Wednesday, September 11, 2024
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चुनाव ब्रिटेन का, बातें फिलिस्तीन की: जीत के बाद मुस्लिम काउंसलर ने लगाए ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे, जानिए कैसे पश्चिम को जकड़ रहा इस्लामी कट्टरपंथ

अली फ़िलिस्तीनियों के बड़े समर्थक हैं और 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास के हमले को भी समर्थन देते हैं। इस हमले में 1200 से अधिक लोग मारे गए थे।

इंग्लैंड के निकाय चुनावों में जीत हासिल करने के बाद एक मुसिम प्रत्याशी मोतिन अली ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए। इस मुस्लिम पार्षद का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यह वीडियो इंग्लैंड के शहर लीड्स का है, जहाँ जीत दर्ज करने के बाद 42 वर्षीय मोतिन अली ने फिलिस्तीन के समर्थन में एक जोशीला भाषण दिया और अपनी जीत को गाजा के लोगों की जीत बता दिया।

निकाय चुनाव परिणामों के बाद लीड्स शहर के लिए चुने गए इस नवनिर्वाचित पार्षद ने एक भाषण दिया। इस भाषण में मोतिन अली ने साफ़ किया कि यहाँ की जनता लेबर काउंसिल से अकुताई हुई थी और खुदके ना सुने जाने की शिकायत कर रही थी। अली ने ऐलान किया कि अब यहाँ गाजा की आवाज सुनी जाएगी और वह स्वयं फिलिस्तीन के लिए बोलेगा।

रिपोर्ट बताती हैं कि अली जैसे और भी कई उम्मीदवारों ने इंग्लैंड के निकाय चुनावों में गाजा युद्ध को लेकर अपना चुनाव अभियान चलाया और जीत हासिल की। इनमें से अधिकांश ने लेबर पार्टी के उम्मीदवारों को हराया। नहीद जोहरा गुल्सिताब नाम के एक उम्मीदवार ने भी वाल्साल से जीत हासिल की और इसे गाजा के लोगों को समर्पित किया। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट किया लेबर पार्टी, ग्रीन पार्टी को हलके में ना ले। गुलसिताब लेबर पार्टी छोड़ कर ग्रीन पार्टी में शामिल हुए थे। गुलसिताब का लेबर पार्टी से गाजा पर स्टैंड को लेकर मतभेद था।

मोतिन अली और इंग्लैंड में बढती फिलिस्तीन समर्थक भावनाएँ

यूके ग्रीन पार्टी के भीतर अली का रूतबा लीड्स काउंसिल चुनावों में उनकी जीत के साथ बढ़ा। यहाँ, उन्हें 3,000 से अधिक वोट मिले और उन्होंने गिप्टन और हरेहिल्स सीटें जीतीं। लीड्स में जन्मे और पले-बढ़े अली के अपने समाज के अंदर महत्वपूर्ण संबंध हैं। अली की अपनी खुद की एक एकाउंटिंग फर्म है। अली को एक कट्टर मुस्लिम माना जाता है। यह बात स्थानीय चुनावों में उनकी जीत के बाद उम्माह के प्रति उनका भाषण दिखाता है।

अली फ़िलिस्तीनियों के बड़े समर्थक हैं और 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास के हमले को भी समर्थन देते हैं। इस हमले में 1200 से अधिक लोग मारे गए थे। सोशल मीडिया पर अली के विचार काफी कट्टर रहे हैं। अली का मानना है कि इजरायल ने गाजा में ज्यादा कठोर कार्रवाई की है। अली ने इजरायली सेना की तुलना श्वेतश्रेष्ठतावादियों के साथ भी कर दी। इन सबके बाद भी वह चुनाव जीत गए, जो यह दर्शाता है कि पश्चिम में फिलिस्तीन समर्थक भावनाओं के लिए लगातार समर्थन बढ़ रहा है।

पश्चिम में बढ़ रहा है इस्लाम

मोतिन अली की जीत के बाद लोगों को यह झटका लगा है कि इंग्लैंड में लगातार कट्टर इस्लाम का उदय हो रहा है। असल में ब्रिटेन में हो रहे बदलावों को देखा जाए तो पता चलता है कि यह कोई नई बात नहीं है बल्कि लम्बे समय से यहाँ कट्टरपंथी इस्लाम अपने पैर पसार रहा है। इसका एक बड़ा उदाहरण इंग्लैंड में रहने वाला मोहम्मद हिजाब नाम का शख्स है, खुद को इस्लामी विद्वान बताने वाला यह शख्स मुस्लिमों को हिन्दुओं पर हमले के लिए भड़का चुका है।

उसका एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वह हिन्दुओं को गालियाँ दे रहा था। मोहम्मद हिजाब ने हमास के इजरायल पर हमले के बाद इलाके में हिंसक रूप से एक मुस्लिम युवाओं की रैली निकाली। मुस्लिमों की बढ़ती आबादी भी इसमें सहायक बन रही है। 2023 में इंग्लैंड की 6% से अधिक जनसंख्या (41 लाख) मुस्लिम थी, यह 2011 में कम (27%) ही थी। रिपोर्ट बताती हैं कि मुस्लिमों ने ब्रिटेन की जनसंख्या बढ़ने में 33% का योगदान दिया।

ऐसे में देखा जा सकता है कि मोतिन अली जैसे लोग क्यों चुने जा रहे हैं। इनको चुनने पर लोकतंत्र को ख़तरा पैदा होता है। ऐसे में इन देशों में लोकतंत्र का गाना गाने वालों को सतर्क होना चाहिए। सिर्फ इंग्लैंड में ही नहीं बल्कि फ्रांस में इस्लाम के नाम पर हत्याएँ बढ़ी है। यह खतरा यूरोप में ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी हैं जहाँ इल्हन उमर जैसी महिलाएं संसद जा रही हैं। यह लोग विचारों से अत्यंत कट्टर हैं और इनका लक्ष्य लोकतंत्र नहीं बल्कि इस्लामिक राज्य की स्थापना है।

यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया है, आप इसे यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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Siddhi
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Siddhi is known for her satirical and factual hand in Economic, Social and Political writing. Having completed her post graduation in Journalism, she is pursuing her Masters in Politics. The author meanwhile is also exploring her hand in analytics and statistics. (Twitter- @sidis28)

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