ज़ी न्यूज़ पर बुधवार को प्रसारित हुए ‘ताल ठोक के’ शो के दौरान भाजपा नेता और प्रवक्ता संबित पात्रा ने शाहीन बाग की शेरनी बिलकिस बानो को लेकर विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया। बता दें बिलकिस सीएए विरोध स्थल शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों में शामिल दादियों में से एक है। जिन्हें हाल में टाइम पत्रिका ने 2020 के ‘100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची’ में नामित किया है।
तनवीर अहमद द्वारा ‘प्रधान मंत्री के पद का सम्मान लेकिन नरेंद्र मोदी का नहीं’ जैसे एक विचित्र टिप्पणी के जवाब में संबित पात्रा ने कहा, “मैं आपको सबसे पहले बधाई देना चाहता हूँ। जैसा कि आपने कहा कि आप प्रधानमंत्री के पद का सम्मान करते हैं लेकिन नरेंद्र मोदी का नहीं। मैं आपको और सह-पैनलिस्ट सफूरा जहाँ को बधाई देना चाहता हूँ।”
पात्रा ने पैनलिस्ट में बैठे विपक्षी दलों का मजा लेते हुए कहा, “आप लोगों को दादी हुई है। आप लोग रखो न। आप प्रधानमंत्री के खिलाफ खड़ा भी कर दो दादी (बिलकिस बानो के संदर्भ में बोलते हुए) को। किसने मना किया है।”
संबित पात्रा ने कॉन्ग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए पार्टी सुप्रीमो सोनिया गाँधी पर निशाना साधते हुए कहा, ”मैं तो कह रहा हूँ, मम्मी को हटा के दादी को लाओ। और कॉन्ग्रेस पार्टी सुने। मम्मी को हटाओ दादी लाओ। ओवैसी भी हटे दादी लाए। दादी हुई है आपको बहुत बधाई हो।”
…
— Bha_wna 🇮🇳 (@1MeraHindustaan) September 26, 2020
Sambit Patra Roxxx
“Aapko Dadi Hui Hein” 😂🤣 pic.twitter.com/CZEyXPaG7m
शाहीन बाग ’शेरनी’ पर कटाक्ष करते हुए भाजपा नेता ने पूछा, “कितनी टैलेंटेड दादी है, 100 लीडर्स के नाम में दादी का नाम आ गया है ये कोई छोटी चीज है क्या? मैं तो कहता हूँ आज शाम को ही ये प्रपोजल पारित होना चाहिए कि दादी ही टक्कर दे सकती है मोदी जी को क्योंकि इनको मोदी जी तो पसंद नहीं है और दादी टक्कर भी दे सकती है। और सफूरा जहाँ बैठी भी यहाँ, पूछिए इनसे प्रपोजल के बारे में।”
सीएए के विरोध में प्रदर्शन विशेष कर शाहीन बाग का प्रदर्शन जो शुरू तो शांतिपूर्ण विरोध के रूप में हुआ लेकिन बाद में विरोध की सभी सीमाओं को पार करते हुए यह भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया। शाहीनबाग से ही फरवरी में दिल्ली में हुए हिंसक दंगों की साजिश की शुरुआत की गई थी। इन दंगों में खासकर हिंदुओं को लक्षित किया गया और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के दिल्ली दौरे के दौरान कई जगह जनाबूझ कर आगजनी की गई और काफ़ी खूनखराबा हुआ जिसका शिकार पुलिसकर्मी भी हुए।
शुरुआत में दिल्ली और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की सड़कों पर मुस्लिम भीड़ द्वारा किए गया हिंसक विरोध प्रदर्शन विफल हो गया। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय की कुछ महिलाओं ने शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं उन्होंने बस स्टॉप और एक राजमार्ग को भी ब्लॉक कर दिया था, जिससे आम जनता को काफी परेशानी हुई।
कथिततौर पर शाहीनबाग का विरोध प्रदर्शन संविधान को बचाने के लिए किया गया था जोकि एक सांप्रदायिक हिंसा में बदल दिया गया। उस दौरान यह बात भी सामने आई थी कि मुस्लिम भीड़ ने देश के दूसरे विभाजन की माँग करते हुए “जिन्ना वाली आज़ादी” जैसे पाकिस्तान समर्थक और हिंदुत्व विरोधी नारे लगाए थे।