योग गुरु बाबा रामदेव ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। बाबा रामदेव ने कहा कि राम का वनवास खत्म। अब अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। उन्होंने सभी से फैसले को सहर्ष स्वीकार करने के साथ ही अराजक तत्वों से सावधान रहने की जरूरत की बात भी कही। बाबा रामदेव ने कहा कि इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अदालत के फैसले को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि वो इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि उन्हें खैरात में पाँच एकड़ जमीन नहीं चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम (सर्वोच्च) जरूर है, लेकिन वह अचूक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुल्क हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। संघ अब काशी और मथुरा के मुद्दे को भी उठाएगा।
रिपब्लिक टीवी पर डिबेट के दौरान बाबा रामदेव ने ओवैसी की जमकर क्लास लगाई और उन्हें उनके ‘औकात’ के बारे में भी बताया। रामदेव ने ओवैसी को गद्दार बताया। उन्होंने कहा कि वो ओवैसी को गद्दार इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनका (ओवैसी) भारत और भारतीयता में आस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि ओवैसी का अपना एक अलग मजहबी एजेंडा है। उस मजहबी एजेंडे को चलाकर ये अपना राज कायम रखना चाहते हैं और लोगों को अलग-अलग तरीके से भड़काना चाहते हैं।
#LIVE | Baba Ramdev opposes Asaduddin Owaisi, adds that no community should celebrate such that any other community is made to feel aggrieved. Tune in to watch hims speak on the Ayodhya verdict, here – https://t.co/rGQJsiKgt2 pic.twitter.com/EoDteJl6QX
— Republic (@republic) November 9, 2019
बाबा रामदेव ने आगे कहा कि ओवैसी चाहते ही नहीं है कि हिन्दुस्तान के अंदर हिन्दू और मुस्लिम मिलकर शांति से रहे। ये मजहबी तौर पर झगड़े कराकर देश को बाँटना चाहते हैं। कोई हिन्दू राष्ट्र और कोई इस्लाम राष्ट्र की बात नहीं होगी। यह भारत है, यह हिन्दुस्तान है। उन्होंने कहा, “अगर ओवैसी का वश चले तो ये हैदराबाद में निजामी के समय की तरह ही दूसरा फसाद खड़ा कर दे, लेकिन इसकी औकात ही नहीं है इतनी कि हिन्दुस्तान का बँटवारा कर सके।”
उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (नवंबर 9, 2019) को अपने फैसले में विवादित जमीन रामलला को देने का फैसला किया। जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला को इसलिए दी है, क्योंकि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा। जिसके बाद कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को दी है। कोर्ट ने केंद्र से तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है।