दिल्ली में शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने अदालत के समक्ष पेश आरोप-पत्र में कहा है कि दक्षिण भारत के कुछ लोगों ने दिल्ली की सत्ताधारी ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ सरकार को शराब कारोबार में अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। साथ ही जाँच एजेंसी ने कहा कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की वजह से सरकारी खजाने को कुल 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
ईडी ने आरोप-पत्र में कहा है की कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और विधान परिषद की सदस्य (MLC) के कविता ने कुछ लोगों के साथ मिलकर AAP के संचार प्रभारी विजय नायर को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। रिश्वत देने का उद्देश्य शराब कारोबार में अनुचित लाभ हासिल करना था। उल्लेखनीय है कि इस साजिश में व्यवसायी समीर महेंद्रू, ओंगोल (आंध्र प्रदेश) से सांसद मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी (एमएसआर), उनके बेटे राघव मगुनता और सरथ रेड्डी शामली थे।
आरोप-पत्र (Chargesheet) में कहा गया है कि दक्षिण भारत के इस समूह के साथ मिलकर महेंद्रू और नायर ने रिश्वत वसूलने के लिए बहुत चालाकी से एक ‘उत्पादक संघ’ बनाया। इस संघ में शराब बनाने वाली कंपनी पेरनोड रिकार्ड, बिनॉय बाबू, विजय नायर, अरुण पिल्लई, के कविता, मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी और उनके बेटे राघव, सरथ रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली और बुच्ची बाबू शामिल थे।
आरोप-पत्र के अनुसार, रिश्वत की राशि AAP को सीधे नहीं दी गई थी। इसे व्यवसायी महेंद्रू के स्वामित्व वाली इंडो स्पिरिट्स (Indo Spirits) के थोक संचालन और खुदरा संचालन से होने वाले मुनाफे के माध्यम से दिया गया था। रिश्वत के एवज में इस समूह के साझेदारों को महेंद्रू की इंडो स्पिरिट्स में 65 फीसदी हिस्सेदारी दे दी गई।
आरोप-पत्र में खुलासा किया गया कि दिल्ली आबकारी नीति के चलते सरकारी खज़ाने को कुल 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। बकौल ईडी, इस नीति को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने तैयार किया था और इनमें से कुछ सरकार में भी शामिल हैं। इनका मकसद अवैध रूप से धन हासिल करना था। विशेषज्ञ समिति का गठन और जनता से राय माँगना महज दिखावा भर था। उनकी रिपोर्ट को कभी लागू ही नहीं किया जाना था।
ईडी ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि इस नीति को जानबूझकर ऐसे तैयार किया गया कि बाद में इसका फायदा उठाया जा सके और इससे अनुचित लाभ हासिल किया जा सके। इसमें जानबूझकर कमियाँ छोड़ दी गई। नीति को ध्यान से देखने से इसे बनाने वालों के दुर्भावनापूर्ण इरादों का पता चलता है।