दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों को एक साल पूरा हो चुका है। महीनों तक चला यह हिंसक CAA विरोधी उपद्रव भयावह रूप से हिंसक हो पड़ा था। लगभग 3 दिनों तक चली इस हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। अब जब इस हिंसा को एक वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऑपइंडिया ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्थानीय लोगों से बातचीत की, जिन्होंने हमारे साथ इस एक साल के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने हमें दिल्ली के AAP सरकार के दोहरे रवैये के बारे में भी बताया।
दिल्ली दंगों के एक पीड़ित ने हमें बताया कि खालसा ऑर्गनाइजेशन के लोगों ने मदद देते समय हिन्दुओं और मुस्लिमों में खासा भेदभाव किया, अधिकतर हिन्दुओं को नज़रअंदाज़ किया गया। ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए राहुल शर्मा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि खालसा वालों ने केवल मुस्लिमों की ही सहायता की और हिन्दुओं को मदद के नाम पर टोकन दे दिया। वो चांँदबाग इलाके के रहने वाले हैं।
चाँदबाग वही क्षेत्र है, जहाँ आईबी अधिकारी रहे अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। उन्हें ‘अल्लाहु अकबर’ का मजहबी नारा लगाती हुई भीड़ घसीट कर ले गई थी। दिल्ली की गलियों में हो रही इस हिंसा में इस्लामी भीड़ ने ऐसा क्रूर प्रदर्शन किया है, जैसा हाल के दिनों में नहीं देखने को मिला है। अंकित शर्मा और दिलबर नेगी की हत्या का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में आया था। दिलबर नेगी को ज़िंदा आग में झोंक दिया गया था।
एक पीड़ित ने बताया, “दिल्ली में हुए दंगों के कुछ महीनों बाद खालसा वालों को सहायता बाँटते हुए देखा गया था। उन्होंने पीड़ितों के पुनर्वास का जिम्मा उठाया हुआ था। हालाँकि, उनका समर्थन भेदभाव से भरा हुआ था। खालसा वालों ने हिन्दुओं के खिलाफ भेदभाव किया और मुस्लिमों को सहायता दी।” उसने यहाँ तक दावा किया कि 100 में से 90% के औसत से उन्होंने मुस्लिमों की मदद की और हिन्दुओं को नज़रअंदाज़ किया।
दंगे के प्रत्यक्षदर्शियों ने दिल्ली में चल रही अरविंद केजरीवाल की AAP सरकार पर भी पक्षपात के आरोप लगाए। इस व्यक्ति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने भी हिन्दू पीड़ितों पर ध्यान नहीं दिया। उसने बताया कि केजरीवाल सरकार ने मस्जिदों में अनाज और फल भेजे, जबकि हिन्दुओं को दुकानों के बाहर लंबी लाइनें लगा कर संघर्ष करना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मस्जिदों में सरकार से आई सामग्रियों का मुस्लिमों में वितरण किया गया।
प्रत्यक्षदर्शी ने ये भी बताया कि इलाके में अभी भी शांति कायम नहीं है, बल्कि तनाव और हिन्दुओं के बीच डर का माहौल है। उसने हमें बताया कि मुस्तफाबाद में मुस्लिम भीड़ ने बाइक से जा रहे एक हिन्दू युवक की पिटाई की, जिसके बाद तनाव फ़ैल गया। उसने बताया कि इस खबर को मीडिया ने भी प्राथमिकता नहीं दी। हिन्दुओं को वहाँ जाना पड़ा, ताकि मामला शांत हो।
दिल्ली दंगों के दौरान ‘शिव विहार’ के लोगों ने भी बताया था कि चौक के पास की सड़क के एक तरफ मुस्लिमों के घर सलामत थे, दूसरी तरह हिन्दुओं की दुकानें ख़ाक में मिली हुई थीं। लोगों ने बताया था कि हमले इन्हीं मुस्लिमों के घर से हुए थे और मुस्लिम महिलाएँ भी अपनी छतों पर खड़े होकर पुलिस बलों पर एसिड से हमले कर रही थीं। बताया गया कि राजधानी स्कूल की छत पर काफ़ी ऊँचाई पर थे, जहाँ से हिन्दू ही अधिकतर निशाना बने।