भारत में पाँच राफेल मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट्स की लैंडिंग ने पूरे देश को उत्साह से भर दिया है और इसके लिए लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते नहीं थक रहे। लेकिन, एक और व्यक्ति ऐसा है जिसे आप भूल रहे हैं। सादगी की प्रतिमूर्ति और कर्मठता की मिशाल, जिसने राफेल डील पर हस्ताक्षर किए थे और जिसने अपने अंतिम दिनों तक गोवा की सेवा जारी रखी। जी हाँ, बात मनोहर पर्रिकर की हो रही है।
अप्रैल 2020 में ख़ुद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि राफेल करार को एक नया जीवन दिया और उसे उसके अंजाम तक पहुँचाया। राजनाथ सिंह के शब्दों में समझें तो मनोहर पर्रिकर को उनके बेदाग़ करियर और निर्णय लेने की उनकी क्षमता को देखते हुए उन्हें रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील पद के लिए इसीलिए चुना गया था। उनके कारण ही आज 5 नेक्स्ट जनरेशन फिग़र जेट्स भारत के आकाश में मँडराए- एक सपना जो देश 30 सालों से देख रहा था।
तब राजनाथ सिंह ने कहा था कि काफी लम्बे समय तक भारत के पास कोई नेक्स्ट जेन फाइटर विमान नहीं आया। उन्होंने कहा था, “ये प्राकृतिक है कि हमारे जैसे देश को नेक्स्ट जेन फाइटर जेट्स की ज़रूरत है।” राजनाथ सिंह के शब्दों में, राफेल डील भी सालों से अटका पड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोहर पर्रिकर को इसे अंजाम तक पहुँचाने की जिम्मेदारी दी। और फिर आया शुक्रवार (सितम्बर 23, 2019) का दिन।
#WATCH Haryana: Touchdown of Rafale fighter aircraft at Ambala airbase. Five jets have arrived from France to be inducted in Indian Air Force. (Source – Office of Defence Minister) pic.twitter.com/vq3YOBjQXu
— ANI (@ANI) July 29, 2020
यही वो दिन था जब मनोहर पर्रिकर ने बतौर रक्षा मंत्री अपने फ्रेंच समकक्ष के साथ राफेल करार पर हस्ताक्षर किए। वही वो क्षण था, जब आज के सपने को पंख लगे थे। आज मनोहर पर्रिकर इस दुनिया में नहीं है लेकिन जहाँ से भी वो अपने उस सपने को साकार होते देख रहे होंगे जिसके लिए उन्होंने मेहनत की थी, वो ज़रूर खुश होंगे। उन्होंने देश के लिए जो किया, उसके परिणाम आज दिख रहे हैं।
राजनाथ सिंह मानते हैं कि राफेल डील की प्रक्रिया को तेज़ करने का श्रेय मनोहर पर्रिकर को ही जाता है। मनोहर पर्रिकर की श्रद्धांजलि सभा में पणजी में राजनाथ सिंह ने ये बातें कही थीं। पूर्व रक्षा मंत्री के योगदानों और राफेल डील में उनके रोल को याद करने के लिए आप वर्तमान रक्षा मंत्री को सुनिए। नीचे हम राजनाथ सिंह के यूट्यूब अकाउंट से उस वीडियो को ढूँढ कर आपके समक्ष पेश कर रहे हैं:
लेकिन, वही पर्रिकर जब कैंसर बीमारी से जूझते हुए भी गोवा में बतौर सीएम जनता की सेवा कर रहे थे, तब राहुल गाँधी ने कैसे राफेल करार को लेकर उनका अपमान किया था, ये आपको नहीं भूलना चाहिए और याद रखना चाहिए। राहुल गाँधी ने एक ईमानदार छवि वाले नेता को बदनाम करने की कैसे कोशिश की, ये भी आज इस मौके पर याद करना चाहिए, जब 5 राफेल हमारी ज़मीन पर उतर गए हैं।
राहुल ने कहा था कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनसे मुलाकात के दौरान बताया कि पीएम मोदी ने राफेल डील बदलते वक्त उनसे नहीं पूछा। राहुल गाँधी ने उस मुलाक़ात के बाद कहा था:“मैं कल पर्रिकर जी से मिला था। पर्रिकर जी ने स्वयं कहा था कि (राफेल) डील बदलते समय पीएम ने हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री (तब मनोहर पर्रिकर) से नहीं पूछा।” राहुल गाँधी ने अपने प्रोपेगंडा के लिए एक बीमार नेता का इस्तेमाल किया।
एडवांस पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित पर्रिकर तब काफ़ी दिनों से बीमार चल रहे थे। कई सरकारी कार्यक्रमों के दौरान उनके नाक में पाइप लगे देखा गया था। ये तस्वीरें वायरल भी हुई थीं। बीमारी के बावजूद कार्यभार संभाल रहे पर्रिकर की कई लोगों ने प्रशंसा भी की थी। राहुल गाँधी के बेतुके आरोपों के बाद मनोहर पर्रिकर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राहुल के दावों की पोल खोलते हुए कहा था कि उनके व्यवहार से वो काफ़ी आहत हुए हैं।
आज आप फिर से उस पत्र को पढ़ें, जिसे मनोहर पर्रिकर ने राहुल गाँधी के आरोपों का जवाब देते हुए लिखा था और एक-एक बात क्लियर की थी। नीचे हम उस पत्र का टेक्स्ट आज फिर से आपके समक्ष पेश कर रहे हैं, ताकि राफेल विमानों की डील को अंजाम तक पहुँचाने वाले का किसने अपमान किया, ये आप न भूलें:
“प्रिय श्री राहुल गाँधी,
कल यानी 29 जनवरी 2019 को, बिना किसी पूर्व सूचना के आप मेरे स्वास्थ्य का हाल पूछने मेरे यहाँ आए थे। दलगत भावना से ऊपर उठकर एक अस्वस्थ व्यक्ति का हाल जानना एवं उसके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करना, राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन की अच्छी परंपरा है, अतः मुझे भी आपका मेरा हाल जानने के लिए कार्यालय आना अच्छा लगा। आपके आने पर मैंने आपका स्वागत मेरे स्वास्थ्य एवं बीमारी प्रति आपकी अच्छी भावना के संदर्भ में किया।
लेकिन आज सुबह समाचार पत्रों में जिस ढंग से आपके ‘विजिट’ को लेकर बयान प्रकाशित हुए हैं, उन्हें पढ़कर मुझे आश्चर्य भी हुआ और मैं आहत भी हूँ। आपको कोट करते हुए सामाचार पत्रों में प्रकाशित है कि आपने कहा है, “बातचीत में मैंने आपको बताया है कि राफ़ेल प्रोसेस में मैं कहीं नहीं था, या मुझे कोई जानकारी नहीं थी।
मेरे लिए यह अत्यंत निराशाजनक और आहत करने वाली बात है कि मेरे स्वास्थ्य का हाल जानने के बहाने आपने अपने निम्न स्तरीय राजनीतिक हितों को साधने का कार्य किया है, इसकी मैं कल्पना भी नहीं कर पा रहा।
आपसे 5 मिनट की हमारी भेंट में ना तो ‘राफ़ेल’ का जिक्र हुआ और ना ही मैंने राफ़ेल संबंधी कोई चर्चा की। उन 5 मिनटों में इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई। इस तरह की कोई बात मेरी और आपके बीच न तो हाल की मीटिंग में हुई थी और ना ही पहले कभी हुई।
मैंने पहले भी कई बार स्पष्ट किया है और इस पत्र के माध्यम से फिर कह रहा हूँ कि राफ़ेल सौदा इंटर गवर्नमेंट एग्रिमेंट (IGA) और डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसिज़र के नियमों के तहत हुआ है। इसमें दूर-दूर तक कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। यह पूरी खरीद प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकताओं के आधार पर तय नियामकों के तहत हुई है।
शिष्टाचार भेंट के बहाने मेरे घर आकर, फिर इतने निम्न स्तर का झूठ आधारित राजनीतिक बयान देना, आपके मेरे घर आने के आने उद्देश्यों और इरादों को उजागर करता है। आपके मेरे घर आने पर यह एक बड़ा प्रश्नचिह्न और संदेह का घेरा भी है।
जैसा कि सभी जानते हैं, इन दिनों मैं बीमारी में अपने जीवन के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हूँ। फिर भी अपने पूर्व के अनुशासनपूर्ण जीवन एवं वैचारिक शक्ति के माध्यम से गोवा की जनता की सेवा में निरंतर लगा हूँ, और लगा रहूँगा। मैंने सोचा था कि आपका आना और आपकी शुभकामनाएँ मेरे लिए इस प्रतिकूल स्थिति में सम्बल प्रदान करेगी, लेकिन मैं नहीं समझ सका कि आपके आने का वास्तविक इरादा क्या था।
घोर निराशा के साथ मुझे आपको लिखना पड़ रहा है कि आप सच को स्वीकारिए और सामने लाइए। साथ ही, यह भी निवेदन करूँगा कि किसी बीमार और अस्वस्थ व्यक्ति को अपने अवसरवादी राजनीति का शिकार बनाने की नीयत मत रखिए। मैं सदैव गोवा की जनता की सेवा में हर पल तत्पर हूँ।
सादर
मनोहर पर्रीकर“
India & France signed the deal for 36 Rafale jets. Rafale will significantly improve India’s strike & defence capabilities. pic.twitter.com/L6pjQT1zpX
— Manohar Parrikar Memorial (@manoharparrikar) September 23, 2016
जैसा कि मनोहर पर्रिकर ने लिखा था, राहुल गाँधी ने शिष्टाचार के बहाने उनसे मुलाकात की और फिर राजनीति के लिए उनकी इस मुलाकात का इस्तेमाल कर लिया। एक बीमार व्यक्ति को राहुल ने अवसरवादी राजनीति का शिकार बनाया, ये खुद पर्रिकर के ही आरोप थे। स्वास्थ्य का हाल जानने आए राहुल ने कैसे उस मुलाकात के बाद झूठ बोल कर उन्हें बदनाम किया, उससे वो काफी आहत और दुःखी हुए थे।
आज जब अम्बाला में पाँच राफेल विमान उतरे हैं और लोग इसकी तस्वीरें देख कर ख़ुशी मना रहे हैं, हमें मनोहर पर्रिकर को याद कर के पल भर के लिए भावुक भी हो जाना चाहिए और राहुल गाँधी द्वारा अंतिम दिनों में किए गए उनके अपमान के लिए थोड़ी देर आक्रोश भी जताना चाहिए। जैसा कि वामपंथी गैंग और इस्लामी कट्टरवादी कहते हैं- “नहीं भूलेंगे“। अब राष्ट्रवादी भी इसे याद रखें।