मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन मुख्यतः भाजपा के 15 साल के राज से लोगों में उपजी बोरियत, भाजपा संगठन द्वारा चुनावों को कम गंभीरता से लेने, कॉन्ग्रेस द्वारा कर्जमाफी की घोषणा और अपने चेहरे के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को पेश करने जैसी वजहों से बेहतर रहा। हालाँकि, यह परिणाम इस प्रकार का था, जो अगर पूर्ण रूप से कॉन्ग्रेस के पक्ष में भी नहीं था तो भाजपा के खिलाफ भी नहीं। जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत कॉन्ग्रेस से ज्यादा ही है।
पर जब सरकार बनाने और सीएम पद का चेहरा पेश करने की बारे आयी तो कॉन्ग्रेस ने प्रदेश के लोगों को हैरत में डालते हुए सिंधिया के स्थान पर कमलनाथ को तरजीह दी। कमलनाथ बेशक मध्य प्रदेश में 40 साल से राजनीति कर रहे हैं, छिंदवाड़ा से लगातार संसद पहुँचते रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति में वे मूलत: बाहरी और अनिच्छुक नेता के तौर पर ही जाने जाते हैं।
कमलनाथ मूलत: बिजनेसमैन हैं और राजनीति में उनकी भूमिका एक पॉलिटिकल मैनेजर और फण्ड रेजर के तौर पर ही जानी जाती है और जब प्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ के बीच जबरदस्त रस्साकशी चल रही थी, तब माना जाता है कि कमलनाथ की इन्हीं खासियतों से प्रभावित होकर रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी ने पलड़ा कमलनाथ के पक्ष में झुका दिया और उन्होंने कॉन्ग्रेसी नेतृत्व को निराश न करते हुए, शपथ लेने के अगले दिन से ही अपना काम करना शुरू भी कर दिया।
कमलनाथ जानते थे कि किसानों और प्रदेश के बाकी तबकों के लिए उन्होंने जो वादे किए हैं, उन्हें धरातल पर उतारना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने ‘टोकन’ के तौर पर किसानों की कर्जमाफी के नाम पर धीरे-धीरे रेंगना शुरू किया। लेकिन जो काम सबसे जल्दी हो सकता था, और जिस काम से उनकी और उनके आलाकमान की जेबें भर सकतीं थीं, वह था आईएएस, आईपीएस और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रान्सफर!
हर तीसरे दिन सैकड़ों अधिकारियों को इधर से उधर किया जा रहा है। प्रतिदिन औसतन यह सरकार 57 ट्रान्सफ़र कर रही है। यह न जाने किस प्रकार की ‘हड़बड़ी गवर्नेंस’ और जल्दबाजी है कि इस दौरान कई अधिकारियों को 2-2 बार तबादला ऑर्डर थमा दिया गया है।
जिन अधिकारियों को क़ानून-व्यवस्था और लोगों की समस्याओं के निराकरण पर ध्यान देना था, वह अपना तबादला रुकवाने या करवाने के लिए भोपाल दौड़ रहे हैं। अधिकारी, सरकार के मंत्रियों और बिचौलियों से अपनी सेटिंग जमाने में व्यस्त हो गए हैं। इसी बीच सतना में 2 मासूम बच्चों के अपहरण के 13 दिन बाद, ₹20 लाख की फिरौती देकर भी हत्या हो जाना यह बताता है कि मध्य प्रदेश की यह सरकार प्रदेश की जनता की सुरक्षा, जान और माल को लेकर कितनी लापरवाह है।
इस घटनाक्रम की सबसे ज्यादा निंदनीय बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार के जनसम्पर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने इस हत्याकांड पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी बला यूपी सरकार पर टालते हुए कहा है कि यह घटना MP-UP बॉर्डर की है, जहाँ हत्यारे उत्तर प्रदेश से ऑपरेट कर रहे थे।यहाँ तक कि इसके लिए इन्होंने उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ का इस्तीफ़ा माँगने की भी बात की। इससे शर्मनाक बात और क्या होगी कि एक प्रदेश सरकार के पास इस सनसनीखेज अपहरण के 13 दिन बाद अपने बचाव के लिए इस प्रकार का बयान है।
12 फरवरी को हुई इस घटना पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का इस विषय पर आज बयान आया है, जिसमें उन्होंने संवेदना प्रकट करते हुए कहा है कि सरकार और प्रसाशन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए था। उम्मीद है कि स्वयं मुख्यमंत्री होते हुए कमलनाथ मंगल ग्रह की सरकार से यह अपील नहीं कर रहे होंगे। वोट बैंक बनाने के लिए कमलनाथ अपना जितना ध्यान गो-तश्करों पर रासुका लगाने पर दे रहे हैं, उतना ही जनता की सुरक्षा पर भी दें, तो इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सकता था।
Former Madhya Pradesh CM Shivraj Singh Chouhan on 2 children abducted from MP’s Chitrakoot found dead in UP: I pay my homage to the two children. It was an unfortunate incident. We had hoped that the govt & admn would take it seriously & rescue the children.This incident shook me pic.twitter.com/dPflrMHaZy
— ANI (@ANI) February 24, 2019
कमलनाथ ने जो भाजपा को लेकर जासूसी भरा ट्वीट किया है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि इस तरह के ‘बेहतरीन’ कैलकुलेशन वाले दिमाग होने के बावजूद उन्हें अपराधियों को पकड़ने में 13 दिन लग गए और तब तक दोनों बच्चे इस दुनिया से जा चुके थे।
चित्रकूट में तनाव के हालात हैं और धारा 144 लागू की गई है। आक्रोशित लोग सड़कों पर हैं। भीड़ पर पुलिस आँसू गैस के गोले फेंक रही है। इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। आज सुबह ही मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को पकड़ा है। मध्य प्रदेश सरकार अब तक इस किस्से का आरोप उत्तर प्रदेश सरकार पर थोपने में इतनी व्यस्त रही कि इस पर शोक व्यक्त करने और कार्रवाई की पहल करने में ही 13 दिन लग गए। यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की संवेदनशीलता और प्राथमिकता क्या हैं।
#UPDATE Madhya Pradesh Police has arrested six people after two children were abducted on February 12 in MP’s Chitrakoot and found dead today in Banda,Uttar Pradesh. https://t.co/bAA6sPlsh7
— ANI (@ANI) February 24, 2019