Sunday, November 17, 2024
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हिन्दू त्योहारों पर मुस्लिम भीड़ की हिंसा, पर्दा डालने के लिए ‘मुस्लिमों के नरसंहार’ की बातें: गिरोह विशेष का सोचा-समझा पैटर्न, हिन्दू हर हाल में दोषी

अब चूँकि इन घटनाओं की तस्वीरें और वीडियोज सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं, इस्लामी गिरोह के ऊपर जिम्मेदारी है कि वो एक ऐसा फेक नैरेटिव तैयार करें, जिसके जाल में फँस कर लोग मुस्लिम भीड़ की हिंसा की बात ही न करें। एक ऐसा माहौल बनाया जाए, जिसमें पीड़ित हिन्दुओं के ऊपर एक पर्दा डाल दिया जाए।

भारत में जब-जब मुस्लिम भीड़ हिंसा करती है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोपेगंडा फैलाने वाले कुछ संगठन तुरंत हरकत में आकर उन्हें पीड़ित दिखाने की जुगत में भिड़ जाते हैं। दिल्ली का हिन्दू विरोधी दंगा हो या फिर देश भर में CAA विरोधी उपद्रव, हर एक हिंसा के बाद आरोपित मुस्लिमों के लिए अदालत में वकील, मीडिया में पत्रकार और मनोरंजन की दुनिया में कुछ कट्टरपंथी उनके पक्ष में माहौल बनाने और उन्हें बचाने के लिए पहले से ही तैयार रहते हैं।

अब भी वैसा ही हो रहा है। रामनवमी के दौरान देश भर में दर्जन भर से भी अधिक इलाकों में मुस्लिम भीड़ ने हिंसा की। कहीं रामनवमी के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई है तो कहीं गाने के चयन पर हंगामा हुआ, कहीं शोभा यात्रा के मुस्लिम बहुल इलाके से गुजरने पर दोष मढ़ा गया तो कहीं मस्जिद के सामने से जुलूस के जाने पर पत्थरबाजी हुई। इन घटनाओं में आगजनी, पत्थरबाजी, लाठी-डंडों से पिटाई और मजहबी नारेबाजी आम बात थी। कार्रवाई होने के बाद खुद को पीड़ित दिखाना भी अब आम हो गया है।

रामनवमी के दौरान मुस्लिमों की हिंसा: पर्दा डालने के लिए तैयार हुआ गिरोह विशेष

अब चूँकि इन घटनाओं की तस्वीरें और वीडियोज सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं, इस्लामी गिरोह के ऊपर जिम्मेदारी है कि वो एक ऐसा फेक नैरेटिव तैयार करें, जिसके जाल में फँस कर लोग मुस्लिम भीड़ की हिंसा की बात ही न करें। एक ऐसा माहौल बनाया जाए, जिसमें पीड़ित हिन्दुओं के ऊपर एक पर्दा डाल दिया जाए। उनकी साजिश है कि दुनिया भर में अपने प्रभावशाली लोगों को इकट्ठा कर के उनसे झूठ कहलवाया जाए कि भारत में फलाँ-फलाँ चीजें हो रही हैं।

इसी क्रम में अब नए हैशटैग की साजिश रची गई है। ‘Indian Muslims Genocide Alert (भारतीय मुस्लिमों के नरसंहार को लेकर चेतावनी)’ नाम के इस हैशटैग के जरिए ये बात फैलाई जाएगी कि देश भर में मुस्लिमों का कत्लेआम हो रहा है। कर कौन रहे हैं, तो हिन्दू। अमेरिका के वर्जीनिया के फेयरफैक्स में स्थित जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में ‘जेनोसाइड स्टडीज एंड प्रिवेंशन’ के रिसर्च प्रोफेसर रहे ग्रेगोरी स्टैंटन के हवाले से कहा जा रहा है कि उन्होंने चेतावनी जारी की है।

‘भारत में मुस्लिमों का नरसंहार’ – इस झूठे नैरेटिव को दुनिया भर में फैलाने की बड़ी साजिश

वो ‘जेनोसाइड वॉच’ समूह का हिस्सा हैं। जारी किए गए बयान में कहा गया है कि गुजरात, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, गोवा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में रामनवमी की शोभा यात्राओं के दौरान मुस्लिम विरोधी हिंसा की गई। कई मस्जिदों को ध्वस्त किए जाने और जलाए जाने के साथ-साथ मस्जिदों के बाहर नारेबाजी के आरोप भी लगाए गए हैं। ‘हिंदुत्व गुंडों’ पर मस्जिदों में तलवार के साथ नाचने के आरोप भी लगाए गए हैं।

इस हैशटैग के लिए मंगलवार (12 अप्रैल, 2022) को शाम 5 बजे का समय मुक़र्रर करते हुए लिखा गया है कि सत्ता के संरक्षण में हिन्दू साधु-संत मुस्लिमों के नरसंहार के लिए उकसा रहे हैं और घृणा फैलाने वाले खुला घूम रहे हैं। इसमें ये भी लिखा है कि भारतीय मुस्लिमों को ‘सम्मान और बराबर अधिकारों’ के साथ जीने का अधिकार है। लोगों को इस ‘आसन्न नरसंहार’ के खिलाफ आवाज़ उठाने की अपील की गई है, इससे पहले कि देर हो जाए।

असल में हिन्दुओं के साथ क्या हुआ, रामनवमी के दौरान हिंसा की घटनाओं का सच क्या

इससे पहले कि आप गिरोह विशेष के चक्कर में फँसे और कोई स्वरा भास्कर, कोई RJ सायमा, कोई जुबैर या फिर कोई ओवैसी इन घटनाओं को लेकर झूठ फैलाए, आपको सच से रूबरू रहना ज़रूरी है। ये ऐसा गिरोह है, जो आपको ये बताएगा कि ‘मुस्लिमों के मकान भाजपा सरकार ने बुलडोजर से गिरा दिए’, लेकिन ये नहीं बताएगा कि ये मकान अवैध थे और उनसे रामनवमी की शांतिपूर्ण शोभा यात्राओं पत्थरबाजी और हमले किए गए। ओडिशा के जोडा से ऐसी ही घटना सामने आई है।

गुजरात के हिम्मतनगर में पत्थरबाजी में आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। आरोपित राजू मेंटल, सिकंदर पठान, समीर पठान, खालिद पठान, मुबीन शेख, वाहिद पठान और उमर पठान आदि हैं। क्या आपको ये मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा लगती है? भारत के पश्चिमी तट पर स्थिति इसी राज्य के आणंद में भी छपरिया के हनुमान मंदिर के पास निकली शोभायात्रा पर पत्थरबाजी हुई। लेकिन, दोषी हिन्दू हो गए क्योंकि उन्होंने अपने साथ हुई हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ‘गुनाह’ किया।

मध्य प्रदेश के खरगोन की घटना चर्चा में है। यहाँ डीजे का बहाना बना कर मुस्लिम भीड़ ने राम नवमी मना रहे हिन्दुओं पर हमला किया। अन्य जिलों से अतिरिक्त बल मँगाने पड़े। मुंबई के मानखुर्द में भी रामनवमी मना रहे हिन्दुओं को हिंसा का सामना करना पड़ा। झारखंड के लोहरदगा में रामनवमी के मेल में घुस कर हिन्दुओं की दुकानों में आग लगाई गई। ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई। लेकिन, गिरोह विशेष कह रहा है कि ‘मुस्लिमों का नरसंहार’ हो रहा है।

पूर्वी भारत में स्थित इसी राज्य के बोकारो में फुसरो के राजाबेड़ा स्थित गंजू मोहल्ले में रामनवमी की शोभा यात्रा पर हमला किया गया। पुलिस आई। पुलिस ने उलटा हिन्दुओं को ही रोक दिया। शोभा यात्रा को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। जबकि गिरोह विशेष कह रहा है कि सत्ता हिन्दुओं को संरक्षण दे रही है। जबकि सच्चाई ये है कि झारखंड में भाजपा विरोधी पार्टी की सरकार है और खामियाजा हिन्दुओं को भुगतना पड़ रहा है, जो अपने ही देश में अपना त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से नहीं मना सकते।

पश्चिम बंगाल का तो कहना ही क्या! वहाँ चुनावी हिंसा में भाजपा कार्यकर्ताओं और हिन्दुओं की हत्या की घटनाएँ और सत्ताधारी TMC पर आरोप लगना आम है, लेकिन क्या मजाक कि मीडिया मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरुद्ध एक शब्द भी बोले या इन घटनाओं की सच्चाई दिखाए। वहाँ हावड़ा में हिन्दुओं पर हमले किए गए। बाँकुरा में हिन्दुओं पर आरोप लगाया गया कि उनकी रामनवमी की शोभा यात्रा मस्जिद के सामने से गुजरी। इस ‘गुनाह’ के कारण डेढ़ दर्जन को गिरफ्तार कर लिया गया। यहाँ किसको मिल रहा है सत्ता का संरक्षण?

JNU में क्या हुआ, वो भी चर्चा का विषय बना हुआ है। रामनवमी की पूजा में मांसाहार परोस कर विघ्न डालने की कोशिश की गई। ABVP के छात्र हवन कर रहे थे, उन्हें परेशान किया गया। हमले में दिव्या सूर्यवंशी सहित कई BVP कार्यकर्ता घायल हुए। दिव्यांग छात्रों तक को नहीं बख्शा गया। महाराष्ट्र की भी बात कर लें। वहाँ भाजपा विरोधी तीन दलों की सरकार है। वहाँ सत्ता ने क्या किया? हनुमान चलीसा लाउडस्पीकर पर बजाने के कारण ‘राम रथ’ को ही पुलिस ने जब्त कर लिया। जबकि भारत की 3 लाख मस्जिदों में रोज 5 बार लाउडस्पीकर से अजान जायज है?

मुस्लिम भीड़ की करतूत को छिपाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया जाता है प्रोपेगंडा

हाल ही में गोरखनाथ मंदिर में अहमद मुर्तजा अब्बासी नाम के एक कट्टरपंथी मुस्लिम ने हमला कर के पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया, लेकिन उसका जिहादी लिंक सामने आने के बावजूद मीडिया का एक धड़ा इस पर चुप रहा। राना अय्यूब जैसों को अब ये जिम्मेदारी निभानी है कि उन्हें मुस्लिमों की हिंसा को छिपा कर इसके उलट तस्वीर दुनिया को दिखानी है। सीजे वर्लमैन जैसे लेखक सोशल मीडिया के जरिए इस उलटी तस्वीर को फैलाने में मदद करते हैं।

दोनों के ट्विटर हैंडल भी देख लीजिए। रामनवमी की शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी करती मोहतरमा का वीडियो सीजे वर्लमैन के ट्विटर हैंडल पर नहीं दिखेगा, लेकिन उसी खरगोन में इस घटना के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई को वो जरूर ‘मुस्लिम विरोधी हिंसा’ बता कर प्रचारित कर रहा है। इसी तरह राना अय्यूब को देखिए। इटली में जाकर कह रही हैं कि मुस्लिम पत्रकारों पर ‘हिन्दू महासम्मेलन’ में हमला हुआ। उन पत्रकारों ने पुलिस पर उन्हें गिरफ्तार करने के आरोप लगा दिए थे, जबकि वो खुद जाकर पुलिस की वैन में बैठ गए थे।

कोरोना के नाम पर दान लेकर करोड़ों पचा जाने की आरोपित इस इस्लामी कट्टरवादी पत्रकार का काम ही यही है कि दुनिया भर के सम्मेलनों में घूम-घूम कर ये कहना कि हिन्दू अत्याचार कर रहे हैं और मुस्लिम पीड़ित हैं। पहले अधिकाधिक सक्रियता यही काम अरुंधति रॉय करती थीं (अब भी करती हैं), जिनका काम था हर कार्यक्रम में जाकर ये दोहरा देना कि भारतीय सेना अपने लोगों को मार रही है। इनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि ये हर एक जगह जाकर झूठ की डिलीवरी करते हैं।

उदाहरण के लिए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को ले लीजिए। नब्बे के दशक में 6 लाख कश्मीरी पंडितों को मुस्लिमों द्वारा किए गए नरसंहार के बाद घाटी छोड़ कर अपने ही देश में शरणार्थी बन जाना पड़ा और इसके जिम्मेदार सत्ता के गलियारों में सम्मानित होते रहे, लेकिन कभी हथियार न उठाने वाले इन कश्मीरी हिन्दुओं के लिए एक आवाज़ तक न उठी। आज इस पर फिल्म आई है तो उसका विरोध हो रहा है। ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ के अध्यक्ष ने एक वाकया भी साझा किया था, जो ध्यान देने योग्य है।

कश्मीरी एक्टिविस्ट सुरिंदर कौल ने बताया था कि कई ऐसे डेमोक्रेट्स थे, जिन्हें कश्मीर के बारे में गलत जानकारी दी गई थी और उन्होंने इस फिल्म को देखने के बाद समझा कि सच्चाई क्या है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नेताओं ने बताया कि उनके पास पाकिस्तानी गिरोह हमेशा आते रहते हैं और कश्मीर के बारे में अपना नैरेटिव बताते रहते हैं। यही कारण है कि उनकी बात ज्यादा सुनाई देती है। वो चिल्ला-चिल्ला कर झूठ बोलते हैं, बार-बार बोलते हैं, सबको जाकर बोलते हैं।

भारत में बढ़ रही हैं इस्लामी कट्टरपंथियों की साजिशें, दूसरे विभाजन की तैयारी में?

सच्चाई क्या है। सच्चाई ये है कि भारत में इस्लामी कट्टरपंथी लगातार हावी हो रहे हैं। गोरखनाथ मंदिर पर हमला और रामनवमी के दिन एक दर्जन से भी अधिक स्थानों पर मुस्लिम भीड़ की हिंसा को छोड़ भी दें, तब भी पिछले कुछ दिनों में उनकी गतिविधियाँ हिन्दुओं की सतर्कता माँगती है। हाल ही में देश भर में 1000 महिलाओं और मूक-बधिर बच्चों को इस्लाम में धर्मांतरित करने वाले मौलाना उमर गौतम सहित कई लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी। उत्तर प्रदेश ATS की इस जाँच में देश भर के कई इलाकों से आरोपित दबोचे गए हैं और पाकिस्तानी ISI से लिंक भी सामने आया है।

देश भर में ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को ही ले लीजिए। भाजपा शासित राज्यों में इसके खिलाफ बने कानून का तो विरोध हो रहा है, लेकिन मुस्लिम युवकों द्वारा छद्म नाम रख कर हिन्दू लड़कियों को फाँसने और उनका इस्लामी धर्मांतरण करा देने के सैकड़ों मामले सामने आए हैं। विरोध इसके नहीं, लेकिन इसके खिलाफ बने कानून का हो रहा है। आपको मुस्लिम भीड़ द्वारा लिंचिंग का शिकार हुए भरत यादव या रूपेश पांडेय का नाम नहीं बताया जाएगा, लेकिन ये चिल्लाया जाएगा कि मुस्लिमों का नरसंहार हो रहा है।

कोरोना की पहली लहर निजामुद्दीन के मरकज से शुरू हुई थी, जहाँ मौलाना साद को कोरोना के सारे मेडिकल व सरकारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए उकसाते हुए देखा गया। वहाँ तमाम दिशानिर्देशों की धज्जियाँ उड़ी। पुलिस की कार्रवाई के बाद सैकड़ों जमाती देश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों में छिप गए। फिर क्या हुआ? वहाँ गई पुलिस और डॉक्टरों की टीम पर हमले। मेडिकल टीम पर मुस्लिम बहुल इलाकों में हमलों के कारण सरकार को नए नियम लाने पड़े।

भारत को फिर से खंडित करने की तैयारी चल रही है। मुल्ले-मौलवियों के भड़काऊ बयान सुर्खियाँ नहीं बनते। 15 मिनट पुलिस हटा कर हिन्दुओं के कत्लेआम की बात करने वाला अकबरुद्दीन ओवैसी विधायक बन जाता है और गरीबों तक कल्याणकारी योजनाएँ पहुँचाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विलेन बना कर प्रचारित किया जाता है। रामनवमी के दिन हिंसा का सन्देश है – ‘देश में अब हमारे इलाके बन गए हैं। वहाँ हिन्दू अपने त्योहार नहीं मना सकेंगे। मनाएँगे, तो हम हिंसा करेंगे। फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झूठ फैलाएँगे कि हमारा नरसंहार हो रहा है।’

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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