‘लव जिहाद’ के एक गंभीर मामले में सोनभद्र में एक लड़की के इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने से इनकार करने पर उसका सिर काटकर दफना दिया गया। लड़की के विघटित शव के बारे में तब पता चला, जब एक महिला ने एक कुत्ते को लड़की के कटे हुए सिर को मुँह में दबाकर ले जाते देखा।
इसी तरह हरियाणा में, तौसीफ नाम के युवक ने निकिता तोमर की हत्या कर दी। आरोपित अपने दोस्तों के साथ कार में सवार होकर छात्रा के अपहरण के इरादे से आया था। आरोपित तौसीफ ने निकिता को गाड़ी में खींचने की कोशिश की लेकिन जब वो असफल रहा तो उसने गोली मार दी। यह पूरी घटना CCTV में भी कैद हो गई। मृतका निकिता बीकॉम फाइनल ईयर की छात्रा थी और अग्रवाल कॉलेज में एग्जाम देने आई थी।
पीड़िता के पिता ने दावा किया था कि आरोपित तौसीफ ही नहीं बल्कि उसकी माँ भी उनकी बेटी निकिता पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाती रहती थी। यह सिलसिला बीते दो साल से चल रहा था। छात्रा के पिता ने आरोपित तौसीफ की माँ पर आरोप लगाया कि वह बार-बार फोन कर के उनकी बेटी पर दबाव डालती थी कि तुम हमारा मजहब कबूल कर लो। कौशांबी रेप मामले में पीड़िता ने बलात्कारियों से अल्लाह के नाम पर रहम की भीख माँगी थी।
इनकी बर्बरता यहीं पर खत्म नहीं होती। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब मजहबी युवक हिंदू बनने का ढोंग करके अपनी पहचान छुपाकर हिंदू लड़की से शादी कर लेते हैं। और जब अचानक से या फिर उसके नाटक के अनुसार इसका खुलासा होता है तो वो लड़की पर इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए दबाव डालते हैं, मना करने पर उनकी हत्या कर दी जाती है। सुभोलोग्ना चक्रवर्ती तो याद ही होगी आपको, जिसकी हत्या उसके होने वाले पति ने गोली मारकर कर दी थी। उसने भी हिंदू बनने का ढोंग रचा था।
हालाँकि वामपंथी इन घटनाओं को ‘दक्षिणपंथी कल्पना’ के रूप में खारिज करते हैं, लेकिन मामले वास्तविक हैं। शव भी असली हैं और खतरा व्याप्त है।
कैसे-कैसे मामले, देखें वर्गीकरण:
- एक व्यक्ति हिंदू होने का ढोंग करता है और हिंदू महिला को फँसाता है। इसके बाद, उसकी असली पहचान या तो एक दुर्घटनावश सामने आ जाती है या फिर इसका खुलासा तब होता है, जब वो महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करते हैं। इसके बाद इनकार करने पर वह हिंदू महिला की हत्या कर देता है।
- हिंदू युवती और दूसरे मजहब का युवक, दोनों एक दूसरे के धर्म के बारे में जानते हुए भी शादी करते हैं और फिर बाद में युवती को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए टॉर्चर किया जाता है।
- इस्लाम के नाम पर हिंदू महिला के साथ बलात्कार किया जाता है – यह मामला कौशांबी सामूहिक बलात्कार मामले में सबसे स्पष्ट था, जहाँ एक नाबालिग हिंदू लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और अल्लाह के नाम पर रहम की भीख माँगने के लिए कहा गया था। अपराधियों ने विशेष रूप से लड़की को भगवान के नाम पर दया की भीख माँगने के लिए नहीं कहा। वायरल वीडियो में साफ सुनाई पड़ रहा था कि पीड़िता दलित नाबालिग लड़की उन दरिंदों को “भैया आप मुझे जानते हो, अल्लाह के लिए छोड़ दो” कह-कहकर गिड़गिड़ा रही थी। मगर फिर भी दरिंदों को रहम नहीं आया। वह रोती, चीखती, चिल्लाती रही और आदिल, नजिक जैसे दरिंदे उसकी चीख को फिल्माते रहे। इन मामलों में उद्देश्य या तो हिंदू महिला का रूपांतरण हो सकता है या फिर इसे काफिर महिलाओं को दंडित किए जाने के रूप में देखा जा सकता है।
- कई बार दूसरे मजहब के लड़कों का हिंदू लड़कियों के प्रति एकतरफा जुनून भी उनके लिए बलात्कार, हत्या जैसी बर्बरता का कारण बनता है। जब हिंदू लड़की दूसरे मजहब के लड़के के प्रपोजल को इनकार कर देती है तो इस तरह के कृत्यों को अंजाम दिया जाता है। इनकार करने वाले मामलों में इस्लाम में धर्मांतरण से इनकार भी शामिल है, जैसे निकिता तोमर के मामले में। हालाँकि इस्लाम में धर्मांतरण के बिना भी इन मामलों को व्यापक रूप से जिहाद के एक अधिनियम के रूप में देखा गया है।
- ऐसे मामले जब हिंदू महिला या कम उम्र की लड़कियों का बलात्कार करने के बाद समुदाय विशेष के पुरुषों से शादी कर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है। ऐसे मामले इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान और अन्य जगहों पर सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। इस तरह के मामले में अक्सर देखा गया है कि शादी और धर्मांतरण के बाद लड़की कहती है कि उसने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में पाकिस्तान में देखा गया था, जहाँ एक 13 वर्षीय ईसाई लड़की को उसके 44 वर्षीय अपहरणकर्ता को सौंप दिया गया और माता-पिता के विरोध के बाद उसने दावा किया कि उसने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया था। इस तरह के मामलों में, ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग के समानांतर यह समझना आवश्यक हो जाता है कि लड़की के बयान मात्र से हमें ऐसा नहीं मान लेना चाहिए कि यहाँ जिहाद का कोई एंगल नहीं था।
यहाँ बता दें कि ग्रूमिंग गैंग पूरे ब्रिटेन में फैला हुआ है। पिछले 40 वर्षों में अकेले ब्रिटेन में जिन करीब 5 लाख लड़कियों का बलात्कार किया गया, उनमें से अधिकतर गोरे हैं और उन्हें शिकार बनाने वाले मुख्य रूप से मजहब विशेष के एशियाई हैं। ग्रूमिंग गैंग जातीय और धार्मिक आधार पर रेप की वारदात को अंजाम देते हैं। ग्रूमिंग ग्रुप मुख्य रूप से कम उम्र की लड़कियों को निशाना बनाता है, लेकिन युवा और वृद्ध महिलाओं को भी अपना शिकार बनाते हैं।
दूसरे धर्म की महिलाएँ ऐतिहासिक रूप से इस्लामी अधीनता के केंद्र में रही हैं। महिलाओं को बंदी बनाए जाने या यहाँ तक कि उनके शवों को हिंदू भूमि पर इस्लामिक विजय और हिंदू शासकों की हार के बाद भी बंधक बनाए जाने की कई कहानियाँ हैं। समकालीन परिवेश में भोला हत्याकांड दिमाग में आता है।
अक्टूबर 2001 में, भोला जिलों, लालमोहन क्षेत्र में, कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं पर हमला किया गया था। हमलावर हिंदू घरों में घुस गए, उनके सामान लूट लिए, उनके पेड़ काट दिए, उनकी फसल नष्ट कर दी। भोला के चार फैसन में बीएनपी समर्थित कट्टरपंथियों ने 200 से अधिक हिंदू महिलाओं पर हमला किया और उनका बलात्कार किया। सबसे कम उम्र की पीड़िता 8 साल की थी और सबसे बड़ी 70 वर्षीय महिला थी।
इसके सालों बाद, बांग्लादेश में एक न्यायिक आयोग की जाँच ने निष्कर्ष निकाला था कि तत्कालीन सत्तारूढ़ बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के 25,000 से अधिक नेता और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले में शामिल थे, जिसके कारण सैकड़ों लोग मारे गए, घायल हुए और बांग्लादेश में हिंदुओं को भारत में भागने के लिए मजबूर किया था।
भोला एकमात्र उदाहरण नहीं है। भारत में ऐसे कई मामले हैं, जहाँ मजहब विशेष वाले दूसरे धर्म की महिलाओं को अपने जिहाद में एक आवश्यक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं। 2018 में, एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को इस्लाम में बदलने के लिए मजबूर करने और फिर उसे आईएसआईएस सेक्स स्लेव बनने के लिए बेचने के प्रयास के आरोप में हिरासत में लिया गया था। 2018 में केरल से कई ऐसे मामले सामने आए हैं। यहाँ तक कि ईसाई समुदाय ने भी आवाज उठाई है।
जर्मनी में समुदाय विशेष के पुरुषों के होर्ड्स ने छेड़छाड़ की और दूसरे धर्म की महिलाओं से बलात्कार करने का प्रयास किया। पुरुष पहले पीड़ित को घेरे में लेते हैं। कुछ लोग उसका यौन उत्पीड़न करते हैं।
यूनाइटेड किंगडम में ग्रूमिंग गैंग द्वारा किए जा रहे घटनाओं की काफी हद तक भारत में रिपोर्टिंग नहीं की जाती, जबकि भारत जिहाद का बड़ा शिकार बनता जा रहा है। ग्रूमिंग गैंग मुख्य रूप से ब्रिटेन में समुदाय विशेष के पुरुषों का गिरोह होता है, जो युवा लड़कियों और यहाँ तक कि महिलाओं का भी शिकार करते हैं। उनका धर्म जानने के बाद दूसरे धर्म का होने की सजा के रूप में बार-बार उनका बलात्कार करते हैं। ब्रिटेन में कई लोगों ने इसे ‘रेप जिहाद’ का नाम दिया लेकिन अधिकारियों ने नस्लभेदी होने के आरोपों के डर से इन गिरोहों के खिलाफ निर्णायक रूप से कार्य करने से इनकार कर दिया।
पीटर मैक्लॉघलिन ने अपनी पुस्तक ‘Easy Meat’ में बताया कि सिख समूह इस घटना से अवगत थे और वो सभी को चेतावनी देने की कोशिश कर रहे थे। सिख मध्यस्थता और पुनर्वास टीम के चैरिटी के एक अध्ययन के अनुसार, पाकिस्तानी पुरुष दशकों से ब्रिटेन में सिख लड़कियों को यौन शोषण और बलात्कार के लिए तैयार कर रहे हैं।
अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि पुलिस ने राजनीतिक शुद्धता के कारणों के बारे में ‘लापरवाही से शिकायतों’ की अनदेखी की है। इस रिपोर्ट को डेली मेल द्वारा एक्सेस किया गया था। इसमें कहा गया है, “शोध में पाया गया है कि 50 वर्षों से अधिक समय से युवा सिख महिलाओं को निशाना बनाने वाले पाकिस्तानी दूतावासों के इतिहास का प्रदर्शन किया जाता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि खतरे को पहचानने में स्थानीय अधिकारियों की विफलता ने ऐसे नेटवर्क को पनपने दिया है। इसमें कहा गया है, “तीन दशकों के दौरान, वेस्ट मिडलैंड्स में सिख समुदाय के नेताओं ने बार-बार जोर देकर कहा कि जब परिवार या समुदाय के प्रतिनिधियों ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में पुलिस से संपर्क किया, तो उनकी प्रतिक्रिया उदासीन ही रही।”
ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम द्वारा पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ऐतिहासिक विफलताओं की जाँच करने के लिए अधिकृत रिपोर्ट के अनुसार, 2000 के दशक में दक्षिण मैनचेस्टर में 57 युवा लड़कियों का शोषण करने का आरोप है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गैंग में मुख्य रूप से एशियाई पुरुष शामिल थे, जिन्होंने पीड़ितों को ड्रग्स दिया और फिर उनका यौन शोषण किया। एक 50 वर्षीय व्यक्ति द्वारा हेरोइन के इंजेक्शन लगाने के बाद 15 साल की एक लड़की की मौत हो गई। दो साल बाद इसकी रिपोर्ट आई।
ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग में जो कुछ हुआ, वह सभी के लिए स्पष्ट था, लेकिन समुदाय विशेष के सदस्यों द्वारा किए गए अपराधों पर पानी फेरने की इच्छा रखने वाले – मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं को ‘जिहाद’ के लिए उकसा रहे थे। कई लोगों ने इसे ‘रेप जिहाद’ कहा है।
इन लड़कियों, सिखों, हिंदुओं और सफेद लड़कियों का ब्रेनवॉश किया गया, बलात्कार किया गया, ड्रग्स का इंजेक्शन लगाया गया, कुछ को मार दिया गया या धर्मांतरित कर दिया गया। उन्हें अनिवार्य रूप से गैर-मुस्लिम होने के लिए दंडित किया गया। इसी तरह का एक मामला भारत में भी हुआ था – अजमेर दरगाह का, जहाँ 1992 में दूसरे धर्म की सैकड़ों लड़कियों का यौन शोषण किया गया था। इस मामले पर लोग अभी भी नि:शब्द हैं, इस तरह के मामलों की जड़ पर कोई वास्तविक चर्चा नहीं होती है।
भारत में, अब हम जिस एकमात्र संगठित सिंडिकेट की बात करते हैं, वह ‘लव जिहाद’ की घटना है।
NIA ने 2017 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था, “केरल से रिपोर्ट किए गए मामलों से एक ही तरह के पैटर्न का इस्तेमाल किया गया है। कई मामलों में, जो व्यक्ति युवा लड़कियों के करीब आने में भूमिका निभाते हैं, वे उन्हें धर्मांतरण में मदद करते हैं, उन्हें आश्रय देते हैं और उनकी शादी समुदाय विशेष से करवाते हैं, वे एक ही शख्स होता है। वे ऐसे युवा लड़कियों से संपर्क करने लगते हैं, जो माता-पिता के साथ असहमति के कारण थोड़ी परेशान दिखाई देती हैं।
NIA ने ‘लव जिहाद’ को जिस तरह से परिभाषित किया, वह ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग से काफी मेल खाती है। हालाँकि, अपराधों की कई अन्य श्रेणियाँ हैं, जो ‘लव जिहाद’ की संकीर्ण परिभाषा में फिट नहीं हैं।
अब, जब एक मजहब विशेष का पुरुष एक महिला को उसके साथ संबंध बनाने के लिए ‘लालच’ देता है, तो यह पूरी तरह से संभव है कि शादी के बाद वह लड़की कहती है कि वह स्वेच्छा से परिवर्तित हो गई। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि 14 साल की एक लड़की आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार से आती है तो एक बड़े आदमी का उसे फुसलाना कितना मुश्किल है? भले ही वह उसे अच्छी जिंदगी देने में सक्षम हो और उसे विश्वास दिलाए कि वह वास्तव में उसका परवाह करता है तो भी इसका मतलब यह नहीं हो सकता है कि बच्ची का ब्रेनवॉश करके उसे इस्लाम में परिवर्तित करे।
क्या तहर्रुश जैसा अपराध, या ऐसा जैसा हमने भोला में देखा, ‘लव जिहाद’ माना जाएगा? यहाँ तक कि निकिता तोमर की हत्या को ‘लव जिहाद’ कहा जाएगा क्योंकि निकिता और उसका कातिल कभी भी रिश्ते में नहीं थे और उसकी हत्या न केवल इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने उसके प्रपोजल को ठुकरा दिया बल्कि इस्लाम में परिवर्तित होने से भी इनकार कर दिया।
यह ‘लव जिहाद’ जैसे शब्द की संकीर्ण परिभाषा के कारण है कि वामपंथी अब यह आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लव जिहाद शब्द का उपयोग केवल इसलिए किया जाता है क्योंकि ‘चरमपंथी हिंदू’ अंतर-धार्मिक विवाह के खिलाफ हैं, जबकि, यह इससे कोसों दूर है।
यही कारण है कि ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल से दूरी बनाने का फैसला किया है। जिहाद में कोई ‘लव’ नहीं है और अगर इस शब्द को इसके जटिल वाक्य-विन्यास के साथ स्वीकार करते हैं, तो यह जिहाद की गंभीरता को दिखाने में विफल रहता है, जो कट्टरपंथी वर्गों द्वारा विशेष रूप से दूसरे मजहब की महिलाओं को निशाना बनाता है। हमारा मानना है कि इसके लिए ‘ग्रूमिंग जिहाद’ शब्द कहीं अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह उन सभी अपराधों की श्रेणी में आता है, जो महिलाओं को इस जिहाद के केंद्र में रखते हैं।
गैर-मुस्लिम महिलाओं को मजहब विशेष के पुरुषों के हाथों अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उनका अपहरण कर लिया जाता है, उनका बलात्कार किया जाता है, लालच दिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है, दंडित किया जाता है और उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। मानवता के खिलाफ इन अपराधों में कोई ‘प्यार’ नहीं है। इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है कि यह जिहाद का ही एक रूप है। अब यह कहने का समय आ गया है कि यह ग्रूमिंग जिहाद है।