लोकसभा में शुक्रवार (23 जुलाई 2021) को जनसंख्या नियंत्रण और उससे जुड़े मुद्दों पर 4 प्राइवेट मेम्बर बिल पेश किए जाएँगे। इनमें से 3 भाजपा सांसदों द्वारा पेश किए जाएँगे, जबकि 1 बिल जेडीयू सांसद द्वारा पेश किया जाएगा।
लोकसभा में 23 जुलाई को सदन में पेश होने वाले प्राइवेट मेम्बर बिल की सूची में इन चारों सांसदों के द्वारा पेश किए जाने वाले जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित बिल की जानकारी दी गई है। जिन भाजपा सांसदों द्वारा लोकसभा में बिल पेश किया जा रहा है उनमें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद रवि किशन भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में पहले ही जनसंख्या नियंत्रण कानून का ड्राफ्ट जारी किया जा चुका है।
रवि किशन के अलावा झारखंड के पलामू से भाजपा सांसद विष्णु दयाल राम और बिहार के औरंगाबाद से भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह भी जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेम्बर बिल पेश करने वाले हैं। भाजपा सांसदों के अलावा बिहार के ही गोपलगंज से जनता दल (यूनाइटेड) सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन भी जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित मामलों पर लोकसभा में प्राइवेट मेम्बर बिल पेश करेंगे।
पिछले कुछ समय से देश में लगातार जनसंख्या नियंत्रण नीति की माँग की जा रही है। उत्तर प्रदेश और असम की भाजपा सरकारों ने तो इस पर काम भी शुरू कर दिया है। असम में हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा दो बच्चों वाली नीति लागू की जा चुकी है। हालाँकि देश भर में यह माँग उठाई जा रही है कि जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसे कानून का निर्माण किया जाए जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर समान रूप से लागू हो।
क्या होता है प्राइवेट मेम्बर बिल
कोई भी सांसद जो मंत्री पद पर नहीं है, उसके द्वारा पेश गया बिल प्राइवेट मेम्बर बिल माना जाता है। इस बिल से संबंधित ड्राफ्ट के निर्माण की जिम्मेदारी इसे पेश करने वाले संसद सदस्य की होती है। संसद के किसी भी सदन में प्राइवेट मेम्बर बिल पेश किया जा सकता है, लेकिन इसे सिर्फ शुक्रवार को ही चर्चा के लिए सदन में रखा जा सकता है। हालाँकि ऐसे बिल एक महीने के एडवांस नोटिस के बाद ही पेश किए जाते हैं। अक्सर किसी मुद्दे पर सदन का ध्यान दिलाने के लिए प्राइवेट मेम्बर बिल संसद में पेश किए जाते हैं, लेकिन इनके कानून में परिवर्तित होने की गुंजाइश बहुत कम होती है। पिछली बार 1970 में कोई प्राइवेट मेम्बर बिल कानून के रूप में परिवर्तित हो सका था। उसके बाद अभी तक संसद में कोई भी प्राइवेट मेम्बर बिल पास नहीं हो सका है।