आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस का प्यार-तकरार-नफरत का रिश्ता हाल ही में सुर्खियों में रहा है। जहाँ एक तरफ जनाब केजरीवाल कहते नज़र आए कि “उन्होंने तो लगभग मना कर दिया जी” फिर भी अपने सिद्धांतों पर अडिग अपनी बात से बात-बे-बात पलटी मरने वाले जनाब केजरीवाल ने हार नहीं मानी। लाख उनके अपने ही पार्टी के पूर्व नेता और शुभचिंतक कुमार विश्वास जैसे लोग उनका कितना भी मज़ाक बनाए हों लेकिन वैकल्पिक राजनीति का घटिया उदाहरण प्रस्तुत करने वाले जनाब केजरीवाल लगे रहे। हाँ जो कहे उस पर कभी कायम नहीं रहे। लोगों ने बार-बार कहा “एक पे रहना, कभी घोड़ा-कभी चतुर मत कहना।”
दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए AAP और कॉन्ग्रेस कभी घोर प्रतिद्वंदी रहे थे। लेकिन कॉन्ग्रेस के घोटालों और काले कारनामों के समूल नाश के लिए अपने बच्चों की कसम खाने वाले केजरीवाल अब भी उसी कॉन्ग्रेस की गोद में झूला झूलने की उम्मीद पाले बैठे हैं। लोकसभा चुनाव की तारीखें नज़दीक आ रही हैं तो जो अंदर है वो सब उबल कर बाहर आ रहा है, इस उम्मीद में कि शायद ‘वो’ मान जाएँ। दोनों दलों के बीच गठबंधन की खिचड़ी पकाने के लिए रची गई कई कहानियों और तमाम टिप्पणियों के बाद, आखिरी प्रयास के रूप में या तो अब इसे अंतिम रूप दे दिया जाए या रद्द कर दिया जाए। अंतिम प्रयास के रूप में राहुल गाँधी और अरविंद केजरीवाल, जो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं, परदे के पीछे के इस नाटक को जैसे ही ट्विटर पर ले आते हैं तो कहानी और भी मनोरंजक हो जाती है।
जनाब राहुल गाँधी ने कहा कि वह 7 में से 4 सीटों पर AAP को चुनाव लड़वाने को तैयार थे, राहुल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ही यू-टर्न कर गए। हालाँकि, कॉन्ग्रेस के दरवाजे अभी भी खुले हैं। उस पर, जनाब अरविंद केजरीवाल ने कहा कि AAP कोई यू-टर्न नहीं ले रही थी बल्कि कॉन्ग्रेस वास्तव में गठबंधन को अंतिम रूप नहीं देकर बीजेपी की मदद कर रही थी। उस बीजेपी का जो महात्मा गाँधी के कॉन्ग्रेस मुक्त भारत के सपने को अपना मूल-मन्त्र बनाए हुए है।
फिर क्या था, इस विस्तृत नाटक के बाद, लुटियंस का ‘पक्षकार’ मीडिया भी चक्कर खा गया। मम्मी मीडिया के लिए घोर चिंता की बात यह थी कि पक्षकार मीडिया के लाडले दो बिगड़े बच्चों के बीच लड़ाई से बीजेपी काफी हद तक लाभान्वित हो सकती है। पूरा गिरोह दो युद्धरत बच्चों के बीच बने नाटकीय स्थिति को संभालने और शांति स्थापित करने के लिए कूद पड़ा।
‘तेज तर्रार’ निखिल वाघले ने AAP नेता संजय सिंह को टैग करते हुए टिप्पणी की कि AAP पर भरोसा न करके, कॉन्ग्रेस बीजेपी को दिल्ली जीतने में मदद करने की कोशिश कर रही है।
Congress wants to help BJP in Delhi! https://t.co/u7ZXjaQShS
— nikhil wagle (@waglenikhil) April 15, 2019
इसके बाद निखिल कॉन्ग्रेस पदाधिकारी के साथ वाकयुद्ध में लग गए। जबकि कॉन्ग्रेस के पदाधिकारी ने कॉन्ग्रेस का बचाव किया, लेकिन ‘तटस्थ पक्षकार’ वाघले ने AAP का बचाव किया और कॉन्ग्रेस को दोषी ठहराया।
You will blame AAP and vice versa. Finally Modi will benefit.If opposition doesn’t understand the importance of alliances they will be doomed. https://t.co/gxHjV9lyKd
— nikhil wagle (@waglenikhil) April 15, 2019
‘न्यूट्रल पक्षकार’ सबा नकवी ने भी बिगड़े बच्चों को कुछ अच्छी सलाह देने के लिए ट्विटर का सहारा लिया, जो सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे की मिट्टी-पलीद कर रहे थे।
Dear @RahulGandhi it would be best for you and @ArvindKejriwal to sit across table, shake hands and announce alliance. Please take his calls as he is an elected chief minister…the people of Delhi deserve all your best behaviour. #aapcongressalliance
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) April 15, 2019
नकवी ने ट्वीट किया कि राहुल गाँधी और अरविंद केजरीवाल को टेबल पर बैठना चाहिए, हाथ मिलाना चाहिए और गठबंधन की घोषणा करनी चाहिए। मोहतरमा ने कहा, “दिल्ली के लोग आपसे अच्छे व्यवहार की उम्मीद कर रहे हैं”।
आशुतोष, जो एक ‘पक्षकार’ से AAP राजनेता बनने के बाद फिर से एक तथाकथित ‘न्यूट्रल पक्षकार’ बन गए हैं, ने भी नानी-अम्मा का किरदार निभाने के लिए ट्विटर का ही सहारा लिया। उन्होंने केजरीवाल को ट्वीट कर कहा कि अगर वे मोदी और शाह को हराना चाहते हैं तो गठबंधन जरूरी है।
अगर आप वाक़ई में मोदी शाह को हराना चाहते है तो दिल्ली में गठबंधन करिये और हरियाणा चंडीगढ़ में बातचीत करते रहिये । दोनों को लिंक क्यों कर रहे हैं ? @ArvindKejriwal @RahulGandhi https://t.co/z27Imef8Kt
— ashutosh (@ashutosh83B) April 15, 2019
तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष टिप्पणीकार तुफैल अहमद ने भी दो बच्चों, राहुल गाँधी और अरविंद केजरीवाल को सभी विवाद दफनाने की सलाह दी। उन्होंने जनाब केजरीवाल को सलाह दी कि ज़्यादा लालची न बनें, वे बीजेपी को फायदा पहुँचाने के बजाय जनाब राहुल गाँधी के उचित प्रस्ताव को मान लें।
Mr @ArvindKejriwal — you are greedy. There should be no issue with AAP have 4 seats and Congress 3. Instead you are willing to give all 7 to BJP.
— Tufail Ahmad (@tufailelif) April 15, 2019
Why don’t you learn from Bihar where JDU had 2 MPs but BJP has given it 17 seats? BJP had 22 seats but is contesting 17#wisdom
अंत में, जबकि कई अन्य “तटस्थ” टिप्पणीकारों, पक्षकारों और तथाकथित पत्रकारों ने बिगड़े बच्चों को सम्भालने की कोशिश की, इस कड़ी में निखिल वाघले ने अंतिम फैसला सुनाया।
Congress will be responsible if Modi returns to power. Arrogance will doom this party. Congress has a history of cheating opposition parties too.
— nikhil wagle (@waglenikhil) April 15, 2019
अंतिम फैसला बहुत ही महान और आसान है। यदि भाजपा सत्ता में लौटती है, तो पूरा चाटुकार, पक्षकार तथाकथित पत्रकार पारिस्थितिकी तंत्र या कम से कम इसका एक हिस्सा, कॉन्ग्रेस को दोष देने के लिए तैयार है। राहुल गाँधी को नहीं क्योंकि राजकुमार की हर हाल में रक्षा करना लुटियंस दरबारियों का राजधर्म है।
यह पूरा वाकयुद्ध पक्षकारों की तठस्थता, पत्रकारिता के पतन और चाटुकारिता की सभी सीमाएँ लाँघने का प्रमाण हैं। मोदी से नफ़रत और घृणा ने इन्हें इतना अँधा कर दिया है कि अब ये सेक्युलर, न्यूट्रल जैसे चोले से निकलकर खुलेआम मैदान में आ गए हैं। अभी तक गठबंधन की कोई सूरत नज़र नहीं आ रही। लेकिन एक ओर 60 साल तक देश का बंटाधार करने वाली, घोटालों और देश को लुटने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली और दूसरी ओर 5 साल तक दिल्ली की जनता से छल करने के बाद और अब पूर्ण राज्य का शिगूफा छोड़ने के बाद भी दिल्ली के कानों पर ज़ू रेंगता हुआ भी नहीं देखने वाली आम से बेहद खास बन चुकी पार्टी चोर-चोर मौसेरे भाई के सिद्धांत पर आखिरी दाँव खेलने को बेचैन है। अब देखना यह है कि क्या ये एक बार फिर बीजेपी के नाम पर जनता को डरा कर उनसे फिर से छल करने में कामयाब होते हैं। या जनता इनके छल को नंगा कर उसका मुहतोड़ जवाब देती है।
लड़ाई मजेदार है। इस चुनाव में AAP-कॉन्ग्रेस से लेकर उन तमाम न्यूट्रल पक्षकारों की भी अस्मिता दाँव पर लगी है जो अभी तक विभिन्न संस्थाओं पर कब्ज़ा जमाकर सत्ता की मलाई खा रहे थे।