Friday, November 22, 2024
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आज EVM से निकले नंबरों का जश्न मना रहा विपक्ष, कल फिर देंगे गाली, क्योंकि दोगलई है जो जाती नहीं

ये खुद को इसका श्रेय भी दे सकते हैं कि इनके कार्यकर्ताओं ने रात भर जाग कर निगरानी की इसीलिए EVM हैकिंग संभव नहीं हो पाया।

किसी गाने की एक पंक्ति थी – ‘बदले-बदले से सरकार नज़र आते हैं’। आज ये पंक्ति भारत के विपक्षी दलों के ऊपर एकदम फिट बैठती है। बदले-बदले से इसीलिए नज़र आते हैं, क्योंकि आज कोई EVM को गाली नहीं दे रहा। अचानक से EVM हैक होने की चर्चा ही बंद हो गई है। अब चर्चा है जनता के नाराज़ होने की, नैरेटिव है भाजपा के हार की और आरोप अब EVM की जगह DM पर शिफ्ट हो गया है। बता दें कि आदर्श अचार संहिता लागू लागू होने के बाद सामान्यतः DM ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी होते हैं और मतदान-मतगणना की प्रक्रिया उनकी ही निगरानी में होती है।

अब राहुल गाँधी के सलाहकार जयराम रमेश कह रहे हैं कि अधिकारियों को फोन कॉल जा रहा है ‘ऊपर से’ कि वो अंतिम परिणामों में हेरफेर करें, मतगणना की प्रक्रिया में देरी की जा रही है, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर रिजल्ट्स अपडेट नहीं किए जा रहे हैं और मतगणना में धाँधली हो रही है। हालाँकि, इन सबमें कहीं EVM का नाम नहीं लिया जा रहा। कारण – कारण ये कि कॉन्ग्रेस पार्टी को पिछली बार के मुकाबले 47 सीटें अधिक मिल गई हैं। भाजपा की 64 सीटें कम हो गई हैं।

यही कारण है कि EVM पर निशाना नहीं साधा जा रहा है। विपक्षी दलों का पूरा ध्यान अब अधिकारियों को धमकाने पर है, मशीन पर हैं। याद कीजिए, एक समय था जब विधानसभा में लाइव दिखाया गया था कि EVM हैक हो सकता है। AAP विधायक सौरभ भारद्वाज एक कोई EVM जैसी दिखने वाली मशीन लेकर आए थे, साथ ही दावा किया था कि एक निश्चित कोड डाल कर इसे हैक किया जा सकता है। उनका कहना था कि मदरबोर्ड में गड़बड़ी की जा सकती है, इसे रिसेट किया जा सकता है ताकि टेस्ट के समय कुछ और परिणाम दिखें और असली पोलिंग के दौरान कुछ और।

हालाँकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि ये संभव नहीं है। संस्था ने बताया था कि कैसे जो नए M3 EVM आ रहे हैं उनमें टैम्पर-डिटेक्शन है, यानी कोई मशीन को खोलने की कोशिश भर करता है तो इसके बाद वो काम करना बंद कर देगा। चुनाव आयोग समझाता रहा कि कैसे हर साल EVM को चेक किया जाता है, नियमित अंतराल पर अधिकारी उसका निरीक्षण करते हैं, कोई अनाधिकारिक व्यक्ति उसे इस्तेमाल नहीं कर सकता और उसमें डबल लॉक सिस्टम है – लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था।

वहीं अब ये सारी चर्चाएँ गायब हैं। याद कीजिए, कैसे ये लोग सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचे थे कि सभी EVM को VVPAT (वोट देने के बाद निकलने वाली पर्ची) से लैस किया जाए और शत-प्रतिशत वेरिफिकेशन किया जाए, हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने ये माँग रद्द करते हुए स्पष्ट कहा कि इससे देश बैलेट पेपर वाले युग में वापस चला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि EVM सरल है, सुरक्षित है और इस्तेमाल करने में आसान है। इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया था कि कैसे बैलेट पेपर के युग में बूथ लूटने की घटनाएँ होती थीं।

मतगणना वाले दिन मंगलवार (4 जून, 2024) की सुबह मैं TV पर न्यूज़ में चर्चा देख रहा था। इस दौरान विपक्षी दल के एक प्रवक्ता से पूछा गया कि EVM हैक है या नहीं? उन्होंने बड़ा अजीबोगरीब जवाब दिया कि अगर इन्होंने 5% EVM हैक किया होगा और जनता 10% इनके खिलाफ हो जाएगी तो इनकी हार ही होगी। यानी, जो ‘सर्वशक्तिमान’ सरकार EVM हैक कर सकती है, वो ये नहीं पता कर सकती कि किस पार्टी को किटें वोट मिले हैं और जीत के लिए उसे कितने वोट्स चाहिए।

ये बड़ा ही बचकाना लॉजिक देते हैं। अब ये कहेंगे कि इनके डर से EVM हैक करने में भाजपा सफल नहीं हुई। ये खुद को इसका श्रेय भी दे सकते हैं कि इनके कार्यकर्ताओं ने रात भर जाग कर निगरानी की इसीलिए EVM हैकिंग संभव नहीं हो पाया। इस पर एक कहानी बरबस ही याद आ जाती है। एक चिड़िया पाँव उठा कर सोती थी, किसी ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि आसमन गिरने की स्थिति में वो अपने पाँव पर आसमान को रोक सके, इसीलिए वो ऐसा करती है। विपक्ष की यही स्थिति है अभी।

2014 के बाद कई राज्यों में कॉन्ग्रेस को जीत मिली। मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कॉन्ग्रेस ने राज किया। क्या इन राज्यों में जब कॉन्ग्रेस जीती तब EVM हैक नहीं था? जैसे ही लोकसभा चुनाव आते हैं, इनका रोना शुरू हो जाता है। भाजपा भले ही पूर्ण बहुमत से 33 सीटें पीछे रह गई, लेकिन किसी भाजपा के नेता या कार्यकर्ता को EVM को दोष देते हुए नहीं देखा गया। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में तो विपक्ष का ही शासन है, वहाँ भाजपा को उतनी सीटें भी नहीं मिलीं, फिर भी कोई ईवीएम को दोष नहीं दे रहा।

आखिर क्या कारण है कि 3 जून, 2024 तक भारत में तानाशाही थी और EVM हैक हो सकता था, लेकिन इसके अगले ही दिन यही आरोप लगाने वाले लोग इसी EVM से निकले परिणाम का जश्न मना रहे हैं? अचानक से लोकतंत्र वापस आ गया है, चुनाव आयोग ठीक से काम कर रहा है और EVM में कोई गड़बड़ी नहीं है। कल तक यही लोग हिंसा की धमकी दे रहे थे। बलिया से सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय कह रहे थे कि DM की लाश बाहर आएगी, तो पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव अपने कार्यकर्ताओं को कफ़न बाँध कर आने की सलाह दे रहे थे।

यानी, हम कह सकते हैं कि इस बार हर सीट पर भाजपा या कॉन्ग्रेस या कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, इस चुनाव में EVM लीड कर रही थी। क्या अब विपक्ष ये वादा करेगा कि 2029 के लोकसभा चुनावों में अगर उसकी हार होती है तो वो EVM पर सवाल खड़ा नहीं करेंगे? EVM बनाने वाले भी आज चैन की साँस ले रहे होंगे क्योंकि कोई उन्हें नहीं कोस रहा। पश्चिम बंगाल में ममता बर्नजी की TMC को भी 29 सीटें आ रही हैं, ऐसे में वो भी ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठा रही हैं।

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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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