Monday, December 23, 2024
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‘चौकीदार चोर है’ कहने वाले राहुल गाँधी को 23 मई के बाद चौकीदारों से हो जाएगी ‘दहशत’

राहुल गाँधी आपके पास प्रमाणिक रूप से यह बताने के लिए कुछ भी नहीं है कि मोदी सरकार ने क्या गलतियाँ कीं, उससे देश को क्या नुक़सान हुआ और अगर आपकी सरकार आ गई, तो आप मोदी सरकार से क्या बेहतर करोगे?

आपको लड्डू अच्छे लगते हैं। आपने एक लड्डू लिया और बड़े चाव से खा लिया। आपको लड्डू बहुत ही ज्यादा अच्छे लगते हैं तो आपने दोनों हाथों में लड्डू लिए और एक-एक करके खा लिए। लेकिन, तब आपको लगता है कि ऐसे न तो दिल भर रहा है न ही पेट और कुछ ‘मजा’ टाइप भी फील नहीं हो रहा है तो आपने अपने एक असिस्टेंट की मदद ली, अपना बड़ा मुँह खोला और असिस्टेंट के जरिये मुँह में एक दर्जन लड्डू भरवा लिए।

अब अगर आपको ऐसा करने से ‘मजा’ आ रहा हो तो अलग बात है, लेकिन इस स्थिति में लड्डू आप से न तो निगलते बनेंगे और न ही उगलते। जबकि यही लड्डू आपके फेवरेट हुआ करते थे। और ऐसा ही कुछ माजरा राहुल गाँधी के साथ घटित होने जा रहा है, जहाँ उनका फेवरेट ‘चौकीदार चोर है’ उनके लिए ‘लड्डू’ साबित होने वाला है।

ईश्वर की असीम अनुकम्पा से एक तो उनके टॉप फ्लोर में ज्यादा लोड नहीं है, दूसरा अगर वे स्पीच के नाम पर ‘पोसम पा भई पोसम पा, डाकिए ने क्या किया’ भी सुना दें तो कॉन्ग्रेसी कहने लगते हैं कि इतना बेहतर तो नेहरू जी ने ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ में भी नहीं लिखा था।

और यही वजह रही है कि जब राहुल गाँधी ने पीएम मोदी को उनके कार्यकाल के शुरुआत में ‘सूट-बूट’ के नारे से घेरने की कोशिश की तो कॉन्ग्रेसीयों ने उनको यकीन दिला दिया कि मोदी इसी नारे से ‘ध्वस्त’ हो जाएगा और सरकार गिरे न गिरे लेकिन सूट-बूट पहनना तो जरूर ही भूल जाएगा लेकिन ‘भक्तों’ ने इस दौरान राहुल गाँधी और उनके खानदान को उस वक्त सूट-बूट मय कर दिया, जब उनके सूट-बूट-कोट-पेंट और टाई में सजे हुए फोटोज से सोशल मीडिया को भर दिया गया।

फिर अचानक एक दिन राहुल गाँधी ने मोदी के ‘चौकीदार’ को पकड़ लिया। और, कह डाला कि “चौकीदार चोर है”, लेकिन फिर से कॉन्ग्रेसीयों ने उनको यह फील करवा दिया कि मोदी जो अपनी सभाओं में ‘भारत माता की जय’ और ‘वन्दे मातरम्’ बुलवाता है, यह उसी की काट है।

और राहुल गाँधी भी अपनी हर सभा में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाने लगे। इससे भक्त गण भी कुछ परेशान भी हुए कि यह कैसा ढीठ इंसान हैं, जो एक ही नारे से चिपक गया है। तब इस बार कमान फिर से मोदी जी ने संभाली और उन्होंने “मैं भी चौकीदार’ अभियान शुरू कर दिया। उनके देखा-देखी, मोदी समर्थकों, सरकार के मंत्रियों ने भी इसमें सक्रियता से भाग लेना शुरू कर दिया। और कमाल तो तब हो गया जब पीएम, भाजपा अध्यक्ष, गृह मंत्री, सरकार के अन्य वरिष्ठ मंत्री, भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों, और सोशल मीडिया पर पार्टी के समर्थकों ने अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ जोड़ लिया।

तब हैरान परेशान राहुल गाँधी ट्वीट करते हैं कि मोदी को ‘गिल्ट’ फील होने लगा है, और मोदी सरकार के सीनियर मंत्रियों मसलन गडकरी, जेटली, सुषमा स्वराज ने आपने नाम के आगे चौकीदार लगाया ही नहीं, क्या वे मोदी के चौकीदार नहीं हैं। शाम होते होते गडकरी और जेटली भी चौकीदार हो गए।

बन्दे को फिर भी चैन नहीं, उसने रात को फिर ट्वीट किया, क्यों चौकीदार साहब…बाकी सब तो ठीक है, ये सुषमा जी अब तक चौकीदार क्यों नहीं बनीं, कहीं कुछ खतरा तो नहीं है आपको!

इसके कुछ देर बाद सुषमा जी का ट्विटर हैंडल देखा तो सुषमा जी भी चौकीदार बन चुकी थीं। इसका अर्थ यह था कि अब पीएम से लेकर एक वेल्ला भक्त तक चौकीदार हो चुके हैं। चौकीदार, जो कि रक्षा, चौकसी, ईमानदारी और वफ़ादारी का प्रतीक माना जाता है, उसे आप कितनी बार और कहाँ-कहाँ चोर कहोगे!

पिछली बार आपने ‘चायवालों’ को मोदी का समर्थक बना दिया था और इस बार सुना है कि मुंबई की सिक्यूरिटी गार्ड्स (चौकीदारों) की एसोसिएशन ने भी राहुल गाँधी पर, उनको लगातार चोर कहने के लिए मुकदमा कर दिया है।

तो इस अभियान से आपको हासिल क्या हुआ है और आगे क्या होने जा रहा है! क्योंकि, आप विरोध के नाम पर सिर्फ ‘सस्ती जुमलेबाजी’ और ‘हवाई फायर’ कर रहे हो। आपके पास प्रमाणिक रूप से यह बताने के लिए कुछ भी नहीं है कि मोदी सरकार ने क्या गलतियाँ कीं, उससे देश को क्या नुक़सान हुआ और अगर आपकी सरकार आ गई, तो आप मोदी सरकार से क्या बेहतर करोगे?

और फिर जनता क्या यह नहीं देखेगी कि ‘चौकीदार’ को ‘चोर’ कौन कह रहा है ? वही जो ‘5000 करोड़ रुपए’ के ‘नेशनल हेराल्ड केस’ में ख़ुद अपनी माताजी सहित जमानत पर चल रहा है, जिनके जीजाजी देश के सबसे बड़े ‘भू-माफिया’ हैं, जिनके पिताजी की ‘बोफोर्स घोटाले’ में संलिप्तता थी, जिनकी दादी ने 1983 में भ्रष्टाचार को लेकर कहा था कि यह उनके लिए कोई मुद्दा ही नहीं है क्योंकि यह तो पूरी दुनिया में फैला हुआ है।

अभी तो जबकि चौकीदार ने अपनी प्रस्तावित 200 रैलियों और एक लाख करोड़ रुपए के चुनावी बजट का आगाज भी नहीं किया है, तब आप सोचिए कि आगे चौकीदार आपको कहाँ तक खदेड़ेगा, कैसे खदेड़ेगा और कहाँ ले जाकर छोड़ेगा।

15 साल तक दिल्ली की सीएम रहने के बाद जब शीला दीक्षित आम आदमी पार्टी (आप) से चुनाव हार गईं, तब बताते हैं कि जब भी उनके आस-पास लोग, आपस में ‘आप’ करके बात करते थे, तो वे चौंक जाती थीं। उनके मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित सरकारी आवास पर कई दिनों तक, कोई सफाईकर्मी उनके सामने ‘झाड़ू’ लगाता हुआ नजर नहीं आता था। बहुत मुमकिन है कि 23 मई के बाद श्रीमान राहुल गाँधी को भी ‘चौकीदारों’ से ऐसी ही दहशत हो जाए।

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