Thursday, September 12, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देपश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की सुरक्षा और ममता बनर्जी की सरकार: 2021 और 2023...

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की सुरक्षा और ममता बनर्जी की सरकार: 2021 और 2023 से नहीं लिया सबक, अब 2024 की वीभत्स घटना से कठघरे में TMC की नीतियाँ

साल भर पहले, एक जूनियर डॉक्टर पर एक मरीज के परिजनों द्वारा हिंसक हमला किया गया था। इसमें TMC के ही एक नेता की गिरफ्तारी भी हुई थी। उस कारण से राज्यव्यापी हड़ताल हुई थी। उस समय, डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कई वादे किए थे, लेकिन हकीकत में स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिखा। 

पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए डॉक्टर की रेप और मर्डर की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने मेडिकल कॉलेजों में हो रही सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में हुई इस घटना ने मेडिकल समुदाय के बीच गहरे आक्रोश को जन्म दिया है। इस क्रूर घटना में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना सामने आई है, जिससे मेडिकल समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।

पहले भी हुई घटनाएँ, नहीं लिया सबक

यह पहली बार नहीं है जब पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ सामने आई हैं। साल भर पहले, एक जूनियर डॉक्टर पर एक मरीज के परिजनों द्वारा हिंसक हमला किया गया था। इसमें TMC के ही एक नेता की गिरफ्तारी भी हुई थी। उस कारण से राज्यव्यापी हड़ताल हुई थी। उस समय, डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कई वादे किए थे, लेकिन हकीकत में स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिखा। 

इसके बाद भी डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाएँ लगातार सामने आती रहीं। 2021 में एक अन्य डॉक्टर पर शारीरिक हमला हुआ, जब एक मरीज की मौत के बाद उसके परिवार ने डॉक्टर पर दोषारोपण किया था। इस घटना के बाद भी सरकार ने कड़ी सुरक्षा का भरोसा दिलाया था, लेकिन ऐसा लगता है कि वादों का असर वास्तविकता में देखने को नहीं मिला।

डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ते अपराध: एक गंभीर समस्या

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ लगातार बढ़ रही हैं। यह चिंता सिर्फ डॉक्टरों की नहीं, बल्कि उन मरीजों की भी है, जो इन डॉक्टरों पर अपने जीवन का भरोसा करते हैं। जब डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं होंगे, तो वे अपने मरीजों की देखभाल कैसे कर पाएँगे? 

डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ते अपराध और हिंसा के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, मरीजों के बीच बढ़ती असंतोष, और कानून-व्यवस्था की कमजोर स्थिति शामिल हैं। लेकिन इस सब के बीच, डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। डॉक्टरों को न केवल अपने काम के दौरान, बल्कि अपने घरों और जीवन में भी सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है।

राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल

पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जो नीतियाँ और कदम उठाए हैं, वे अब गंभीर रूप से सवालों के घेरे में हैं। डॉक्टरों के खिलाफ हो रही हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि राज्य सरकार की नीतियों में बड़ी खामियाँ हैं। 

पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले भी डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उपायों की घोषणा की थी, लेकिन हाल की घटनाओं ने इन वादों की सच्चाई को उजागर कर दिया है। सरकार की नीतियों की नाकामी का परिणाम यह हुआ है कि डॉक्टर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, और इसका सीधा असर मरीजों की देखभाल पर पड़ता है। 

सुरक्षा की माँग और राज्यव्यापी आंदोलन की आशंका

चिकित्सा समुदाय में इस समय व्यापक असंतोष है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों ने इस मामले की सीबीआई की माँग की है, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके। इसके साथ ही, डॉक्टरों के संगठनों ने संकेत दिया है कि अगर सरकार ने इस दिशा में त्वरित और प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो राज्यव्यापी हड़ताल की संभावनाएँ प्रबल हो सकती हैं।

डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता से चिकित्सा समुदाय में भारी निराशा है। डॉक्टरों के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है। अगर सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो इसका असर पूरे राज्य की चिकित्सा सेवाओं पर पड़ेगा। 

केंद्रीय डॉक्टर संरक्षण अधिनियम की माँग

इस दुखद घटना के बाद, डॉक्टरों ने केंद्रीय डॉक्टर संरक्षण अधिनियम के शीघ्र कार्यान्वयन की माँग की है। इस अधिनियम के तहत न केवल डॉक्टरों बल्कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा। डॉक्टरों ने सरकार से इस कानून के लिए समयबद्ध कार्य योजना की भी माँग की है। साथ ही, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी माँगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

समाधान और आगे का रास्ता

राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसके लिए न केवल नए कानूनों की आवश्यकता है, बल्कि मौजूदा कानूनों को भी सख्ती से लागू करना होगा। अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, डॉक्टरों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा पर कड़ी सजा का प्रावधान करना, और मरीजों व उनके परिजनों को स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है। 

इसके अलावा, सरकार को चिकित्सा पेशेवरों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझकर समाधान निकालना चाहिए। डॉक्टरों की सुरक्षा सिर्फ एक नीतिगत मुद्दा नहीं है, यह समाज की स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियाद से जुड़ा हुआ सवाल है। अगर डॉक्टर सुरक्षित नहीं होंगे, तो स्वास्थ्य सेवाओं का ढाँचा कमजोर पड़ जाएगा। 

निष्कर्ष

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाओं ने राज्य सरकार की नीतियों और सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर इस दिशा में तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह राज्य की चिकित्सा सेवाओं के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को अब ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Vivek Pandey
Vivek Pandey
Vivek Pandey is an Indian RTI Activist, Freelance Journalist, MBBS, Whistelblower and youtuber. He is Writing on RTI based information, social and political issue's also covering educational topics for Opindia. He is also well known for making awareness, educational and motivational videos on YouTube.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पुणे में गणपति विसर्जन पर खूब बजेंगे ढोल-नगाड़े, CJI चंद्रचूड़ वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दी हरी झंडी: NGT ने लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने गणपति विसर्जन में ढोल-ताशे की संख्या पर सीमा लगाने वाले करने वाले NGT के एक आदेश पर रोक लगा दी है।

महंत अवैद्यनाथ: एक संत, एक योद्धा और एक समाज सुधारक, जिन्होंने राम मंदिर के लिए बिगुल फूँका और योगी आदित्यनाथ जैसे व्यक्तित्व को निखारा

सन 1919 में जन्मे महंत अवैद्यनाथ को पहले 'कृपाल सिंह बिष्ट' के नाम से जाना जाता था। उन्हें योगी आदित्यनाथ के रूप में अपना उत्तराधिकारी मिला।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -