असम की संस्कृति को बढ़ावा देने के क्रम में अब प्रदेश की हिमंता बिस्वा सरकार ने योगी मॉडल को अपनाया है। सीएम सरमा ने फैसला लिया है कि अब वह प्रदेशों में उन जगहों के नाम को बदल देंगे जो कि प्रदेश की परंपरा, संस्कृति और सभ्यता के विरुद्ध हैं।
अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, “नाम में बहुत कुछ होता है। हर शहर, टाउन, और गाँव का नाम उसकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को दर्शाने वाला होने चाहिए। हम पूरे असम में उन जगहों के नाम बदलने पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए पोर्टल लॉन्च करेंगे, जो हमारी सभ्यता, संस्कृति के विपरीत हैं और किसी कभी जाति, समुदाय के लिए अपमानजनक हैं।”
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर कहा, “असम सरकार उन जगहों के नाम बदल देगी जो जगह प्रदेश की संस्कृति और परंपरा से नहीं जुड़े हैं।” उन्होंने कहा कि ऐसी कई जगहें हैं जहाँ के स्थानीय लोग उस नाम को नहीं पसंद करते। कुछ जगह ऐसे स्थान हैं जहाँ नाम द्वेष के कारण रखा गया। इन्हें बदलना होगा।
THERE’S MUCH IN A NAME
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) February 16, 2022
Name of a city, town or village should represent its culture, tradition & civilisation.
We shall launch a portal to invite suggestions on change of names across Assam which are contrary to our civilisation, culture & derogatory to any caste or community.
इससे पहले सरमा ने कालापहाड़ का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था, “कालापहाड़ ने कामाख्या मंदिर को नष्ट कर दिया था। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि किसी शहर का नाम कालापहाड़ रखा जाए। लोगों के साथ परामर्श के बाद इस नाम को हटा दिया जाना चाहिए।” उन्होंने बताया कि कालापहाड़ का नाम बंगाल सल्तनत कालापहाड़ के तानाशाह मुस्लिम जनरल के नाम पर रखा गया था। वह प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार था।
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में असम कैबिनेट ने राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान किया था। सरमा ने यह फैसला चाय जनजाति समुदाय से मुलाकात करके उनके अनुरोध पर लिया था। बाद में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि असम में राजनीतिक नेताओं के नाम पर राष्ट्रीय उद्यानों का नामकरण करने की कोई परंपरा नहीं थी, लेकिन कॉन्ग्रेस ने 2000 के दशक की शुरुआत में परंपरा को तोड़ा था।