केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि ये बिल 0.001% भी अल्पसंख्यकों के विरुद्ध नहीं है। कॉन्ग्रेस संसदीय दाल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि अल्पसंख्यकों को डराने के लिए मोदी सरकार ये विधेयक लेकर आ रही है। अमित शाह ने विपक्ष से कहा कि अगर वो भागे नहीं तो उन्हें उनकी हर आपत्ति का जवाब दिया जाएगा। अमित शाह ने जैसे ही बिल को सदन के पटल पर रखा विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह विधेयक भारत के संविधान में निहित मूल्यों के विरुद्ध है।
आगे बढ़ने से पहले ये बताना ज़रूरी है कि नागरिकता संशोधन विधेयक यानी CAB पास होने के बाद बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से भारत में आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को ‘अवैध इमिग्रेंट’ नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत का नागरिक बनाने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। ये सुविधा दिसंबर 31 2014 से पहले भारत में आकर रह रहे शरणार्थियों को मिलेगी। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोग नाराज़ हो जाएँगे, क्योंकि ये बिल असम एकॉर्ड का उल्लंघन करता है। नॉथ-ईस्ट के राज्यों में कई वामपंथी संगठन इसके ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
लोकसभा से #LIVE,गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकत संशोधन बिल किया पेश, कहा-बिल में कहीं भी मुस्लिम शब्द नहीं लिखा है pic.twitter.com/ldqzLfASTr
— News18 India (@News18India) December 9, 2019
संसद में मुस्लिम लीग व अन्य मुस्लिम नेताओं ने इस बिल के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराया। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस गृहमंत्री से देश को बचा लो। उन्होंने कहा कि इतिहास में अमित शाह का नाम हिटलर के साथ लिया जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को लेकर लगातार हंगामा जारी है।
शाह ने यूएस ग्रीन कार्ड का जिक्र करते हुए कहा कि वहाँ के नियम-क़ायदे शरणार्थियों के मामले में काफ़ी सख्त हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से हर देश के लोगों को अपनाता आया है। तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इस बिल को विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया। सांसद सौगत रॉय ने कहा कि ये डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के मूल्यों के ख़िलाफ़ है।