Tuesday, October 15, 2024
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अडानी, खालिस्तानी, PFI बैन… सब पर बोले अमित शाह: कहा- 2024 में BJP का कोई मुकाबला नहीं, BBC डॉक्यूमेंट्री पर बोले- वे 2002 से मोदी के पीछे

"हजारों साजिशें सच्चाई को नुकसान नहीं पहुँचा सकतीं। सच्चाई सूरज की तरह चमकता है। साल 2002 से लेकर अब तक वे लोग नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसा कर रहे हैं। हर बार हम मजबूत और सच्चाई के साथ लोगों के बीच अधिक लोकप्रियता हासिल करके उभरे हैं।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने खालिस्तान, पीएफआई बैन, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, अडानी विवाद स​हित तमाम मुद्दों पर बात की है। उन्होंने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कोई मुकाबला नहीं है। साथ ही बताया है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद घटा है और विकास को रफ्तार मिली है।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना जनसंघ के समय से एजेंडा था। आज जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में विकास हो रहा है और आतंकवाद में कमी आ रही है, उससे पता चलता है कि बदलाव हो रहा है। साल 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर देशहित में काम किया।

जम्मू-कश्मीर को लेकर अमित शाह ने यह भी कहा है कि उन्होंने पहले भी स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। वहाँ मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। अब चुनाव आयोग को चुनाव कराने हैं।

जम्मू कश्मीर में चुनाव को लेकर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर उन्होंने कहा है, ”जहाँ तक ​​चुनावों का सवाल है, क्या विपक्ष को स्थानीय निकाय चुनाव याद नहीं हैं। ये हमारे शासन में ही हुए थे। वहाँ 70 साल तक निकाय चुनाव नहीं हुए थे। जम्मू-कश्मीर में तीन परिवारों का दबदबा था और वे शोर मचा रहे हैं।”

पंजाब में बढ़ रही खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर अमित शाह ने कहा है, “हमने इस पर कड़ी नजर रखी है। इस मुद्दे पर पंजाब सरकार से भी चर्चा की है। विभिन्न एजेंसियों के बीच अच्छा समन्वय है। मुझे विश्वास है कि हम इसे पनपने नहीं देंगे।”

माओवादी गतिविधियों को लेकर उन्होंने कहा है, “बीते 9 वर्षों में, बिहार और झारखंड से माओवाद लगभग समाप्त हो गया। छत्तीसगढ़ में भी लगभग समाप्ति की ओर है। 20 वर्षों में पहली बार, माओवादी हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या 100 से नीचे चली गई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। 8000 से अधिक माओवादियों ने सरेंडर किया है।”

हिंडनबर्ग द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों को लेकर अमित शाह ने कहा है, “सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है। अगर मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है, तो एक मंत्री के तौर पर मेरा कुछ भी बोलना ठीक नहीं है। लेकिन इस मामले में भाजपा के पास डराने या छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।”

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर गृह मंत्री ने कहा है, “हजारों साजिशें सच्चाई को नुकसान नहीं पहुँचा सकतीं। सच्चाई सूरज की तरह चमकता है। साल 2002 से लेकर अब तक वे लोग नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसा कर रहे हैं। हर बार हम मजबूत और सच्चाई के साथ लोगों के बीच अधिक लोकप्रियता हासिल करके उभरे हैं।”

PFI पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अमित शाह ने कहा है कि कॉन्ग्रेस पीएफआई के कैडरों पर लगे केस को खत्म करने का काम कर रही थी। लेकिन कोर्ट ने इसे रोका है। कई ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं जो बताते हैं कि इनकी गतिविधियाँ देश की अखंडता और एकता के लिए अच्छी नहीं थी। इसलिए सरकार ने वोट बैंक की पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर इस पर कठोरतापूर्वक बैन लगाया है।

शहरों के नाम बदलने को ‘अधिकार’ बताते हुए गृह मंत्री ने कहा है कि, “किसी का भी योगदान कम नहीं होता। हम किसी को हटाना नहीं चाहते। लेकिन अगर कोई अपने देश की परंपरा की बात करता है और उसे मजबूत करना चाहता है तो इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हमने किसी भी शहर का नाम नहीं बदला, बल्कि वही कर दिया है जो उसका पहले नाम हुआ करता था। हमारी सरकार ने अच्छी तरह विचार करके ही फैसले किए हैं। इसके लिए सभी सरकारों के पास अधिकार होता है।”

जनजातीय वर्ग के विकास को लेकर गृह मंत्री ने कहा है कि जनजाति वर्ग अब विकास का अनुभव कर रहे हैं। अब देश में राष्ट्रपति भी जनजाति हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। गरीब परिवारों को दिए जा रहे लाभों को बिना भेदभाव के जनजातीय वर्ग तक भी पहुँचाया जा रहा है। जनजातियों को एहसास है कि पहले की सरकारों ने उन्हें गुमराह किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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