राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार का मुस्लिम तुष्टिकरण का चेहरा एक बार फिर से उजागर हो गया है। इस बार इस सरकार ने राज्य में मदरसों के विकास के लिए 25,00,000 तक की मदद का ऐलान किया है। गहलोत सरकार द्वारा की जा रही इस फंडिंग को बीजेपी ने इसे मुस्लिमों के लिए दीवाली का बोनस करार दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिमों को यह फंडिंग मुख्यमंत्री मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत की जा रही है। इस मामले में राजस्थान मदरसा बोर्ड ने प्रेस रिलीज जारी की है। प्रेस रिलीज में राजस्थान मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड A कैटेगरी के मदरसों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि राज्य की योजना के तहत प्राथमिक मदरसों के विकास के लिए 15 लाख रुपए और हायर लेवल मदरसों के लिए 25 लाख रुपए देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए आवेदन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर रखी गई है। उल्लेखनीय है कि इस योजना में 90 फीसदी खर्च राज्य और 10 फीसदी मदरसे उठाएँगे।
गहलोत सरकार के मुस्लिम तुष्टिकरण वाले इस फैसले पर कटाक्ष करते हुए बीजेपी के मीडिया सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने इसे दीवाली का बोनस और जनता के टैक्स का बेहतरीन उपयोग बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “महिला उत्पीड़न और दलितों पर बढ़ते अपराध के मामलों के बीच, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार की अद्भुत साम्प्रदायिक पहल…। मदरसों को मिलेगा सरकार की तरफ से दीपावली बोनस। 15-25 लाख रुपए प्रति मदरसा! राजस्थान की जनता के टैक्स का बेहतरीन सदुपयोग।”
दरअसल, लखीमपुर खीरी मामले में केंद्र और योगी सरकार को घरेने वाली अशोक गहलोत सरकार में हाल ही में हनुमानगढ़ की पीलीबंगा में दलित को बेरहमी से पीटा गया था। इसके अलावा जालोर, अलवर, झालावाड़ और नागौर में भी इसी तरह की घटनाएँ हुई हैं। इसी को लेकर मालवीय ने राजस्थान की कॉन्ग्रेसी सरकार को घेरा है।
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की गहलोत सरकार के तुष्टिकरण का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिंदू त्योहार विजयदशमी के मौके पर गहलोत सरकार ने आरएसएस को कोरोना का हवाला दे पथ संचलन से रोक दिया था, लेकिन इसी गहलोत सरकार में कोरोना के ही दौरान जनाजे में भीड़ जायज लगी थी। उस दौरान कोरोना नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ था।