकार के आरोपों से इतर मासूम दिखाने की थी।
इसी क्रम में बीबीसीकर्मी ने शहजाद पूनावाला को लिखा – “हैल्लो मिस्टर पूनावाला मैं बीबीसी से हूँ। हम आपके साथ स्काइप के माध्यम से एक इंटरव्यू करने को लालायित हैं, जिसमें आपको इस विषय में चर्चा करनी है कि किस तरह से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार भारत में विरोध के स्वरों को कुचलने का प्रयास कर रही है। यह सब एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत प्रकोष्ठ का शटर गिरने के संदर्भ में है, जो भारत सरकार पर अपने ‘विच-हंट’ होने का आरोप भी लगा रहे हैं। क्या आप प्लीज़ पंद्रह मिनट स्काइप पर दे सकते हैं ? अभी से शाम चार बजे तक कभी भी?”
इसके जवाब में शहजाद पूनावाला ने दो टूक जवाब देते हुए लिखा – “प्रिय शालू (पत्रकार का नाम) जी। मुझे लगता है कि बीबीसी की कवरेज सदा ही फ़र्ज़ी, अत्यधिक झुकी हुई, हताशापूर्ण व भारत विरोधी हितों को प्रचारित करने के लिए होती है, जैसा कि हाल में जम्मू कश्मीर, धारा 370 जैसे कई विषयों पर देखने को मिलती रहती है। इस सब से यह साफ़-साफ़ प्रतीत होता है कि बीबीसी का समस्त प्रयास भारत-विरोधी ताकतों का पक्ष लेने पर केंद्रित है। जब आप इसे सुधार लेंगे तब मैं कोई टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध रहूँगा अन्यथा आपकी ऐसी किसी बकवास को वैधता देने में मेरी कोई इच्छा नहीं ऐसी बकवास जो मेरे राष्ट्र हितों के विरुद्ध जाकर पाकिस्तान का बिगुल बजाती हों।”
इस संवाद के स्क्रीनशॉट्स शहजाद पूनावाला द्वारा उनके ट्विटर हैंडल पर साझा किए गए थे।
My response to BBC when they sought my time
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) September 29, 2020
Response in pic 2
Once BBC stops its anti India propaganda I will think about it!
Read my response below
Jai Hind pic.twitter.com/epEfGb6SNw
बीबीसी ही नहीं बल्कि भारत-विरोधी अजेंडा में मीडिया का एक बड़ा गिरोह बड़े स्तर पर सक्रीय रहा है। ये बात और है कि पिछले कुछ वर्षों में आम जनता भी इनके इन प्रपंचों को समझने और खुद ही उनका खंडन करने में भी कामयाब रही है। यही एक वजह भी है कि वामपंथ की बौखलाहट नए स्तर पर पहुँच रही है और इसका असर हम सोशल मीडिया पर इनके आकाओं के मानसिक और भावनात्मक मेल्टडाउन के रूप में अक्सर रोज ही देखते हैं।
बीबीसी के लिए यही बेहतर है कि वह जितना संभव हो सके, अपने मानसिक स्तर की ही बातों पर समय और अपने संसाधनों का उपयोग करे।