बिहार के मिथिला क्षेत्र में एक कहावत बहुत प्रचलित है- बाड़ी के पटुआ तीत। इसका तात्पर्य यह कि लोग एक-दूसरे पर भरोसा करने के बजाय बाहरी लोगों पर अधिक यकीन करना चाहते हैं।
आजकल कुछ लोगों की यही सोच हो गई है कि अपने निहित स्वार्थ और खुद को अधिक बुद्धिजीवी दिखाने के लिए वो पश्चिमी देशों पर अधिक भरोसा करते हैं, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। 21 जून 2021 को भारत में टीकाकरण महाअभियान को नई गति दी गई, तो इजरायल की कुल जनसंख्या के बराबर लोगों को टीका लगाया गया। अमेरिका से कम दिनों में उससे अधिक लोगों को भारत ने कोरोना वैक्सीन लगा दिया।
कोरोना महामारी हो या टीकाकरण अभियान की बात हो, केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकारें जिस शिद्दत के साथ काम कर रही हैं, उसकी सराहना नहीं करते हैं। क्योंकि, ये तो हमारी सरकार है। लोग भरोसा इस पर अधिक करना चाहते हैं कि विदेशी मीडिया ने क्या कहा और क्या लिखा?
बीते कुछ सालों से देखें, तो विदेशी मीडिया ने तो हमेशा ही भारत की गरीबी और कमियों को गिनाया और बेचा है। वहाँ की मीडिया भारत को लेकर एक अलग तरीके से नेगेटिव नेरेटिव सेट करने की कोशिश करती है और छह लोग उसी पर लहालोट होते हैं। ऐसे लोगों का अपना निहित और छद्म स्वार्थ होता है। उनकी यह सोच होती है कि केवल व्यवस्था की कमियों को ही गिनाएँगे, तो बहुसंख्यक लोग उन्हें बेहतर बुद्धिजीवी के रूप में स्वीकार करेंगे। ऐसे लोग जानबूझकर सच को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।
उन्हें यह नहीं पता है कि सच अपनी गवाही खुद देता है। अच्छे काम सामने आते ही हैं। 21 जून को भारत ने एक दिन में सबसे अधिक कोविड टीकाकरण किया। सरकार की ओर से कहा गया कि देश में 86 लाख 16 हजार 373 लोगों को कोविड वैक्सीन लगाया गया। बता दें कि जून महीने में इजरायल की जनसंख्या 87 लाख 86 हजार 955 है। इस हिसाब से यदि लिखा जाए तो हम कह सकते हैं कि भारत ने एक दिन में लगभग पूरे इजरायल का टीकाकरण कर दिया। मगर, जब इसे विदेशी मीडिया लिखेगी तो इसे सकारात्मक रूप से नहीं लिखेगी और न ही यह संख्या देगी। वह तो इसे प्रतिशत में बताएगी और कहेगी कि बेहद कम रफ्तार है।
अमेरिका को सबसे अधिक विकसित देश माना जाता है। कोविड वैक्सीन की बात करें, तो अमेरिका में 165 दिनों में 29 करोड़ लोगों को टीका लगाया गया, वहीं भारत में 158 दिन में ही 29 करोड़ 46 लाख लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई गई। बता दें कि इसमें करीब साढ़े पाँच करोड़ लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी है। यह आँकडा 23 जून, 2021 का है।
यदि हम आँकडों के आधार पर बात करें, तो भारत में 2.2 प्रतिशत लोग कोरेाना की चपेट में आए, जबकि अमेरिका के 10.3 प्रतिशत लोगों को कोरोना की जद में आना पडा। इसके पीछे की कारण को समझें, तो जिस प्रकार से भारत सरकार ने तुरंत लॉकडाउन आदि का बेहतर पालन करवाया और कोविड गाइडलाइन आदि के पालन करने के लिए हर ओर प्रयास किया गया, उसका ही नतीजा है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अनुसार, 39,49,630 सत्रों के माध्यम से टीके की कुल 29,46,39,511 खुराक दी जा चुकी है। ज्यादा लोगों के कोविड-19 संक्रमण से ठीक होने के साथ, भारत में रोजाना ठीक होने वालों की संख्या लगातार 41वें दिन दैनिक नए मामलों से ज्यादा बनी हुई। पिछले 24 घंटों के दौरान 68,817 लोग ठीक हुए। महामारी की शुरुआत से अभी तक संक्रमित लोगों में से 2,89,94,855 लोग पहले ही कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। इस प्रकार कुल रिकवरी रेट 96.56 प्रतिशत है, जिससे लगातार सुधार का रुझान प्रदर्शित हो रहा है।
असल में भारत लोकतांत्रिक देश है। यहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ लोग सोशल मीडिया के कई मंचों से गलत सूचनाएँ प्रसारित करते हैं। अधिकतर लोग इसे सच भी मान लेते हैं। इससे समाज में भ्रांति फैलती है। इस प्रकार की सूचनाएँ खूब वायरल भी कराई जाती हैं – सच की पड़ताल किए बिना। हालाँकि, भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय की ओर से यह व्यवस्था की गई है कि आप किसी भी गलत सूचना को वहाँ सत्यापित कर और करा सकते हैं। लेकिन वैक्सीन को लेकर कई प्रकार की भ्राँति कुछ विशष समाज और तबकों में हैं। कई लोग इसे नपुसंकता, मौत, धर्म आदि से जोड़ देते हैं। तमाम वैक्सीन विशेषज्ञों ने इसे तथ्यहीन करार दिया है।
हाल ही में सूचना आई कि एक महिला स्वास्थ्यकर्मी ने उफनती नदी पार करके झारखंड में लोगों को टीका लगाने के अपने काम को पूरा किया। ऐसी ही खबरें जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले से आईं। मगर, विदेशी मीडिया और कहें कि उनका अनुसरण करने वाली देश की मीडिया ने इसे देखना तक शायद गँवारा नहीं समझा। मगर, जैसे ही पश्चिमी देशों की मीडिया में कुछ नकारात्मक रिपोर्ट छपती है, चाहे उसका तथ्य हो या न हो, तुरंत देश के कुछ लोग उसका अनुसरण करने लगते हैं।
गौर करने योग्य यह भी है कि 21 जून, 2021 से कोविड टीकाकरण महाअभियान का आगाज हो चुका है। बेशक, चुनौती बड़ी है। प्रति सौ लोगों पर कुल टीकाकरण में अभी भारत सातवें स्थान पर बताया जाता है। पूरी तरह सुरक्षित यानी दोनों खुराक लेने वाले लोगों का फीसद धीरे-धीरे बढ़ रहा है। टीकाकरण केन्द्रों पर लोग आ रहे हैं। कुछ क्षेत्रों के लोगों में जागरूकता की कमी है। संसाधन आड़े आते रहे हैं। लेकिन हमारी खामियाँ ही हमारी खूबियाँ बन जाती हैं। तमाम अभियानों में ये बात देखी गई है। राजनीति से इतर जब समग्र देश किसी समस्या के समूल नाश को जुटता है, तो पोलियो जैसी बीमारियाँ भाग जाती हैं। पोलियो को खत्म करने में भारत की सहभागिता को पूरा विश्व सराह रहा है।
लेखक : सुभाष चंद्र