कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी (Congress Leader Rahul Gandhi) ने 2 फरवरी 2022 को देश की संसद में 40 मिनट तक भाषण दिया। इस दौरान उनके अजीबोगरीब व्यवहार देखने को मिले। उन्होंने भावनात्मक बयान, इतिहास के संदर्भ, भू-राजनीति और वह सब ‘बौद्धिक’ बूस्टर डोज दिए, जो आज समाचार चैनलों की सुर्खियाँ बनी हुई हैं, वह सिर्फ कॉन्ग्रेस के वोट को बढ़ाने का ड्रामा था।
राहुल गाँधी ने जो हाई प्रोफाइल ड्रामा किया उस पर खूब सीटी बजी। यह सिर्फ राहुल गाँधी का हेडलाइन में बने रहने का किया गया नाटक था और लक्ष्य भाजपा नहीं कोई और था। दरअसल, 2 फरवरी के दिन देश के दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने ऐलान किया कि वो भविष्य का राजनीतिक संभावनाओं के लिए गठबंधन की तलाश में महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से मिलने मुंबई जाना चाहते हैं।
There’s need for qualitative (leadership) change in the country; will be going to Mumbai to meet Shiv Sena chief Uddhav Thackeray to hold talks over it…We’ve to rewrite our Constitution. Nayi Soch, Naya Samvidhan(new constitution) should be brought in: KC Rao,Telangana CM(1.02) pic.twitter.com/41IvbOigLS
— ANI (@ANI) February 2, 2022
हालाँकि, इससे पहले भी केसीआर इस तरह की कोशिशें कर चुके हैं। 2019 के चुनावों से पहले उन्होंने ओडिशा, बंगाल, यूपी का दौरा कर कई क्षेत्रीय पार्टियों से मुलाकात की थी। वो तीसरे मोर्चे की तलाश में थे, लेकिन उनकी ये कोशिश फेल हो गई थी। कॉन्ग्रेस केसीआर की इन कोशिशों से नाखुश थी। उसने कहा था कि केसीआर केवल भाजपा की मदद करेंगे। जाहिर सी बात है कि जो पार्टी हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर गाँधी परिवार के पैरों में नहीं गिरेगा, वह भाजपा की ‘बी टीम’ हो जाएगी।
Telangana Pradesh Congress Committee General Secy Sravan Dasoju writes to various leaders incl. Mamata Banerjee, MK Stalin, Naveen Patnaik & others, says, ‘KCR’s federal front is a farce & serious political conspiracy being hatched at behest of PM Modi & Amit Shah.’ (File Pic) pic.twitter.com/fzoVJ0XBzW
— ANI (@ANI) May 5, 2018
2024 के लिए कमर कस रहीं ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी 2 फरवरी 2022 को कहा कि वो राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी का मुकाबला करेंगी। उन्होंने कहा कि उनकी टीएमसी 2024 के आम चुनाव में यूपी से ताल ठोकेगी। यह जानते हुए भी कि ममता बनर्जी का यूपी में कोई जनाधार नहीं है, वहाँ से लोकसभा चुनाव लड़ने का मतलब सिर्फ एक चीज है कि वह है केंद्र में भाजपा को चुनौती देने की योजना बना रही हैं।
इससे पहले दिसंबर 2021 में ममता ने कहा था, ‘कोई यूपीए नहीं है’। ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र का दौरा कर एनसीपी और शिवसेना के नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक तौर पर कॉन्ग्रेस अब समाप्त हो चुकी है। भाजपा को कड़ी चुनौती देने के किसी भी प्रयास को कॉन्ग्रेस और उसके असफल नेताओं के बिना ही करना होगा।
A firm alternative course should be made as nobody’s fighting against ongoing fascism. Sharad Ji is the seniormost leader & I came to discuss our political parties. I agree with whatever Sharad Ji said. There is no UPA: WB CM Mamata Banerjee after meeting NCP Chief Sharad Pawar pic.twitter.com/P2GdlA9JlA
— ANI (@ANI) December 1, 2021
तीसरे मोर्चे की कोशिश कर चुकी हैं ममता
ममता बनर्जी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी। विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने की कोशिशों के तहत कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में उन्होंने एक बड़ी रैली का आयोजन किया था। वो कई बार सोनिया गाँधी से भी मिली थीं। हालाँकि, सहमति नहीं बन सकी।
AAP and TMC are B team of BJP. https://t.co/JqBmYXRgfv
— Sachidananda Rai (@RaiSachidananda) January 30, 2022
गाँधी परिवार का घमंड नहीं बनने देता विपक्षी गठबंधन
हाल के वर्षों में ये देखा गया है कि गाँधी परिवार के युवराज (राहुल गाँधी) और राजकुमारी (प्रियंका गाँधी) प्रचार करते रहते हैं, लेकिन हर बार इन्हें हार नसीब होती है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार नेतृत्व में बदलाव पर जोर दिया, लेकिन गाँधी परिवार सत्ता को दूसरे को सौंपने के लिए तैयार ही नहीं है।
संसद में राहुल गाँधी का आइटम नंबर केसीआर और ममता को न्यूज की सुर्खियों से दूर रखने, उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने से रोकने की कोशिश था। अगर कॉन्ग्रेस ‘लोकतंत्र को बचाने’ और लोगों को विकल्प देने की इच्छुक है तो उसे अपनी गलती मानकर आगे बढ़कर ममता या केसीआर जैसे नेताओं को समर्थन करना चाहिए था।
संसद में राहुल गाँधी की नौटंकी
संसद में राहुल गाँधी ने किसी फिल्म में आइटम नंबर की तरह कथानक में कुछ नहीं जोड़ा, केवल क्षणिक संतुष्टि पाने वाले लोगों को सस्ती हेडलाइन देकर स्क्रीन टाइम बर्बाद किया। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए हेल्दी विपक्ष होना चाहिए। कॉन्ग्रेस जो वर्षों से चोरी छिपे करती आई है वो राहुल गाँधी ने खुले में स्वीकार कर लिया है। कॉन्ग्रेस ने ही चीन के साथ एमओयू साइन किया था। राहुल गाँधी के लिए भारत सिर्फ एक ‘राज्यों का संघ’ है, उनके लिए देश सिर्फ टुकड़ों का एक समूह है।