घटिया एक्टिंग और मूर्खता भरी बातों की प्रतिमूर्ति स्वरा भास्कर अपने ‘गिरोह विशेष’ के कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा के बचाव में आगे आई हैं। उनका कहना है कि देश के लोग इस बात से ज्यादा चिंतित दिख रहे हैं कि एक स्टैंडअप कॉमेडियन ने किसी को फ्लाइट में परेशान किया। लेकिन लोग बन्दूक लेकर घूम रहे हैं और फायरिंग कर रहे हैं उस पर वे चिंतित नजर नहीं आ रहे। स्वरा जब ये बोल रही थीं, तब अभिनेता जीशान अयूब भी उनके बगल में बैठे हुए थे। इस दौरान स्वरा ने सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान किया।
स्वरा भास्कर ने कहा कि एक ‘स्टैंड अप कॉमेडियन’ ने ‘किसी व्यक्ति’ को परेशान किया। यहाँ कुछ बातें स्पष्ट करना ज़रूरी है। स्वरा ने फालतू चुटकुले मार के ख़ुद हँसने वाले कुणाल कामरा के प्रोफेशन का तो जिक्र किया है लेकिन अर्नब गोस्वामी को ‘किसी व्यक्ति’ कहा। ज्ञात हो कि फ्लाइट में सफर के दौरान कामरा ने अर्नब को उत्पीड़ित किया था। उन्हें डरपोक तक बताया था। इसके बाद इंडिगो और एयर इंडिया सहित कई फ्लाइट सेवाओं ने कामरा को प्रतिबंधित कर दिया। बावजूद इसके कामरा नहीं सुधरा और वो लगातार अर्नब को निशाना बनाता रहा।
अर्नब गोस्वामी ‘कोई व्यक्ति’ नहीं हैं, ये सबको पता है। अंग्रेज़ी न्यूज़ कैटेगरी में लगातार कई महीनों तक नंबर एक पर रहने वाले चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक हैं और उनके सबसे बड़े शो ‘नेशन वांट्स टू नो’ के एंकर भी हैं। लेकिन, स्वरा की नज़र में कामरा और उसका प्रोफेशन जिक्र करने लायक है क्योंकि वो उनके गिरोह से है लेकिन अर्नब गोस्वामी उनकी नज़र में कोई नहीं हैं। वामपंथियों की यही आदत होती है- जो आपके विरोधी हैं, न नकी इज्जत करो और न ही उनके काम की। स्वरा ने भी जाहिर कर दिया कि उनके विपरीत विचार रखने वालों के लिए उनके मन में कोई इज्जत नहीं।
ख़ैर, यहाँ इस बात का भी जवाब देना आवश्यक है कि बन्दूक लेकर कौन घूम रहा है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जनवरी 3, 2020 को राजस्थान स्थित भरतपुर निवासी एक व्यक्ति को 20 अवैध पिस्तौल के साथ गिरफ़्तार किया। उसके पास से 50 कारतूस भी मिले। यहाँ ये सवाल भी उठ सकता है कि जामिया नगर और शाहीन बाग़ में किसी ने हवाई फायरिंग कर दी और स्वरा को देश ख़तरे में नज़र आने लगा, लेकिन एक व्यक्ति 20 अवैध पिस्तौल के साथ गिरफ़्तार किए जाने के बावजूद चर्चा का विषय नहीं बना? सिर्फ़ इसीलिए, क्योंकि उसका नाम साजिद है।
स्वरा भास्कर यहीं नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने तो देश की शीर्ष अदालत को भी निशाने पर ले लिया। बकौल स्वरा, सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस को ग़ैर-क़ानूनी माना है और उसी फ़ैसले में राम मंदिर की ज़मीन उन्हीं को सौंप दी, जिन्होंने मंदिर तोड़ी थी। नहीं, राम मंदिर उन्हें नहीं सौंपा गया जिन्होंने मंदिर तोड़ी थी। राम मंदिर की जमीन रामलला विराजमान को सौंपी गई, जो इसके असली मालिक थे और जिनकी ज़मीन पर आतंकी बाबर के गुर्गों ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से मंस्जिद बना ली थी। और हाँ, राम मंदिर की ज़मीन इस देश के प्रति, यहाँ की मिट्टी के प्रति आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों को सौंपी गई है।
जरा सोचिए, अगर वामपंथी विरोधी गुट से किसी ने किसी ट्रायल कोर्ट के भी फ़ैसले पर सवाल उठाया होता तो कितना आउटरेज होता? लेकिन यहाँ सुप्रीम कोर्ट को ही पेट भर भला-बुरा कहा जा रहा है लेकिन कोई चूँ तक नहीं कर रहा। इसे ही दोहरा रवैया कहा गया है। इसे दोमुँही प्रवृत्ति भी कह सकते हैं। एक तरफ़ ये संविधान का पाठ करते हैं और दूसरी तरफ देश की शीर्ष न्याय व्यवस्था को गाली देते हैं। मैडम को संविधान में आस्था भी जतानी है, मैडम को न्यापालिका को गालियाँ भी बकनी है और मैडम को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार द्वारा संवैधानिक प्रक्रिया से बनाने गए क़ानून को असंवैधानिक भी बताना है। ऐसे कैसे चलेगा मैडम?
What Crap are you vomiting @ReallySwara ? U shld be tried for mocking the SC :: pic.twitter.com/xdzYHJM4SL
— mamta Nigam ममता ! (@mamtan14) February 8, 2020
फेक न्यूज़ फैलाने में तो वामपंथी गुट का कोई सानी नहीं। स्वरा ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने मुस्लिमों के घरों में घुस कर उन्हें मारा-पीटा और उनकी संपत्ति जला डाली, क्योंकि वो लोग माँसाहारी हैं। उनका इशारा उत्तर प्रदेश से आई एक फेक न्यूज़ को लेकर था, जिस पर राणा अयूब सरीखों ने ख़ूब हंगामा किया था। अयूब का तो यहाँ तक कहना था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी पुलिस के साथ मिल कर ऐसा कर रहे हैं। न तो इसका कोई सबूत सामने आया और न ही कोर्ट में उन्हें कोई सफलता हासिल हुई। फ़र्ज़ी ख़बरों पर ही अगर लोगों को भड़काना है तो स्वरा भास्कर इस मामले में टॉप पर प्रतिस्पर्द्धा करती दिखती हैं।
स्वरा भास्कर ने कहा कि लोग हत्या को बुरा नहीं मानते और किसी ने किसी को उत्पीड़ित कर दिया तो लोग ग़लत मानते हैं। ऐसा कह के कितनी आसानी से हज़ारों मौतों के जिम्मेदार इस्लामी आतंकवाद और वामपंथी आतंकवाद को कमतर दिखाया जाता है। क्यों? क्योंकि किसी ने जामिया नगर और शाहीन बाग़ में पिस्तौल लहरा दी। दो लोगों ने पिस्तौल लहरा दिया, इसका मतलब ये है कि इस्लामी आतंकवाद और नक्सल आतंकवाद की बात नहीं की जाएगी और सारी हत्याओं के लिए उन्हीं दो लगों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। और हाँ, उनमें से एक के केजरीवाल की पार्टी से लिंक सामने आए हैं, उसे छिपाना तो परम उद्देश्य होना चाहिए।
जैसा कि वामपंथियों की आदत है, स्वरा ने भी पहले देश में लोकतंत्र के ख़ात्मे की बात कही और फिर इसके लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनका कहना था कि ये सब 1925 से शुरू हुआ है, क्योंकि संघ की स्थापना भी उसी साल हुई। एक झूठ और फिर उस झूठ को सच बता कर उसकी जिम्मेदारी अपने टारगेट पर डालने डालने के लिए एक और झूठ। झूठ बोल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करना और फिर उसके लिए भाजपा, संघ, हिंदुत्व को जिम्मेदार ठहरा देना- ये वामपंथियों का फेवरेट ट्रेंड है।
बात वही है। कुणाल कामरा अगर किसी के साथ कुछ ग़लत करता है तो वो ‘एक्ट ऑफ रेजिस्टेंस’ है और पाकिस्तान से आए इस्लामी कट्टरपंथी आतंकी हजारों लोगों को मार डालें, तो भी आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। व्हाट्सप्प ग्रुप्स में मैसेजों को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताने वाली स्वरा भास्कर ने अगर ख़ुद सीएए पढ़ा होता तो शायद ये नौबत ही नहीं आती। या ये भी हो सकता है कि इस गिरोह विशेष के अधिकतर लोगों ने पढ़ रखा है लेकिन वो नहीं चाहते कि जनता का एक बड़ा वर्ग इसे पढ़े। तभी तो दो हवाई फायरिंग से इस्लामी आतंकवाद गौण हो जाता है।