बॉलीवुड से जुड़े कई बड़े सितारों का नाम ड्रग्स मामले में सामने आ चुका है। कई से पूछताछ हो रही है और कई से पूछताछ होने वाली है। हर नए दिन कोई न कोई हैरान कर देने वाला खुलासा हो रहा है। जिन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को चाहने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों में है, उन पर जाँच की तलवार लटक रही है।
इस मुद्दे पर पूरा बॉलीवुड दो खेमों में बँट गया है, पहला जो चाहता है कि जाँच निष्पक्ष तरीके से हो और सच सामने आए। दूसरा जो लगातार बचाव कर रहा है। बॉलीवुड का यह दूसरा हिस्सा तमाम बेबुनियाद दलीलों के ज़रिए यह साबित करने पर तुला हुआ है – ‘सब चंगा सी’
इस बात की नज़ीर पेश हुई सितंबर 26, 2020) को ट्विटर पर। एक हैशटैग ट्रेंड हुआ #StandWithDeepika यानी हम दीपिका के साथ खड़े हैं। भले दीपिका ‘K’ से पूछ रही हों, “माल है क्या?” और ड्रग्स पर चैट करने वाले व्हाट्सएप ग्रुप की एडमिन हों… लेकिन हैशटैग ट्रेंड हुआ!
यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं है, जब बॉलीवुड ‘बॉलीवुड’ से जुड़े लोगों के कृत्यों का बचाव कर रहा है। बॉलीवुड का इतिहास ऐसे दृष्टान्तों से लदा हुआ है, जब बॉलीवुड के लोगों ने हर गलत बात को सिरे से खारिज करते हुए बचाव धर्म का निर्वहन किया।
इससे पहले दीपिका पादुकोण ने जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुई हिंसा को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इसके बाद दीपिका ने कहा था कि उन्हें इस बात पर गर्व होता है कि आज लोग बिना डरे अपनी आवाज़ रख रहे हैं। इस बात पर बाद में खूब विवाद भी हुआ था क्योंकि दीपिका जिन लोगों के समर्थन में खड़ी थीं, उसमें 19 छात्रों के खिलाफ खुद जेएनयू प्रशासन ने मामला दर्ज किया था।
हालाँकि देश में हो रहे किसी भी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनना गलत नहीं कहा जा सकता, लेकिन सवाल यहाँ उठता है कि शामिल होने वाले की मंशा क्या है। संयोग की बात है कि उस दौरान ही दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ रिलीज़ होने वाली थी।
चूँकि मुद्दा महिलाओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए महिलाओं के नज़रिए से ही शुरुआत करते हैं। साल 2018 के दौरान एक मुद्दे ने रातों रात पूरे देश को चर्चा की एक वजह दी, वह मुद्दा था- #Metoo, लेकिन इस मुद्दे पर कुछ लोगों के बयान ऐसे थे कि ज़िम्मेदार नागरिक की समझदारी दम तोड़ दे। तब बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफ़र सरोज खान ने खूब ‘नाम’ कमाया था। उन्होंने ‘मीटू’ और कास्टिंग काउच जैसे संवेदनशील मसले पर बेहद बेतुका बयान दिया था।
सरोज खान ने कहा था, “यह कोई नई बात नहीं है, इस तरह की चीज़ें बाबा आदम के ज़माने से हो रही हैं। हर लड़की के ऊपर कोई न कोई हाथ साफ़ करने की कोशिश करता है। सरकार के लोग भी ऐसा करते हैं, तुम फिल्म इंडस्ट्री के पीछे क्यों पड़े हो? इंडस्ट्री कम से कम रोटी तो देती है। रेप करके छोड़ तो नहीं देती है।” बयान से स्पष्ट है कि सरोज खान के मुताबिक़ इंडस्ट्री में होने वाली शोषण और बलात्कार की घटनाएँ जायज़ हैं।
हाल ही में पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी से सांसद जया बच्चन ने भी ड्रग्स के मुद्दे चौंकाने वाली बात कही। दरअसल बॉलीवुड अभिनेता और भाजपा सांसद रवि किशन ने लोकसभा में बॉलीवुड और ड्रग्स नेटवर्क को लेकर आवाज़ उठाई थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जया बच्चन ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया में फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केवल मुट्ठी भर लोगों के कारण आप पूरे बॉलीवुड को ड्रग्स एडिक्टेड नहीं बता सकते, उनकी छवि नहीं खराब कर सकते।
जया बच्चन ने रवि किशन पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद भी करते हैं। जया बच्चन ने रवि किशन पर निशाना साधते हुए कहा कि वो इस बात से शर्मिंदा हैं कि एक दिन पहले उसी सांसद ने बॉलीवुड में ड्रग्स की बात करते हुए पूरी इंडस्ट्री को भला-बुरा कहा, जो इसी का एक हिस्सा हैं।
ये तो हुई अभी की बात। लेकिन पहले सब दूध से धुला था, ऐसा नहीं है। आज से लगभग 26 साल पहले संजय दत्त के मामले में भी आज जैसी ही तस्वीर तैयार हुई थी और तस्वीर बनाने वाले कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड के लोग ही थे। 12 मार्च साल 1993 के दौरान मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इस मामले में बॉलीवुड से जुड़े कई लोगों का नाम सामने आया था।
इसमें सबसे ज़्यादा चर्चित रहा संजय दत्त का नाम, जिन्हें अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीकी से अवैध हथियार लेकर रखने और नष्ट करने का आरोपित पाया गया था। आखिरकार मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में शामिल होने के आरोप में 4 जुलाई साल 1994 को उन्हें न्यायिक हिरासत में लिया गया था। संजय दत्त को आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (TADA Act) के तहत आरोपित पाया गया था।
अगले दिन पूरा बॉलीवुड तख्तियाँ लेकर मुंबई की सड़कों पर नज़र आया। रातों रात ‘Sanju, we’re with u’ के हज़ारों पोस्टर छपवाए गए। तथाकथित पूरा ‘बॉलीवुड परिवार’ जिसमें दिलीप कुमार से लेकर यश चोपड़ा तक और सायरा बानो से लेकर अमरीश पुरी तक मौजूद थे।
इसके अलावा शाहरुख खान, सलमान खान, सैफ अली खान, अनुपम खेर, महेश भट्ट, करिश्मा कपूर, अजय देवगन, अक्षय कुमार, रवीना टंडन, जैकी श्रॉफ और उस ज़माने की मशहूर अदाकारा आशा पारेख भी मौजूद थीं। यह सभी कलाकार संजय दत्त के समर्थन में हाथ में तख्तियाँ और पोस्टर लेकर खड़े थे। सुनील दत्त कॉन्ग्रेस पार्टी से सांसद थे, इसके बावजूद उन्होंने खुद इस मामले में 1995 के दौरान शिवसेना मुखिया बाल ठाकरे से मदद माँगी थी।
यह तो कुछ बचाव करने वाले लोग हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इस बात का बेहतर उदाहरण हैं कि पहले बॉलीवुड कितना नॉन पॉलिटिकल (गैर राजनीतिक) था, मतलब उन्हें सिर्फ अपनी इंडस्ट्री से मतलब था, राजनीति कम घुसाते थे। अब राजनीति पहले घुसती है और इंडस्ट्री के खेमे अपने-अपने तंत्र के साथ खड़े होते हैं। ऐसे लोगों की सूची में सबसे पहला नाम है अनुराग कश्यप का, जो उपद्रवियों का बचाव करते करते गृह मंत्री के लिए अपशब्द तक कह देते हैं।
एक बार इसी तरह के घृणा भरे उन्माद में अनुराग कश्यप ने अमित शाह को ‘जानवर’ तक कह दिया था। जिस पर कई लोगों ने उन्हें साफ़ शब्दों में समझाया था कि विरोध की एक भाषा और शैली होती है, लेकिन वो जैसा कर रहे हैं, उसकी परिभाषा कुछ और ही है।
ठीक ऐसे ही एक बार अनुराग कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी अभद्र रवैया अपनाया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था, “CAA/CAB कहीं नहीं जाने वाला है। इनके लिए कुछ भी वापस लेना नामुमकिन है, क्योंकि वो उनके लिए हार होगी। यह सरकार हर चीज़ को हार-जीत में ही देखती है। इनका ego ऐसा है कि सब जल जाएगा, राख हो जाएगा लेकिन मोदी कभी ग़लत नहीं हो सकता। क्यों? क्योंकि अनपढ़ लोग ऐसे ही होते हैं।”
ऐसा ही एक और नाम है वरुण ग्रोवर, जिन्होंने ‘कागज़ नहीं दिखाएँगे’ नाम की कविता लिख कर सुर्खियाँ बटोरी थी। यह कविता उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में लिखी थी और इसके ज़रिए खूब वाहवाही लूटने का प्रयास किया था। कविता का रंग-ढंग ऐसा था कि पूरा वामी और लिबरल गिरोह इस पर भावुक हो गया था, कई दिनों तक क्रांतिकारी महफ़िलों में यह कविता हवा भरती रही। गिरोह के हर सदस्य ने बराबर प्रयास किया कि कविता सोशल मीडिया पर वायरल हो और आम जनता पर भी इसका बराबर प्रभाव पड़े।
इसके बाद एक बेहद दिलचस्प घटना हुई। साल 2020 के जनवरी महीने में ट्विटर पर वरुण ग्रोवर ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी थी कि वो मई-जून 2020 में स्टैंडअप कॉमेडी के लिए मशहूर ‘ऐसी-तैसी डेमोक्रेसी’ के साथ मिलकर अमेरिका में एक टूर करने जा रहे हैं। वरुण ने ट्वीट में लिखा है कि टिकट बुकिंग की जानकारी वो बाद में देंगे लेकिन अभी यह पोस्टर शेयर किया जाना ज्यादा जरूरी था। वरुण ग्रोवर के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उनसे सवाल किया है कि वो अमेरिका में कागज दिखाएँगे या नहीं?
रिया चक्रवर्ती के मामले में भी बचाव करने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई। अनुराग कश्यप, विद्या बालन, फरहान अख्तर, सोनम कपूर, दिया मिर्ज़ा समेत बॉलीवुड के कई बड़े नामों ने रिया का समर्थन किया। रिया का समर्थन करने वालों को ड्रग्स नहीं नज़र आई और न ही ड्रग्स का सेवन, लेकिन तथाकथित ‘फेमिनिज्म’ ज़रूर नज़र आ गया। समर्थन करने वालों के लिए यह महिला सशक्तिकरण पर हमला और पैट्रीआर्की को बढ़ावा देता दिखा। उनके लिए इतने गंभीर आरोप अहम नहीं थे लेकिन रिया बेहद अहम थीं।
यह तो कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जिनमें बॉलीवुड के लोगों की सच्चाई सामाजिक सतह पर नज़र आई। इसके अलावा भी ऐसे अनेक किस्से हैं, जिसमें बॉलीवुड ने ठीक वही काम किया, जिसका न तो कोई तर्क था और न ही उसे सही कहा जा सकता था।
चाहे बॉलीवुड का ड्रग्स मामला हो या सुपरस्टार्स के गलत कामों को सुधारने की कोशिश, गलत का विकल्प कैसे हो सकता है? फिर भी बॉलीवुड ‘बॉलीवुड’ का बचाव करने से पीछे नहीं हटता है, ऐसा करने के दौरान उनके लिए बचाव सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। ऐसे मामलों में ‘अपराध’ शब्द का कद ‘सुपरस्टार’ शब्द के सामने बौना साबित हो जाता है।