हाल ही में ‘फोर्ब्स इंडिया’ की एक सूची आई, जिसमें ऐसे 20 लोगों के बारे में बताया गया, जिन पर 2020 में नज़र रहेगी। ऐसे 20 लोग, जो इस साल ख़बरों में रहेंगे और इस वर्ष काफ़ी कुछ उन पर निर्भर करेगा। इस सूची के बारे में बता दूँ कि ये केवल भारतीय लोगों की सूची नहीं है, इसमें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी हैं। ये युवाओं की भी नहीं है क्योंकि इसमें 55 वर्षीय बोरिस जॉनसन भी शामिल हैं। इस सूची को केवल और केवल दक्षिणपंथ को नीचा दिखाने और वामपंथी हस्तियों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। ये काफ़ी ‘कन्फ्यूज्ड’ लिस्ट है, जिसका आधार ही नहीं पता।
सबसे पहले तो ‘फ़ोर्ब्स इंडिया’ ने बताया ही नहीं है कि इस सूची को तय करने का आधार क्या है और इसमें शामिल लोगों को उनके किन विशेषताओं के आधार पर तैयार किया गया है? अगर इसे मीडिया में स्पेस पाने वालों की सूची कहा जाए तो इसमें शेफ गरिमा अरोड़ा नहीं होतीं। इसमें मोहम्मद बिन सलमान को देख कर लगता है कि ये दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची हो सकती है लेकिन फिर प्रशांत किशोर और दुष्यंत चौटाला सरीखे नेताओं को देख कर लगता नहीं कि इसका अंतरराष्ट्रीय राजनीति से कोई लेना-देना है।
इस सूची को अगर इस आधार पर तैयार किया है कि इसमें केवल ‘Underrated’ लोग ही शामिल हों, अर्थात ऐसे लोग जिन्हें मीडिया स्पेस और चर्चा ज्यादा नहीं मिली, तो भी ये त्रुटिपूर्ण है। अगर ऐसा होता तो इसमें सालों भर मीडिया में बनी रहने वाली ग्रेटा थन्बर्ग और अमेरिका की सोशल मीडिया में लोकप्रिय नेता एलेक्जेंड्रिया (AOC) नहीं होतीं। अगर ये नेताओं की सूची है तो इसमें आदित्य मित्तल और गोदरेज परिवार को जगह नहीं मिलती। आइए, अब आपको बताते हैं कि इस सूची को किस आधार पर तैयार किया गया है? इसका एक ही आधार है- दक्षिणपंथ का विरोध।
इस सूची में कन्हैया कुमार क्यों हैं? फोर्ब्स इंडिया ने भी उनके चुनाव हारने का जिक्र किया है। भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने उन्हें 4.22 लाख मतों से हराया। ये सब तब हुआ, जब कन्हैया के लिए गुजरात के नेता जिग्नेश मेवानी ने कई दिनों तक कैम्प किया था। उनके लिए बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने प्रचार किया था। कन्हैया के लिए जावेद अख्तर और शबाना आज़मी जैसी हस्तियों ने काफ़ी प्रचार किया था। इन सबके बावजूद कन्हैया को 34% मतों से बुरी हार मिली। फिर भी उन्हें इस सूची में जगह क्यों दी गई?
Prashant Kishor, Kanhaiya Kumar find place in Forbes India’s list of World’s ’20 people to watch in the 2020s’ https://t.co/2Z0rXZAHLQ pic.twitter.com/uwx3O62H9a
— Times of India (@timesofindia) January 6, 2020
फोर्ब्स इंडिया का एक अजीबोगरीब तर्क ये है कि हारने के बावजूद कन्हैया कुमार 22.03% वोट पाने में कामयाब रहे। क्या यही वो काबिलियत है, जो किसी व्यक्ति को उस सूची में शामिल कर दे, जिसमें सऊदी अरब, न्यूजीलैंड और यूके के राष्ट्राध्यक्ष हैं? भारत की 543 संसदीय क्षेत्रों में एक में हारने वाले व्यक्ति को मोहम्मद बिन सलमान जैसे शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय नेता के साथ एक ही सूची में डाला गया। कन्हैया कुमार को 22.03% वोट मिले ये तो बताया गया है लेकिन उनके हार का अंतर इसके डेढ़ गुना से भी ज़्यादा अर्थात 34.45% था, ये बड़ी चालाकी से छिपा लिया गया है।
इसके बाद फोर्ब्स इंडिया ने ‘राजनीतिक विश्लेषकों’ के हवाले से कन्हैया कुमार को लेकर बड़े दावे किए हैं। वो सरकार के ख़िलाफ़ बोलते हैं, सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं और पूरे देश में लगातार अपने विचार रखते रहते हैं- ये वो तीन काबिलियत की चीजें हैं, जिन्होंने कन्हैया को इस सूची में डाल दिया। इन काबिलियतों का जिक्र फोर्ब्स ने भी किया है। अगर ये तीनों विशेषताएँ ही फोर्ब्स की सूची में जगह पाने के लिए चाहिए, तब तो स्वरा भास्कर, अनुराग कश्यप, उदित राज, फरहान अख्तर, सीताराम येचुरी, रामचंद्र गुहा और यशवंत सिन्हा के साथ तो बड़ी नाइंसाफी हुई है।
कन्हैया कुमार का प्रभाव अब इतना ही रह गया है कि ख़ुद सीपीआई उनसे प्रचार नहीं करवाती। वो ‘फ्रीलान्स प्रचारक’ बन कर दूसरे दलों के लिए प्रचार करते फिरते हैं। वो सीपीआई की ही बड़ी बैठकों और आन्दोलनों में नहीं देखे जाते हैं। जिस व्यक्ति को उसकी अपनी पार्टी भी नहीं पूछ रही है, उसे फ़ोर्ब्स इंडिया ने इतनी बड़ी सूची में लाकर रख दिया। इस हिसाब से तो वामपंथी पोलित ब्यूरो के सभी सदस्य इस सूची में आ जाने चाहिए थे। फोर्ब्स इंडिया लिखता है कि कन्हैया अच्छा बोलते हैं। अगर ‘अच्छा बोलना’ ही वो काबिलियत है तो फिर कुमार विश्वास और राहत इंदौरी को इस सूची में टॉप-5 में होना चाहिए था।
अब आइए बताते हैं कि इस सूची को कैसे तैयार किया गया। फोर्ब्स इंडिया के पैनल ने भाँग में ताड़ी मिला कर पी लिया और फिर वो इसे तैयार करने बैठे। इसमें जितने भी भारतीय हैं, उन्हें क्यों शामिल किया गया, आइए हम बताते हैं।
- गोदरेज परिवार: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के प्रस्तावित रास्ते में अपना इंफ़्रास्ट्रक्चर आने से गोदरेज समूह ने इसमें अड़ंगा लगाया। जुलाई 2019 में आदि गोदरेज ने बयान दिया था कि देश में हेट क्राइम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि असहिष्णुता के कारण आर्थिक विकास पर असर पड़ रहा है। मोदी के ख़िलाफ़ लगातार बयान देने के कारण गोदरेज परिवार को इस सूची में शामिल किया गया।
- हसन मिन्हाज: कॉमेडियन हसन ने दावा किया था कि इन्हें अमेरिका में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में जाने से रोक दिया गया था। वो अक्सर पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का मज़ाक बनाने के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए, इन्हें शामिल किया गया।
- कन्हैया कुमार: मोदी के ख़िलाफ़ ट्वीट करना और हिंदुत्व को लेकर ज़हरीले बयान देने वाले कन्हैया को इस सूची में सीलिए शामिल किया गया, क्योंकि वामपंथ नेताओं की कमी से जूझ रहा है। कहावत है न- अँधों में काना राजा।
- महुआ मोइत्रा: कॉन्ग्रेस से तृणमूल में गई महुआ संसद में सरकार के ख़िलाफ़ मुखर रहती हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर फासिज्म का आरोप लगाते हुए 7 पॉइंट्स गिनाए थे। उनकी इसी ‘फासिज्म स्पीच’ के कारण फोर्ब्स ने उन्हें जगह दी है।
- गरिमा अरोड़ा: इस सूची में एक ऐसा नाम डाल दिया गया है, जिनके बारे में बहुतों को नहीं पता। गरिमा एक काफ़ी टैलेंटेड शेफ हैं लेकिन कन्हैया जैसों के साथ उन्हें इस सूची में डाला गया है ताकि लिस्ट विश्वसनीय लगे। इसे ‘न्यूट्रल’ दिखाने के लिए ऐसा किया गया है।
- प्रशांत किशोर: इनकी कम्पनी अरविन्द केजरीवाल, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी जैसों का चुनावी कामकाज देख रही है। ऐसे में, उनका इस सूची में होना आश्चर्य पैदा नहीं करता क्योंकि अंदरखाने से मोदी विरोध की रणनीति तैयार करने वालों में वो अव्वल हैं।
- दुष्यंत चौटाला: हरियाणा में किंगमेकर बन कर उभरे हैं और भाजपा सरकार का हिस्सा हैं। लोगों को लगता है कि वो किसी भी तरफ़ जा सकते हैं, इसीलिए मोदी-विरोधियों को उनसे उम्मीदें हैं। उन्हें हरियाणा का ‘नीतीश कुमार’ बना कर पेश करने का प्रयास चल रहा है।
- आदित्य मित्तल: दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक है, जो सुर्ख़ियों में रहना पसंद नहीं करते। 43 वर्षीय मित्तल को इस सूची में डाला गया है। वो लक्ष्मी निवास मित्तल के उत्तराधिकारी हैं।
Thank you @forbes_india – will do my best to live up to expectations
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) January 4, 2020
Aditya Mittal to Mahua Moitra: 20 people to watch in the 2020s https://t.co/eSilGd27Ju
हमने देखा कि भारतीय अथवा भारतीय मूल के 8 लोगों में से 4 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक हैं। एक उद्योगपति हैं, जिन्होंने मोदी के ख़िलाफ़ लगातार बयान दिया है। 2 मीडिया में चर्चित न रहने वाले चेहरे हैं और 1 ऐसा चेहरा है, जिससे उम्मीदें हैं कि वो मोदी के ख़िलाफ़ जा सकता है। दक्षिण में भाजपा का युवा चेहरा बन कर उभर रहे तेजस्वी सूर्या, कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष को उनके ही गढ़ में हराने वाली स्मृति ईरानी और ओडिशा के ग़रीब परिवार से आने वाले केन्दीय मंत्री प्रताप सारंगी जैसे सैंकड़ों चेहरे हैं, जिन्होंने इस वर्ष कमाल किया और अगले वर्ष भी उनसे उम्मीदें रहेंगी। लेकिन, फोर्ब्स इंडिया ने एक भी, एक भी ऐसे व्यक्ति को इसमें जगह नहीं दी- जो दक्षिणपंथ से जुड़ा हो।
वामपंथी कन्हैया कुमार का प्रचार करने वाले एक्टर पर FIR, रामलीला को बताया था ‘बच्चों की ब्लू फिल्म’
कन्हैया पर देशद्रोह वाली फाइल केजरीवाल सरकार के पास, सरकारी वकील ने कोर्ट को सब बताया