पश्चिम बंगाल के हुगली स्थित एक विद्यालय में छात्रों को मिड डे मील के नाम पर नून-रोटी खिलाए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर से भी ऐसा ही मामला सामने आया। बच्चों को मिड डील मील के नाम पर रोटी-नमक खिलाया जा रहा था। जब ख़बर हमारे-आपके पास पहुँची, लाजिमी है कि किसी व्यक्ति ने ही वहाँ जाकर इस चीज का पता लगाया होगा और जनता को बच्चों के साथ हो रहे इस अन्याय से अवगत कराया होगा। क्यों? ताकि प्रशासन की नींद खुले, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो और सरकार अन्य स्कूलों में भी छानबीन करे कि ऐसा नहीं हो रहा।
इस मामले को पत्रकार पवन जायसवाल ने जनता के सामने लाया। एक पत्रकार का यही तो कर्तव्य होता है। प्रशासन द्वारा अगर ग़लत किया जा रहा है तो पत्रकार उस सच्चाई को सार्वजनिक करता है। पत्रकार ही क्यों, आजकल सोशल मीडिया के ज़माने में कोई भी ऐसा कर सकता है। चीजें वायरल होने के बाद उचित कार्रवाई होती है। लेकिन, यूपी में उसी पत्रकार के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया गया। लेकिन, इसके पीछे जो तर्क दिए गए वह अजीबोगरीब थे।
ये केस दर्ज कराया गया जमालपुर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा। उन्होंने पत्रकार पवन जायसवाल पर गाँव के प्रतिनिधि के साथ मिल कर राज्य सरकार की इमेज ख़राब करने का आरोप लगाया। अब सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार की इमेज बच्चों को नमक-रोटी दिए जाने से ख़राब होती है या व्यवस्था की खामी सामने आने के बावजूद उसे सुधारने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप पर? जिस व्यक्ति ने पत्रकार पवन को इस सम्बन्ध में सूचना दी थी, उसे गिरफ़्तार भी कर लिया गया। राज कुमार पाल नामक उस व्यक्ति को जेल भेज दिया गया।
पवन जायसवाल सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि वे पत्रकार हैं और अपने जीवनयापन के लिए उन्हें अपनी ड्यूटी करनी ज़रूरी है। एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने बताया कि वह एक क्षेत्रीय पत्रकार हैं और एक दैनिक अख़बार के लिए लिखते हैं। उन्हें सूचना मिली कि सीयूर प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील कार्यक्रम में गड़बड़ियाँ हो रही हैं, जिसके बाद वह वहाँ पहुँचे। उन्होंने वहाँ जाने से पहले सम्बंधित अधिकारी को ख़बर तक कर दी कि वे वहाँ जा रहे हैं। वहीं उन्होंने देखा कि छात्रों को नमक-रोटी दिया जा रहा है। ये रहा पत्रकार पवन का बयान:
This is Pawan Jaiswal , the #Mirzapur reporter who broke the roti + salt in mid day meal story. He has been booked by @mirzapurpolice for allegedly conspiring against the @UPGovt . In this video he reiterates he reported what he saw . @IndEditorsGuild please take cognizance ! pic.twitter.com/5mU47uufAo
— Alok Pandey (@alok_pandey) September 2, 2019
उन्होंने विद्यालय में मिड डे मील में हो रही गड़बड़ियों का वीडियो बनाया और सीनियर रिपोर्टरों को इससे अवगत कराया। इसके बाद डीएम को सूचना दी गई, जिन्होंने वहाँ पहुँच कर जाँच किया और कई अधिकारियों पर गाज गिरी। इसके बाद जिला प्रशासन ने किरकिरी से बचने के लिए पत्रकार पवन के ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज कर दिए। अगर ख़बर ग़लत निकलती तो पत्रकार को दोष दिया जा सकता था लेकिन विडम्बना यह है कि जिस डीएम ने इस सूचना को सही पाया था, अब वही पत्रकार पर कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं।
यहाँ 2 चीजें सामने आती हैं। आरोप लगाया गया है कि उक्त पत्रकार ने साज़िश के तहत प्रधान के प्रतिनिधि के साथ मिल कर राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए छात्रों के बीच नमक-रोटी वितरित किया और इसका वीडियो बना कर वायरल कर दिया। अब सवाल फिर से – विद्यालय में दो आदमी (पत्रकार और प्रधान का प्रतिनिधि) आते हैं, ये दोनों ही विद्यालयी-व्यवस्था के कर्मचारी नहीं होते हैं, फिर भी बड़े आराम से छात्रों के बीच नमक-रोटी वितरित करते हैं, इतना सब कुछ हो जाता है और शिक्षक-कर्मचारी देखते रहते हैं! दूसरी बात यह है कि डीएम ने स्कूल पहुँच कर अधिकारियों का निलंबन तभी किया होगा जब उन्होंने सूचना को सही पाया होगा। क्या बिना गड़बड़ियाँ देखे अधिकारियों पर गाज गिराई गई होगी? आइए देखते हैं इस बारे में डीएम क्या सफाई देते हैं।
डीएम अनुराग पटेल का कहना है कि पत्रकार किसी और व्यक्ति को बुलाता दिख रहा है और कह रहा है कि वीडियो को वायरल करना है। जब उन्हें याद दिलाया गया कि वीडियो में ‘वायरल’ शब्द का कहीं इस्तेमाल ही नहीं किया गया है तो उन्होंने कहा कि वो वीडियो बनाने की बात तो कर रहे हैं। डीएम का कहना है कि प्रिंट मीडिया का पत्रकार वीडियो नहीं बना सकता। डीएम का कहना है कि पत्रकार पवन फोटो क्लिक कर लेते, ख़बर छाप देते लेकिन उन्हें वीडियो नहीं बनाना चाहिए था।
डीएम पटेल के अनुसार, वीडियो बना लेने के कारण पत्रकार की भूमिका संदिग्ध हो जाती है और इसीलिए उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किया गया है। जबकि, डीएम ने पहले ख़ुद कहा था कि नमक चावल देने की बात सामने आई है। अब टालमटोल करते हुए डीएम कहते हैं कि खिचड़ी में तो नमक, चावल होता ही है और दाल भी होती है। डीएम अनुराग पटेल के बयानों को देख कर साफ़ झलकता है कि प्रशासन इस मामले को दबाने में लगा है। एडिटर्स गिल्ड ने भी इस मामले की निंदा की है लेकिन गिल्ड के बयान का कोई महत्व नहीं है। देखें डीएम का बयान:
This latest presser by the #Mirzapur DM on the journo #PawanJaiswal being booked for exposing rotis+salt in mid day meals is pure gold !! tomorrow anyone of us can be booked on totally flimsy and absurd charges , and it will be justified like this gentleman is doing ! pic.twitter.com/YAAsmNpi4F
— Alok Pandey (@alok_pandey) September 3, 2019
एडिटर्स गिल्ड के बयानों का कोई मतलब इसीलिए नहीं है क्योंकि वह पश्चिम बंगाल में पत्रकारों के सिर फोड़े जाने, कर्नाटक में तत्कालीन कुमारस्वामी सरकार द्वारा संपादक के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराए जाने और लालू यादव सरीखे नेताओं द्वारा पत्रकारों के साथ बदतमीजी किए जाने पर चुप रहता है।
अगर मिर्ज़ापुर के डीएम के बयान पर ग़ौर करें तो सवाल उठता है कि प्रिंट का पत्रकार वीडियो क्यों नहीं बना सकता? आज जब अख़बारों के कंटेंट वेबसाइट पर भी प्रयोग किए जाते हैं तो वीडियो वेबसाइट के लिए भी तो बनाया जा सकता है? ये सारी चीजें हटा दीजिए फिर भी, किसी भी आम नागरिक को किसी भी प्रशासनिक गड़बड़ी का वीडियो बनाने का अधिकार है, जब तक उसमें किसी की प्राइवेसी का हनन न हो। प्रिंट का पत्रकार वीडियो नहीं बना सकता! कल को यह कहा जाएगा कि वेबसाइट का पत्रकार फिल्ड में रिपोर्टिंग के लिए नहीं जा सकता!
यूपीएससी के कई चरणों की परीक्षा और साक्षात्कार पास करने के बाद डीएम बनते हैं। जिलाधिकारी अर्थात पूरे जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी। लेकिन अब वह इस आधार पर मुक़दमे ठोकने में लगा है कि प्रिंट के पत्रकार ने वीडियो क्यों बनाई, तो यह हास्यास्पद है। टीवी का पत्रकार वीडियो बनाएगा या फोटो क्लिक करेगा? रेडियो न्यूज़ का पत्रकार सिर्फ़ आवाज़ रिकॉर्ड करेगा? क्या अब इस देश में प्रशासन की सच्चाई उजागर करने के लिए इसी आधार पर मुक़दमे चलाए जाएँगे? सोशल मीडिया पर लोग ऐसे सवाल पूछ रहे हैं।
प्रिंट मीडिया वाले पत्रकार ने विडियो क्यों बनाया? वह फोटो खींच लेता, खबर छाप देता। यह बयान है मिर्जापुर के डीएम अनुराग पटेल का। मतलब हद है…इनको डीएम किसने बनाया? https://t.co/F7wk0MUZ7G
— Prabhash Jha (प्रभाष झा) (@PrabhashJha_NBT) September 3, 2019