सेना में जाकर देशसेवा करने वाले एक कर्नल को कॉन्ग्रेस सरकार ने आतंकवादी सिद्ध करने की कोशिश की। उसे धमाके के एक मामले में आरोपित बनाया गया। कर्नल के साथ पाकिस्तान में विमान दुर्घटना के बाद पहुँचे विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमान से भी बुरा बर्ताव किया गया। यहाँ तक कि कर्नल का पैर तोड़ा गया, उसके वरिष्ठ अधिकारी और पुलिस वालों ने उसे मारा। अवैध रूप से उसे बंद रखा। सालों तक जेल में रखा। उसकी सैन्य सेवा को भी प्रभावित किया गया।
यह कहानी किसी तानाशाही वाले देश की नहीं बल्कि भारत की है जहाँ कॉन्ग्रेस शासन में ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव गढ़ने के लिए साधुओं, सैन्यकर्मियों और हिन्दू हितों के लिए काम करने वालों को निशाने पर लिया गया। 2008 में हुए मालेगाँव धमाका मामले में मुकदमे में आरोपी बनाए गए लेफ्टिनेंट श्रीकांत प्रसाद पुरोहित की कहानी पीड़ाजनक और गुस्से से भरने वाली है। कर्नल पुरोहित ने बुधवार (8 मई, 2024) को मुंबई के एक कोर्ट में अपनी पीड़ा बताई।
उन्होंने बताया, “मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जो किसी जानवर के साथ भी नहीं किया जाता। मेरे साथ युद्ध बंदी से भी बदतर व्यवहार किया गया। हेमंत करकरे, परमबीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि मैं मालेगाँव बम धमाके के लिए खुद को जिम्मेदार बता दूँ। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं RSS, VHP के वरिष्ठ नेताओं और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लूँ। उन्होंने मुझे 3 नवम्बर, 2008 तक यातनाएँ दी।”
उन्होंने कोर्ट को बताया कि मालेगाँव में धमाके के बाद उन्हें पंचमढ़ी से गिरफ्तार किए जाने के बाद जबरदस्ती एक जगह अवैध रूप से रखा गया। कर्नल पुरोहित ने बताया कि उन्हें खंडाला के बंगले में रखा गया जहाँ उन्हें प्रताड़ित किया गया। उनको 29 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 3 नवम्बर तक प्रताड़ित किया गया था। इस दौरान ATS अधिकारी परमबीर सिंह, हेमंत करकरे और अन्य अधिकारियों ने मारा और उनका घुटना तोड़ दिया। इसकी वजह से उन्हें चलने में परेशानी होती है।
कर्नल पुरोहित को जब पकड़ा गया तब वह इंटेलिजेंस के लिए काम कर चुके थे और SIMI, ISI समेत तमाम देश विरोधी गतिविधि को रोकने में काफी हद तक सफल रहे थे। मालेगाँव मामले की जाँच के नाम पर उनसे इन आतंकी संगठनों पर की गई कार्रवाई और उनके मुखबिरों के बारे में बताने को कहा गया। कर्नल पुरोहित ने आरोप लगाया कि उनके साथ यह ज्यादती इसलिए हुई क्योंकि तब की केंद्र और महाराष्ट्र की कॉन्ग्रेस सरकार ऐसा चाहती थीं। यह सब उनकी शह पर हो रहा था।
कर्नल पुरोहित को मारने तक की योजना बनाई गई थी। उनका एनकाउंटर करने का प्लान था। 2018 में लिखे गए एक पत्र में कर्नल पुरोहित ने बताया था कि पूछताछ के दौरान उनके कपड़े उतारे गए, उनके प्राइवेट पार्ट पर वार किया गया और उनके बाल पकड़ कर खींचा गया। उन्हें शारीरिक यातनाएँ देकर दबाव डाला गया कि वह मालेगाँव धमाके में जिम्मेदारी स्वीकार कर लें। उन पर दबाव डाला गया कि वह RSS-VHP नेताओं का नाम लें और योगी आदित्यनाथ को भी आतंक के मामले में फँसाएँ।
कर्नल पुरोहित ने जिन हेमंत करकरे पर यातना देने का आरोप लगाया है, उनकी 26/11 हमले में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। परमबीर सिंह बाद में मुंबई के पुलिस कमिश्नर बने थे लेकिन उनके ऊपर उगाही के गंभीर आरोप लगे थे। वह भगोड़े भी घोषित किए गए थे। कर्नल पुरोहित ने मुंबई के कोर्ट को बताया है कि उनको यह यातनाएँ हिन्दू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ने के लिए दी जा रहीं थी। इसके लिए पहले से ही प्लान बनाया गया था।
इसी समय पर एनसीपी नेता शरद पवार हिन्दू आतंकवाद की बातें कर रहे थे। कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम यह सिद्ध करने में लगा था कि देश में सिर्फ इस्लामी आतंकवाद नहीं है बल्कि हिन्दू आतंकवाद नाम का भी कुछ होता है। यहाँ तक कि 26/11 हमले को तक हिन्दू आंतकवाद से जोड़ने की साजिश हुई थी। यह सब वोटबैंक और कॉन्ग्रेस की हिन्दू घृणा के कारण फल फूल रहा था। वामपंथी पत्रकार इस बात को और हवा दे रहे थे।
कर्नल पुरोहित को दी प्रताड़नाओं की तुलना अगर 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में विमान क्रैश होने के कारण गिरे विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमान से की जाए तो पाकिस्तान का बर्ताव कॉन्ग्रेस सरकार से अच्छा दिखेगा। अभिनन्दन वर्धमान को जहाँ कुछ घंटों के लिए ही पाकिस्तान रख पाया था, वहीं कर्नल पुरोहित को मात्र इसलिए सालों तक जेल में रखा गया ताकि हिन्दू आतंकवाद का फर्जी नैरेटिव गढ़ा जा सके और बहुसंख्यक आबादी को आतातायी घोषित किया जाए।
विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमान को मोदी सरकार 48 घंटों के भीतर पाकिस्तान से वापस ले आई थी। पाकिस्तान खुद ही विंग कमांडर वर्धमान को सौंपने को मजबूर हो गया था क्योंकि उसे पता था कि मोदी सरकार अपने सैनिक के लिए कोई भी बड़ा कदम उठा सकती है। दूसरी तरफ कॉन्ग्रेस का रवैया था कि देश की करोड़ों जनता का दशकों का सेना में विश्वास टूट जाए, इसलिए एक सैनिक को ही आतंकी घोषित करने का प्रयास करो। उसे हिन्दू आतंकवादी बताओ।