लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद बड़े राजनीतिक दलों को गहरा सदमा लगा है। कॉन्ग्रेस और समाजवादी पार्टी ने आधिकारिक रूप से टीवी न्यूज़ बहस व चर्चाओं में हिस्सा न लेने की बात कही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के कम्युनिकेशन प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि अगले एक महीने तक पार्टी का कोई भी प्रवक्ता किसी भी प्रकार की टीवी परिचर्चा में हिस्सा नहीं लेगा। पार्टी ने निर्णय लिया है कि किसी भी प्रवक्ता को इन बहसों में नहीं भेजा जाएगा। इसके अलावा उन्होंने सभी मीडिया चैनलों व संपादकों से निवेदन किया है कि कॉन्ग्रेस प्रवक्ताओं या पार्टी की तरफ से बहस में भाग लेने के लिए प्रतिनिधियों को न बुलाएँ।
.@INCIndia has decided to not send spokespersons on television debates for a month.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 30, 2019
All media channels/editors are requested to not place Congress representatives on their shows.
कॉन्ग्रेस अकेली पार्टी नहीं है जो मीडिया से भाग रही है। समाजवादी पार्टी ने भी अपने सभी मीडिया पैनलिस्ट का मनोनयन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इसका अर्थ है कि सपा द्वारा जब तक नए पैनलिस्ट के नामों की घोषणा नहीं की जाती, तब तक पार्टी का पक्ष रखने के लिए मीडिया चैनलों पर नेता नहीं जाएँगे। कॉन्ग्रेस की ही तरह सपा ने अभी मीडिया चैनलों से अपने नेताओं को पार्टी का पक्ष रखने के लिए न बुलाने का निवेदन किया है। हारे हुए राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे निर्णय लेना यह बताता है कि अभी वे मीडिया का सामना करने की स्थिति में नहीं हैं।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) May 24, 2019
इस लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को जहाँ सिर्फ़ 52 सीटें आईं, सपा सिर्फ़ 5 पर सिमट कर रह गई। मुलायम-अखिलेश को छोड़ कर यादव परिवार के सभी नेता हार गए। बसपा से गठबंधन का पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ और नेतृत्व अभी आत्ममंथन के दौर में है। वहीं कॉन्ग्रेस में तो अध्यक्ष के पद छोड़ने या न छोड़ने को लेकर ही घमासान मचा हुआ है, शीर्ष नेताओं पर अपने पुत्रों को पार्टी के ऊपर तरजीह देने को लेकर निशाना बनाया जा रहा है। राहुल गाँधी ने नेताओं से मिलना-जुलना बंद कर दिया है।
जाहिर है कि ऐसी स्थिति में इन दोनों ही पार्टी के प्रवक्ताओं को न्यूज़ डिबेट के दौरान तरह-तरह के सवालों के जवाब देने पड़ते, इसीलिए, दोनों दलों ने यह निर्णय लिया है। राजनीतिक दलों का बिना मीडिया के सामने आए गुज़ारा भी नहीं चलने वाला, इसीलिए, देखना यह है कि कब तक इन दलों में आत्ममंथन का दौर चलता है और इनके नेता टीवी चर्चाओं में दिखाई देते हैं।