राजनीति में स्थान, प्रतीक और शब्दों का एक गहरा संबंध होता है। कब, कहाँ, क्या और कैसे कहना है, एक मंझा हुआ राजनेता अच्छी तरह जानता है और उस संदेश को भी पहुँचाने में कामयाब रहता है, जिसे वाकई वो देना चाहता है। हालाँकि कई बार ऐसा भी होता है कि जिसे आप छिपाने की कोशिश करते हैं, वही दिख जाता है। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के मामले में भी कुछ ऐसा ही है। राहुल गाँधी अपनी छवि को बदलने के लिए प्रयास तो करते हैं, लेकिन उनका आंतरिक मन उनके शब्दों और प्रतीकों से झलक जाता है।
राहुल गाँधी ने शनिवार (5 फरवरी 2022) को ट्वीट कर लोगों को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने ट्वीट किया, “किसान की मेहनत रंग लाती है, जब धरती पर फसल शान से लहलहाती है। सभी को बसंत पंचमी व सरस्वती पूजा की शुभकामनाएँ!”
किसान की मेहनत रंग लाती है जब धरती पर फसल शान से लहलहाती है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 5, 2022
सभी को बसंत पंचमी व सरस्वती पूजा की शुभकामनाएँ! pic.twitter.com/3111aX9TQv
यहाँ तक बात ठीक है, लेकिन जैसे ही आप बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के लिए दी गई शुभकामना संदेश में लगाई गई फोटो को देखेंगे तो आप चौंक जाएँगे। शुभकामना संदेश सरस्वती पूजा का और फोटो किसान का। सरस्वती पूजा पर किसान के तस्वीर का को तुक नहीं बनता है। दरअसल, सरस्वती पूजा के बहाने के यहाँ भी राहुल गाँधी राजनीतिक खेल करने की कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया यूजर ने उन्हें पकड़ लिया। बात यहीं तक रहती तो कोई बात नहीं थी। उन्होंने सरस्वती पूजा को हिजाब से जोड़ दिया।
यह पहली बार नहीं है, राहुल गाँधी ने अनजाने में ऐसा किया हो। राहुल गाँधी जब भी हिंदू त्योहारों की शुभकामनाएँ देते हैं, तब उससे जुड़े हिंदू देवी-देवता की तस्वीर गायब कर देते हैं। ये आरोप सोशल मीडिया पर उन पर लगते रहते हैं। पिछले साल गणेश चतुर्थी पर भी उन्होंने लोगों को शुभकामनाएँ दी थीं, लेकिन भगवान गणेश की तस्वीर लगाने से परहेज किया।
हमारे देश की उन्नति के रास्ते का हर विघ्न दूर हो!#गणेश_चतुर्थी pic.twitter.com/4ftJNWlgIx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 10, 2021
पिछले साल कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ देते मोर पंख से काम चला लिए।
आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/27wc3KpWtT
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 30, 2021
उसी तरह पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमित अंतील को बधाई देते हुए राहुल गाँधी ने एक फोटो का इस्तेमाल किया था। राहुल गाँधी ने सुमित की जिस फोटो का इस्तेमाल किया था, उसमें उनके गले में ॐ का एक लॉकेट दिखाई दे रहा था, जो राहुल गाँधी द्वारा इस्तेमाल किए गए फोटो में दिखाई नहीं दिया। इसकी वजह ने सोशल मीडिया यूजर्स ने राहुल की खूब आलोचना की और आरोप लगाया कि वे हिंदू देवी-देवताओं से चिढ़ते हैं, इसलिए उनकी तस्वीरों और सनातनी प्रतीकों को लगाने से बचते हैं।
Why no picture of the Gods by Rahul Gandhi??
— ThatIsNotThePoint🇮🇳 (@Amreso99) September 13, 2021
Is it against his beliefs?? pic.twitter.com/cs3fCrssBn
समय-समय पर राहुल गाँधी मंदिर जाते हैं, मस्तक पर त्रिपुण्ड लगाते हैं और देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए अपनी तस्वीरें मीडिया को सहर्ष देते हैं। वे खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण भी बता चुके हैं, फिर हिंदू देवी-देवताओं से क्या वे वाकई चिढ़ते हैं? इसका जवाब कॉन्ग्रेस पार्टी के बयानों और कार्य-प्रणाली में छिपी है।
सरस्वती पूजा की शुभकामना देने के दो घंटे के भीतर राहुल गाँधी ने सरस्वती पूजा को हिजाब सो जोड़ते हुए ट्वीट किया, “छात्राओं की शिक्षा के बीच हिजाब को आने देना भारत के बेटियों का भविष्य बर्बाद करने जैसा है। माँ सरस्वती सबको ज्ञान देती है, किसी में भेदभाव नहीं करती।”
बता दें कि कर्नाटक में हिजाब विवाद पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा इसे मुस्लिम छात्राओं का मौलिक अधिकार बताया था। सिद्धारमैया ने कहा, “मुस्लिम लड़कियाँ शुरू से ही हिजाब पहनती आई हैं। यह उनका मौलिक अधिकार है। क्या वे (छात्र) इससे पहले जब भी स्कूल या कॉलेज जाते थे तो भगवा शॉल पहनते थे? यह राजनीति से प्रेरित है। इसलिए सरकार को स्टैंड लेना चाहिए।” इससे पहले मुस्लिम छात्राओं ने भी हिजाब को मौलिक अधिकार बताया था।
इसी तरह जुलाई 2020 में राहुल गाँधी ने ईवी रामासामी उर्फ ’पेरियार’ का महिमामंडन किया था। पेरियार को मूर्तिभंजक और हिंदू विरोधी माना जाता है। पेरियार की एक प्रतिमा पर भगवा रंग चढ़ाने की घटना के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक ट्वीट में लिखा, “घृणा की मात्रा किसी भी विशाल प्रतीक को कभी भी प्रभावित नहीं कर सकती है।”
पेरियार ने रामायण के बारे में कई भ्रम फैलाए। श्री राम पर जातिवादी होने का आरोप लगाने से लेकर यह तक दावा किया गया कि उन्होंने महिलाओं को मार डाला। पेरियार के अनुसार, हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत को द्रविड़ पहचान को मिटाने के लिए ‘चालाक आर्यों’ द्वारा लिखा गया था। अगर पेरियार की मानें तो, राम, भरत को सिंहासन ना मिलने की साजिश का हिस्सा थे, जो पेरियार के अनुसार दशरथ के योग्य उत्तराधिकारी थे।
यूपीए शासन में मनमोहन सिंह द्वारा देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला अधिकार बताने की बात हो या, हरीश रावत द्वारा उत्तराखंड में पहला मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की बात और कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब का समर्थन, कॉन्ग्रेस की नीतियों और प्रदर्शन में स्पष्ट है कि जो काम वो कभी खुल कर करती थी, उसे अब प्रतीकों के इस्तेमाल से करती है। हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों से बचना एक उदाहरण भर है।
भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।