Friday, September 20, 2024
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नंदू पासवान और गौतम पासवान के विवाद में जली नवादा की महादलित बस्ती, ‘बहुजनों पर हमला’ बता जाति की आग लगाने निकल पड़े राहुल गाँधी: बिहार में जंगलराज लाना चाहते हैं राजनीतिक गिद्ध

कॉन्ग्रेस और राजद जैसी पार्टियों को चुनावों में मिल रही लगातार करारी हार ने उन्हें जातीय बँटवारे की ओर अग्रसरित किया है। उन्हें अब जातीय बँटवारा के आधार पर अपनी कुर्सी पाने की अंतिम विकल्प दिख रही है। ऐसे में वो दलित और महादलित के बीच की इस घटना को जातीय रंग देकर और भी जहर घोलने का काम कर रही हैं।

बिहार को एक बार फिर से जातीय हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश की जा रही है। नवादा में बुधवार (18 सितंबर 2024) की रात को महादलित समुदाय के दर्जनों घरों में आग लगा दी गई। इसके बाद से इलाके में तनाव फैल गया है। यह मामला जमीन से जुड़ा बताया जा रहा है। बता दें कि बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। इस बीच यह हिंसा की घटना हुई है।

कहा जा रहा है कि जिस जमीन पर महादलित समाज के लोग रहते हैं, उस पर पासवान जाति के लोग अपना दावा ठोक रहे थे। इसमें उन्हें यादव समाज के लोगों द्वारा सहयोग भी दिया जा रहा था। इस घटना को लेकर जीतनराम माँझी का आरोप है कि यादव जाति के लोगों ने पासवान जाति के लोगों को जमीन कब्जाने के लिए उकसाया और महादलित परिवारों के घरों में आग लगाने में साथ दिया।

केंद्रीय मंत्री जीतन राम माँझी ने इसे साजिश बताया और कहा कि घटना में लालू यादव की पार्टी राजद के समर्थकों का हाथ है। उन्होंने गुरुवार (19 सितंबर 2024) को कहा, “नवादा में मुसहर, चमार ओर दुसाध जाति के लोग वर्षों वर्षों से एक जगह रहते हैं, लेकिन विरोधी जाति के लोग, खासकर यादव जाति के जो लोग हैं, वह जमीन कब्जा करने के लिए कुछ दुसाध जाति के लोगों को अपने साथ मिलाकर उन्हें आगे कर के इस घटना को अंजाम दिया है।”

हिंदुस्तान आवामी मोर्चा के प्रमुख जीतनराम माँझी ने आगे कहा, “इससे तो यही साबित हो रहा है कि समूचे बिहार में यादव जाति के लोग अभियान चलाकर एससी जाति के लोगों की जमीनों को चाहे वह उस पर रह रहे हैं या खाली जमीन है, उसको कब्जा कर उन जमीनों पर मकान बनाते हैं या उसे बेच देते हैं।”

उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। जीतनराम माँझी ने कहा कि वे इस बात को शुरू से बोलते आ रहे हैं। जब वे बिहार विधानसभा के सदस्य थे, तब भी उन्होंने विधानसभा में कहा था कि बिहार की पर्चा वाली 70 फीसदी जमीन एक पार्टी विशेष यानी राजद के लोगों के कब्जे में है और उन जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है।

दरअसल, बिहार में जमीन सर्वे का काम जोरो पर है। जमीन विवाद बिहार में मारपीट और हत्या का एक बहुत बड़ा कारण है। अगर सरकार जमीन सर्वे के काम को इसी तरह संपन्न कराने में सफल हो जाती है तो जमीनी विवाद में होने वाली आपराधिक घटनाएँ कम हो सकती हैं। हालाँकि, कुछ पक्ष ऐसे हैं जो जमीनों पर अपना दावा कर रहे हैं।

बिहार में जिस तरह से इस हिंसा को अंजाम दिया गया है वह 1990 के दशक को याद दिलाती है, जब लालू यादव में बिहार को जातीय नरसंहारों की आग में झोंक दिया था। जातिवाद का ऐसा आग लगाया कि कितने घर तबाह हो गए। हालाँकि, इन्हीं नरसंहारों पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते हुए लालू यादव खुद को ‘गरीबों का मसीहा’ साबित करने पर तुले रहे। उनके शासन में बदनाम हुआ बिहार आज भी उस कलंक से मुक्त नहीं हो पाया है और ना ही विकास की उस गति को पकड़ पाया है, जो आजादी के बाद बिहार में देखने को मिलती थी।

लालू यादव ने अपने शासन काल में ‘भूरा बाल’ (भू- भूमिहार, रा- राजपूत, बा- ब्राह्मण और ल- लाला यानी कायस्थ) साफ करने का नारा दिया था। उन्होंने वामपंथियों और शहाबुद्दीन जैसे माफियाओं के साथ-साथ राजद के गुंडों के साथ मिलकर के ना सिर्फ बिहार में आतंक का राज कायम किया। हालाँकि, साल 2005 में भाजपा और जदयू ने राजद की सरकार को उखाड़ फेंका और बिहार में विकास को गति दी।

पिछले कुछ समय से राजद के नेता बिहार में जाति जनगणना और ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ को लेकर आवाज उठाने लगे। यह जनसंख्या सर्वे बिहार के सर्वांगीण विकास को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि इसे जातीय राजनीति के लिए एक और अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश के रूप में देखा जाने लगा। हालाँकि, जाति सर्वे सर्व सहमति से हुआ।

इस बीच बिहार के राजद नेता चुनाव से पहले जातीय हिंसा की आग को फिर से बढ़ाने की कोशिश करने लगे। जीतनराम माँझी का राजद पर दिया गया बयान राजनीति से प्रेरित है या नहीं, यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन राजद और INDI गठबंधन के उसके सहयोगी दल कॉन्ग्रेस, जिस तरह का बयान नवादा वाली घटना पर दे रही है, उससे चुनाव पूर्व जातीय खाई को और बढ़ाने वाला कहा जा सकता है।

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इस घटना को लेकर अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “नवादा में महादलितों का पूरा टोला जला देना, 80 से ज़्यादा परिवारों के घरों को नष्ट कर देना बिहार में बहुजनों के विरुद्ध अन्याय की डरावनी तस्वीर उजागर कर रहा है। अपना घर-संपत्ति खो चुके इन दलित परिवारों की चीत्कार और भयंकर गोलीबारी की गूंज से वंचित समाज में मचा आतंक भी बिहार की सोई हुई सरकार को जगाने में कामयाब नहीं हो पाए।”

उन्होंने कहा, “भाजपा और NDA के सहयोगी दलों के नेतृत्व में ऐसे अराजक तत्व शरण पाते हैं- भारत के बहुजनों को डराते हैं, दबाते हैं, ताकि वो अपने सामाजिक और संवैधानिक अधिकार भी न माँग पाएँ। और प्रधानमंत्री का मौन इस बड़े षड़यंत्र पर स्वीकृति की मोहर है। बिहार सरकार और राज्य पुलिस को इस शर्मनाक अपराध के सभी दोषियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई कर, और पीड़ित परिवारों का पुनर्वास करा कर उन्हें पूर्ण न्याय दिलाना चाहिए।”

राहुल गाँधी द्वारा ‘बिहार में बहुजनों के विरुद्ध अन्याय की डरावनी तस्वीर’ और ‘भारत के बहुजनों को डराते हैं, दबाते हैं, ताकि वो अपने सामाजिक और संवैधानिक अधिकार भी न माँग पाएँ’ किसके लिए कह रहे हैं। यह दो दलित जातियों के बीच का मसला है। इसमें जीतनराम माँझी ने पिछड़ी जाति के यादव समाज पर उकसाने का आरोप लगाया है। ऐसे में राहुल गाँधी को यह सवाल लालू यादव और उनकी पार्टी से पूछना चाहिए कि महादलित जाति के परिवारों पर इस तरह के हमले क्यों हुए।

राहुल गाँधी ही नहीं, कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे दबंग जातियों का अत्याचार बताकर जातीय रंग देने की कोशिश की। उन्हें स्पष्ट शब्दों में बताना चाहिए कि दबंग जाति कौन है, जिसने बेहद गरीब एवं वंचित समाज के ऊपर हमला किया। खड़गे ने कहा कि नवादा में महादलित टोला पर दबंगों का आतंक NDA की डबल इंजन सरकार के जंगलराज का एक और प्रमाण है।

खड़गे ने अपने पोस्ट में आगे कहा, “बेहद निंदनीय है कि करीब 100 दलित घरों में आग लगाई गई, गोलीबारी की गई और रात के अँधेरे में ग़रीब परिवारों का सब कुछ छीन लिया गया। भाजपा और उसके सहयोगी दलों की दलितों-वंचितों के प्रति घोर उदासीनता, आपराधिक उपेक्षा व असामाजिक तत्वों को बढ़ावा अब चरम पर है। प्रधानमंत्री मोदी जी हमेशा की तरह मौन हैं, नीतीश जी सत्ता के लोभ में बेफिक्र हैं और NDA की सहयोगी पार्टियों के मुँह में दही जम गया है।”

इस तरह, खड़गे बिहार के लालू यादव के जंगलराज का आरोप वर्तमान NDA सरकार के थोप रहे हैं, लेकिन यह सवाल अपनी सहयोगी पार्टी से नहीं पूछ रहे हैं। पूरा देश ही नहीं, बल्कि दुनिया बिहार में लालू यादव के जंगलराज से वाकिफ है। इसके बावजूद उसकी चर्चा नहीं करना कॉन्ग्रेस की जातीय मानसिकता को दर्शाता है।

कॉन्ग्रेस और राजद जैसी पार्टियों को चुनावों में मिल रही लगातार करारी हार ने उन्हें जातीय बँटवारे की ओर अग्रसरित किया है। उन्हें अब जातीय बँटवारा के आधार पर अपनी कुर्सी पाने की अंतिम विकल्प दिख रही है। ऐसे में वो दलित और महादलित के बीच की इस घटना को जातीय रंग देकर और भी जहर घोलने का काम कर रही है।

पिछले कुछ समय से कॉन्ग्रेस की जातीय राजनीति का रंग कई जगहों पर दिखने को मिल चुका है। उत्तर प्रदेश के हाथरस और उन्नाव जैसे कांड को कॉन्ग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने जातीय रंग देने की कोशिश की। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई तरह की पैंतरेबाजी की। राहुल गाँधी से लेकर प्रियंका गाँधी तक घटनास्थल पर जाकर लोगों को भड़काने की कोशिश की। इसे पूरे देश ने देखा था।

आज बिहार में जब अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं तो वहाँ पर लक्षित जातीय भेदभाव का रंग देकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने की कोशिश शुरू कर दी है। कॉन्ग्रेस ने शायद गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम में ‘चौहान’ देखकर ऐसा मन बना लिया कि इसे सवर्णों ने अंजाम दिया है। हालाँकि, ये सभी दलित समाज हैं।

नवादा की घटना में गिरफ्तार लोगों की सूची (साभार: नवभारत टाइम्स)

मामला नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ददौर स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती ‘माँझी टोला’ की है, जो भूमि विवाद से जुड़ा है। गाँव के एक बड़े भूखंड पर महादलित परिवार रहते है। इस जमीन को लेकर दूसरे पक्ष से विवाद चल रहा है। इसकी सुनवाई कोर्ट में हो रही है। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि बुधवार की देर शाम अचानक दबंगों ने हमला कर दिया।

कहा जा रहा है कि नंदू पासवान और गौतम पासवान के बीच जमीन को लेकर काफी समय से विवाद था। दोनों के विवाद के कारण ही बुधवार शाम को नंदू पासवान की ओर से हमले और आगजनी की बात कही जा रही है। जमीन का यह विवाद लगभग 40 साल पुराना बताया जा रहा है।

पीड़ित लक्ष्मीनिया देवी ने बताया, “हम लोग की बस्ती सरकारी जमीन पर है। प्राण बिगहा का रहने वाला नंदू पासवान इसे कब्जा करना चाहता है। वो अपने साथियों के साथ आया और इस घटना को अंजाम दिया।” इस दौरान बस्ती के 80 से 85 घरों में आग लगाने की बात कही जा रही है। हालाँकि, पुलिस ने 20 घर बताया है। वहीं, पुलिस ने 100 राउंड फायरिंग की बात भी नकार दी है।

इसके मुख्य आरोपित 70 साल के नंदू पासवान समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। नंदू पासवान का बेटा नागेश्वर पासवान कृष्णा नगर के वार्ड-16 का वार्ड सदस्य है। वहीं, नंदू पासवान पहले बिहार पुलिस में था। वह साल 2014 में अपनी सेवा से रिटायर हुआ है। उसकी बहू सरिता भारती आँगनबाड़ी सेविका है।

इस मामले में कुल 28 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है, जिनमें से 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं मौके से 3 देशी कट्टा, एक खोखा, 6 बाइक जब्त करने की बात कही जा रही है। इस घटना को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। जो भी दोषी हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होगी।

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सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
प्रकृति प्रेमी

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