नवंबर 26, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान मीडिया की भूमिका काफ़ी विवादित रही। ख़ासकर, बरखा दत्त जैसे पत्रकारों ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की, उससे सैकड़ों लोगों की जान आफत में आ गई। देश की वित्तीय राजधानी को 10 आतंकियों ने एक तरह से 4 दिनों तक बंधक बना कर रखा। 166 लोग मारे गए, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी थे। 9 आतंकी मार गिराए गए और अजमल कसाब ज़िंदा पकड़ा गया। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने इस पूरी वारदात की साज़िश रची थी। मुख्य साज़िशकर्ता हाफ़िज़ सईद और ज़कीउर्रहमान लखवी आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने पाकिस्तान को कई डोजियर सौंपे, लेकिन आतंकियों पर कार्रवाई नहीं हुई।
अगस्त 2012 में प्रोपगेंडा पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री को दिए गए इंटरव्यू में बरखा दत्त ने स्वीकार किया था कि मुंबई हमले के दौरान टीवी चैनलों और उनके पत्रकारों ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की, उससे सैकड़ों लोगों की जान ख़तरे में आ गई थी। विवादित पत्रकार बरखा दत्त ने यह भी कहा कि टीवी चनलों की रिपोर्टिंग ऐसी थी कि कई सुरक्षा बलों के जवानों की जान भी ख़तरे में पड़ गई थी। उस दौरान बरखा दत्त वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों में फॅंसी एनडीटीवी के लिए कार्य करती थीं और उनकी रिपोर्टिंग पर काफ़ी सवाल उठे थे। न्यूज़लॉन्ड्री के मधु त्रेहान ने इंटरव्यू के दौरान बरखा से इन्हीं चीजों को लेकर सवाल पूछे गए थे।
ब्लॉगर चैतन्य कुंते ने जब बरखा दत्त से पत्रकारिता की नैतिकता को लेकर सवाल पूछे तो बरखा ने उन्हें ही लीगल नोटिस भेज दिया। इंटरव्यू के दौरान बरखा ने अपने फ़ैसले को सही भी ठहराया। कुंते ने मुंबई हमले के दौरान हुई एक मौत को लेकर बरखा को जिम्मेदार ठहराया था। आरोप है कि बरखा दत्त ने मुंबई हमले के दौरान फँसे एक व्यक्ति के किसी संबंधी को फोन किया और उसकी लोकेशन उजागर कर दी। सब कुछ टीवी पर लाइव चल रहे होने के कारण आतंकियों को उस व्यक्ति के छिपे होने का स्थान मालूम पड़ गया। बरखा ने इन आरोपों को नकार दिया।
On 26/11 We recall how RECKLESS reporting of #MumbaiTerrorAttack by Barkha Dutt & Others actually AIDED terrorists & put Our Security Forces at Risk #MumbaiAttacks #NeverForgiveNeverForget pic.twitter.com/lNuLucTKRH
— Rosy (@rose_k01) November 26, 2019
आरोप लगा था कि बरखा दत्त ने ओबेरॉय होटल के मैनजरों को कॉल किया, जिसके बाद पता चला कि वहाँ कई लोग बंधक बनाए गए हैं। आतंकियों को ये बात भी टीवी से पता चल गई। बरखा दत्त ने बताया कि चैतन्य कुंते ने उन्हें हेमंत करकरे की मौत का जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने दावा किया कि जब हेमंत वीरगति को प्राप्त हुए, तब वो दिल्ली में थीं। बरखा ने स्वीकार किया कि पत्रकारों ने मुंबई हमले के दौरान गलतियाँ की। बरखा ने साथ ही ये भी कहा कि जब पत्रकारों को अपनी ग़लती का एहसास हुआ तो उन्होंने दूसरे दिन से लाइव विजुअल को 15 मिनट की देरी से दिखाना शुरू कर दिया। बरखा ने अजीबोग़रीब कारण देते हुए कहा कि मीडिया को नहीं पता था कि आतंकी भी टीवी देख रहे हैं।