बांद्रा में लॉकडाउन के बीच हुई भगदड़ पर शो करने के कारण महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एक नई आपराधिक जाँच शुरू कर दी है। रिपब्लिक न्यूज़ के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रिपब्लिक टीवी को पूछताछ और जाँच के लिए महाराष्ट्र सरकार की ओर से पत्र भेजे गए हैं। यही नहीं एक अन्य पुराने मामले में भी अर्नब गोस्वामी पर CID द्वारा जाँच के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि यह वही रिपब्लिक टीवी है, जिसने कल ही महाराष्ट्र राज्य में कोरोना वायरस के लॉकडाउन की अफरा-तफरी और बदहाली पर कई शो किए थे। इस बार मुंबई पुलिस ने बांद्रा में हुई भगदड़ रिपोर्टिंग के मामले में रिपब्लिक टीवी से पूछताछ की है।
रिपब्लिक टीवी के CFO को पिधोनी पुलिस स्टेशन उपस्थित होने के लिए कहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि पिछली बार रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी से एक ऐसे अधिकारी द्वारा पूछताछ की गई थी, जो कोरोना वायरस से संक्रमित था।
रिपब्लिक भारत द्वारा पुलिस से कोरोना वायरस की महामारी के दौरान पूछताछ के बारे में चिकित्सा सलाह के अनुरोध के बावजूद पुलिस ने उन्हें नकारते हुए कहा है कि उन्हें इसकी परवाह नहीं और वो कंटेनमेंट इलाके में ही रिपब्लिक टीवी से पूछताछ करेगा।
जाँच के बाद बंद मामले में अर्नब के खिलाफ फिर से CID जाँच के आदेश
रिपब्लिक टीवी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ CID जाँच के आदेश जारी किए हैं। हैरानी की बात यह है कि यह जाँच एक ऐसे मामले में की जा रही है, जो कि पहले ही अदालत द्वारा जाँच के बाद बंद कर दिया जा चुका है।
इससे पहले, आज ही कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान रिपब्लिक नेटवर्क को पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था। अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे की पूछताछ के बाद यह तीसरी बार की जा रही पूछताछ है। जिससे यह संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र सरकार के लिए कोरोना वायरस के संक्रमण से भी बड़ी प्राथमिकता अर्नब गोस्वामी बन चुके हैं।
वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने आज ही 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर और उसकी माँ की कथित तौर पर टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के मामले में CID द्वारा फिर से जाँच का आदेश दिया है।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी एक ट्वीट में कहा है कि उन्होंने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की बेटी अदन्या नाइक की मौत के बाद पड़ोसी रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस ने उस बकाया के भुगतान की जाँच नहीं की, जिसने उसके पिता और दादी को आत्महत्या के लिए बाध्य किया था।
आज्ञा नाईक यांनी मला तक्रारीत म्हटलं होतं की अर्णब गोस्वामींच्या @republic ने देणी थकवून त्यांच्या
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) May 26, 2020
वडिलांना व आजीला आत्महत्येस प्रवृत्त केलं ही बाब
अलिबाग पोलिसांनी नीट तपासली नाही. या केसमध्ये #CID कडून संपूर्णपणे नव्याने तपासाचे आदेश मी दिले आहेत.#MaharashtraGovtCares
देशमुख ने ट्वीट में लिखा है – “अदन्या नाइक ने मुझसे शिकायत की थी कि अलीबाग पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक से बकाया भुगतान न करने के बारे में जाँच नहीं की है, जिसने मई 2018 में उसके बिजनेसमैन पिता और दादी को आत्महत्या के लिए उकसाया था।”
इस महीने की शुरुआत में, पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ गोस्वामी और दो अन्य के खिलाफ आत्महत्या का मामला दर्ज किया था। कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अन्वय नाइक द्वारा कथित रूप से लिखे गए सुसाइड नोट में कहा गया था कि उन्हें तीन आरोपितों द्वारा 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किए जाने के कारण अपनी जान लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस पर रिपब्लिक टीवी ने आरोप का खंडन किया और कहा कि कुछ समूह उनके खिलाफ ‘एक गलत और दुर्भावनापूर्ण अभियान’ चला रहे हैं और ऐसी दुखद घटना का फायदा उठाकर कंपनी के खिलाफ गलत बयान दे रहे हैं। नाइक द्वारा छोड़े गए एक कथित सुसाइड नोट के आधार पर, पुलिस ने गोस्वामी, फ़िरोज़ शेख और स्मार्टवर्क के नितीश सारडा के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था।
रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है कि मई 2018 में, अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के मामले में उन्हें अपमानित करने के लिए एक FIR दर्ज की गई थी। दरअसल, तब एक इंटीरियर डिजाइनर ने अलीबाग में अपने बंगले में आत्महत्या कर ली थी।
सोनिया से सवाल के कारण नाराज है महाराष्ट्र सरकार
ज्ञात हो कि हाल ही में महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक शो के दौरान कॉन्ग्रेस नेता सोनिया गाँधी की चुप्पी पर सवाल पूछने के कारण अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने एफआईआर दर्ज तो की ही, साथ में उनके खिलाफ एक नियोजित अभियान चला रही है। बंद हो चुके मामलों की फिरसे जाँच के आदेश इसी बात का संकेत करते हैं।
मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी की चुप्पी को लेकर अर्नब ने कहा था, “सोनिया गाँधी तो खुश हैं। वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी कि देखो, जहाँ पर मैंने सरकार बनाई है, वहाँ पर हिन्दू संतों को मरवा रही हूँ। वहाँ से उन्हें वाहवाही मिलेगी। लोग कहेंगे कि वाह, सोनिया गाँधी ने अच्छा किया। इनलोगों को शर्म आनी चाहिए। क्या उन्हें लगता है कि हिन्दू चुप रहेंगे? आज प्रमोद कृष्णन को बता दिया जाना चाहिए कि क्या हिन्दू चुप रहेंगे? पूरा भारत भी यही पूछ रहा है। बोलने का समय आ गया है।”
इसके बाद कॉन्ग्रेस ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उनके खिलाफ कई राज्यों में केस दर्ज करवाया गया, जिसमें से अधिकतर राज्य कॉन्ग्रेस शासित हैं। कॉन्ग्रेसियों ने अर्नब गाेस्वामी पर आराेप लगाया था कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में दाे साधुओं समेत तीन की लिचिंग मामले में उन्होंने अपने टीवी चैनल के कार्यक्रम में देश के लोगों को गुमराह किया। धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास भाषा के आधार पर नफरत फैलाने की काेशिश की है।