टेक्नॉलजी की सुलभता ने पोर्न देखने को जितना सामान्य बना दिया है उसके दुष्परिणामों से चाहकर भी अब निजात नहीं पाई जा सकती। मोबाइल, लैपटॉप पर इसका एक्सेस इतना सरल है कि परिवार वाले कितना ही बचा लें पर छोटे से छोटा बच्चा जब चाहे इसे देख सकता है। इसके परिणाम इतने घातक होते हैं कि इसका लती धीरे-धीरे मानसिक रूप से बीमार हो जाता है और रिश्तों का लिहाज उसके भीतर शून्य रह जाता है।
उदाहरण एकदम ताजा है। मुंबई में दो नाबालिग भाई (13) – बहन (15) साथ में बैठकर पोर्न देखे। इसके बाद दोनों की सेक्स करने की इच्छा हुई। पहली बार में नाकाम हुए तो अगली बार भाई ने फिर करने को कहा। बहन मना करती रही, मगर भाई ने उसका रेप कर दिया। मामला तब खुला जब परिजन बच्ची का अबॉर्शन कराने अस्पताल गए।
है न ये ऐसा मामला जिसे सुनकर घिन्न आ जाए? दुर्भाग्य ये है कि ये कोई अकेली घटना नहीं है-
- उत्तर प्रदेश में कासगंज में 19 साल का लड़का अपनी 17 साल की बहन के रेप के आरोप में पकड़ा गया, पूछने पर पता चला कि उसका ये सब करने का मन पोर्न देखने के बाद हुआ था।
- हाल में गाजियाबाद में दो लड़के गिरफ्तार हुए। 20 और 23 साल के। खबरों की मानें तो दोनों भाई अपनी ही 14 साल की छोटी बहन का एक साल से यौन उत्पीड़न कर रहे थे। बच्ची अगर प्रेगनेंट नहीं होती तो शायद ये मामला कभी नहीं खुलता।
- फरवरी माह में मध्यप्रदेश के छतरपुर से खबर आई थी कि एक 9 साल की नाबालिग के साथ उसके पिता ने रेप कर दिया। पूछताछ हुई तो पता चला कि पिता को पोर्न देखने की आदत है इसी के चलते उसने अपनी हवस का शिकार मासूम बच्ची को बनाया।
- झाँसी में 36 साल के चाचा ने इस गंदी लत की वजह से अपनी 17 साल की भतीजी की अस्मत लूटी और बाद में उसकी पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी।
- गाजियाबाद में कैला भट्टा चौकी में एक मामा ने अपनी भांजी को अकेले पाकर उसका दुष्कर्म किया और बाद में उसकी जान ले ली। छानबीन में पता चला कि जब घटना को अंजाम दिया तो वो घर में अकेला बैठ पोर्न देख रहा था। उसी बीच बच्ची उसके पास पहुँच गई और इसलिए उसने इस वारदात को अंजाम दिया।
आप अगर ऊपर दिए गए सारे उदाहरणों को ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि हर घटना में आरोपित और पीड़ित के बीच एक पारिवारिक रिश्ता है। ऐसा रिश्ता जो सामान्य तौर पर सबसे करीबी संबंध माना जाता हैं… चाहे पिता हो, भाई हो, मामा हो या चाचा हो… एक समय था जब इन रिश्तों के बारे में सोच कर लोगों के मन में सुरक्षा का भाव उमड़ जाता था… लेकिन वहीं अब ये समय है जब ऐसी खबरें पढ़ते हुए घरवाले हैरान होते हैं और हर रिश्ते को संदेह नजर से देखते मिलते हैं।
हम चाहें तो इस स्थिति के लिए समाज में बढ़ रहे पाश्चत्य प्रभाव को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमें कहीं न कहीं खुद भी मानना होगा कि इन सबमें गलतियाँ हमारी है। पहली तो हमने अपने अपने परिवारों को छोटा करने की चाह में जिस तरह रिश्तों में कटौती करनी शुरू की, उसी का नतीजा है कि अब की पीढ़ी उन रिश्तों की अहमियत को ही नहीं समझती। दूसरी ओर, हम तकनीक की ओर ऐसा झुकते गए कि अब हमें खुद नहीं मालूम है कि इससे उबरना कैसे है। दिन पर दिन पर इस पर आश्रित होते हमारे रवैये ने हमें परिवारों से दूर कर दिया और सही-गलत में फर्क करने वाली समझ को खत्म कर दिया।
सोचिए कभी ऐसा हो सकता था कि भाई-बहन एक दूसरे के साथ बैठ पोर्न देखें या सेक्स करें…नहीं, मगर अब ऐसा होता है और ऐसी स्थिति ही इसलिए पैदा हुई है क्योंकि तकनीक के कारण और परिवार से दूरियों के चलते बच्चे पोर्न में ज्यादा रुचि दिखाने लगे हैं। वहीं वो माता-पिता जिनके पास अपने बच्चों को देखने का भी समय नहीं वो सेक्स एजुकेशन के नाम पर बच्चों के पोर्न देखता देख लें तो उन्हें समझाने की बजाय उनकी इस हरकत को ये कहकर जस्टिफाई करते हैं- ‘आज के समय में तो बच्चों को सब पता ही है उन्हें क्या रोकना और क्या समझाना।’ इसके अलाव कुछ ओवर प्रोग्रेसिव माता-पिता पोर्न को सेक्स एजुकेशन लेने का जरिया मानते हैं और सोचते है इससे बच्चे की सोच ह्यूमन बॉडी के लिए डेवलप होगी।
उनकी इस आधुनिक सोच का नतीजा होता है कि बच्चा धीरे-धीरे उनसे दूर होकर अलग दुनिया में खोने लगता है और फिर वो खुद समाज के लिए जो कोढ़ बनकर उभरता है, उसके कारण ऐसी स्थिति पैदा होती है।
बच्चे पर प्रभाव
इंटरनेट पर सर्च करने पर ऐसे लेख मिलते हैं जो बताते हैं कि पोर्न देखने की लत एक बच्चे को पहले उसके परिवार से दूर करती है और मानसिक रूप से कमजोर बनाती है। क्रमानुसार समझें तो जब बच्चा पोर्न देखना शुरू करता है तो उसे पता होता है ये गलत है इसलिए वो माता-पिता की नजरों से बचना शुरू करता है…और इस तरह एक ही छत के नीचे रहकर परिवार से उसकी दूरियाँ बढ़़ने लगती है। फिर यदि उस पर रोक-टोक हो तो वो घर में चिल्लाने या अपने बड़ों से लड़ने पर भी गुरेज नहीं करता…वो इतना टॉक्सिक हो जाता है कि कोई सामान्य बात भी हो तो उसे चिड़चिड़ापन रहता है।
ऐसी प्रवृत्ति सिर्फ खुद के घरेलू संबंध नहीं बिगाड़ती बल्कि शरीर पर भी बुरे प्रभाव दिखाती है, जिसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त ये लत भीतर से इंसानियत खत्म कर देती है। नतीजा भाई-बहन का लिहाज नहीं करता, पिता-बेटी का, मामा अपनी भाँजी का। वहीं सिर्फ निजी जीवन की बात करें तो लोग ऐसी वीडियो देखने के बाद उसे अपने पार्टनर पर आजमाने की कोशिश करते हैं और तरह-तरह से पार्टनर को टॉर्चर किया जाता है।
इन तमाम बातों के बावजूद आपको अपने आसपास ऐसे लोग ये कहते हुए मिल जाएँगे कि पोर्न देखना गलत नहीं बशर्ते उसके नकारात्मक प्रभाव शरीर पर न पड़ें… सोचिए एक ऐसा समाज जहाँ लोग फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे जैसी फिल्में देखकर दोस्त का रेप करते हैं, पत्नी को प्रताड़ित करने लगते हैं… क्या उस समाज में ऐसा संभव है कि पोर्न का असर न पड़े। वर्तमान स्थिति में जब पोर्न का एक्सेस इतना आसान है और लोग अपने परिजनों से दूर हैं तो ये असंभव है कि इसका कोई पॉजिटिव इफेक्ट लोगों में देखने को मिले। असर अगर देखने को मिलता है तो वो सिर्फ इतना ही जितना हम खबरों में अब पढ़ते हैं। फर्क ये है कि कुछ घटनाएँ मीडिया में आने लगी हैं और कुछ अब भी प्रकाश में नहीं आतीं।