Friday, April 19, 2024
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घर में घुस कर मार रहे हैं RSS कार्यकर्ता और UP पुलिस: राणा अयूब का झूठ बेनकाब

बकौल राणा अयूब मुज़फ्फरनगर और कानपुर में मुस्लिम बहुल इलाक़ों में हमला किया जा रहा है। हारून रियाज सहित कई बुद्धिजीवियों ने उनकी बातों का समर्थन किया और इस अफवाह को आगे बढ़ाया।

प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब ने उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रोटेस्ट की आड़ में झूठ फैलाया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में लेख लिख भारत की नकारात्मक छवि बनाने का प्रयास करने वाली राणा अयूब वेस्टर्न मीडिया के लिए नई अरुंधति राय बन बनती जा रही हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से वो झूठ और अफवाहों का ऐसा जाल बिछाती हैं कि लोगों को उनकी बातें सच लगने लगती हैं। अबकी उन्होंने यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राणा अयूब ने लिखा कि मुज़फ्फरनगर और कानपुर से कुछ हृदय विदारक ख़बरें आ रही हैं।

बकौल राणा अयूब, इन दोनों जिलों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और और पुलिस साथ मिल कर मुस्लिम बहुल इलाक़ों में हमला कर रही है। घरों में घुस कर कथित अल्पसंख्यकों को मारा जा रहा है। राणा अयूब ने दावा किया कि ऐसा ख़ुद स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मजहब विशेष के लोगों के घर और गाड़ियों को आग के हवाले किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस व संघ कार्यकर्ताओं की क्रूरता के कारण कथित अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। राणा अयूब ने इस घटना की तुलना 2002 के गुजरात दंगों से की।

साथ ही राणा अयूब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रामलीला मैदान में हुई विशाल रैली पर भी तंज कसा। उन्होंने पूछा कि क्या धारा-144 सिर्फ़ प्रदर्शनकारियों के लिए है? बाद में लोगो ने उन्हें याद दिलाया कि न तो दिल्ली के सभी क्षेत्रों में धारा-144 लागू है और न ही रामलीला मैदान या उसके आसपास वाले इलाक़ों में।

इसके बाद राणा अयूब को यूपी पुलिस ने फटकार लगाई। उत्तर प्रदेश पुलिस ने साफ़ कहा कि वो ऐसे किसी को आरोप का खंडन करती है। साथ ही पुलिस ने अयूब को एक ‘जिम्मेदार रिपोर्टर’ की परिभाषा भी समझाई और कहा कि वो अपने बयान की पुष्टि के लिए सबूत पेश करें। इसके बाद राणा अयूब ने दावा किया कि खंडन करने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने पुलिस को कोई सबूत नहीं दिया और कहा कि उनकी टाइमलाइन पर सबूत पड़े हुए हैं। अयूब ने कहा कि और नए एविडेंस भी आएँगे।

हालाँकि, यूपी पुलिस ने जब राणा अयूब की टाइमलाइन को खँगाला तो उसमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिससे पता चल सके कि उन्होंने पुलिस व आरएसएस पर जो आरोप लगाए हैं, वो सही हैं। यूपी पुलिस ने कहा कि राणा अयूब की टाइमलाइन पर जो भी है, वो दिखाता है कि पुलिस क़ानून-व्यवस्था कायम करने के लिए कार्रवाई कर रही है और इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है। यूपी पुलिस ने कहा:

“आपकी टाइमलाइन को देख कर ये पता चलता है कि उपद्रवियों की भीड़ ने एक पुलिस चौकी और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। अगर आप कोई स्पष्ट सबूत दे पाती हैं तो आपका स्वागत है।”

जैसा कि अपेक्षित था, राणा अयूब के पास अपने झूठे बयान की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं था। फिर भी, हारून रियाज सहित कई बुद्धिजीवियों ने उनकी बातों का समर्थन किया और इस अफवाह को आगे बढ़ाया। हारून ने तो यहाँ तक दावा किया कि यूपी में भाजपा सांसद संजीव बालियान ने ही मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा की शुरुआत की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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