नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के विरोध में जिस तरह का मजहबी उन्माद, हिंसा और नारे सुनाई पड़ रहे हैं, ऐसे ही हालात में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ बर्बर घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। ऐसी ही एक घटना में 8-70 साल की करीब 200 हिंदू महिलाओं से रेप हुआ था। उस मजहबी उन्माद को सत्ता का संरक्षण भी हासिल था। इस घटना का जिक्र 9 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भी किया था।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर 9 दिसंबर को लोकसभा ने मुहर लगाई थी। विधेयक के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े। यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए लाया गया था। अब यह कानून बन चुका है।
लोकसभा में इस बिल पर हुई बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आँकड़ों के जरिए बताया कि कैसे यह बिल लाखों-करोड़ों लोगों को यातना से मुक्ति दिलाएगा। उन्होंने कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी थी, जो 2011 में 3.7 फीसदी रह गई। बांग्लादेश में 1947 में 22 फीसदी अल्पसंख्यक थे, जो 2011 में घटकर 7.8 फीसदी हो गए। उन्होंने पूछा, आखिर ये लोग कहाँ चले गए? इसी दौरान शाह ने भोला का जिक्र किया और कहा- भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।
बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया: श्री @AmitShah #CitizenshipAmendmentBill2019
— BJP (@BJP4India) December 9, 2019
1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी जो 2011 में घटकर 3.7 % हो गई, 1947 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में मात्र 7.8% रह गई।
— BJP (@BJP4India) December 10, 2019
जो बिल का विरोध कर रहे हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वो लोग कहां गए?: श्री @AmitShah pic.twitter.com/YUtiBFC1Lz
जिस भोला में हिंदुओं के साथ इतने बड़े पैमाने पर बर्बरता हुई वह धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए कुख्यात पाकिस्तान में नहीं है। यह पाकिस्तान से टूट कर बने बांग्लादेश में है। शाह जिस घटना का जिक्र कर रहे थे वह 2001 की है। जब बांग्लादेश के आम चुनावों में जीत के बाद बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में हिंदुओं पर कहर ढा दिया था। सुनियोजित तरीके से हिंदुओं को निशाना बनाया गया। खासकर, बागेरहाट, बारिसल, भोला, बोगरा, ब्राह्मणबारिया, चिटगॉंव, फेनी, गाजीपुर, जेसोर, खुलना, मुंशीगंज, नारायणगंज, सिराजगंज जैसे जिलों में।
अक्टूबर 2001 में भोला के लालमोहन उपजिला में हिंदुओं के घर पर हमला हुआ। महिलाओं और बच्चों के साथ रेप किया गया। हमलावरों ने घर का हरेक समान लूट लिया। यहाँ तक कि हिंदुओं के पेड़ तक काट दिए गए। विकिपीडिया के अनुसार भोला के चर फासून (Char Fasson) उपजिला में करीब 200 हिंदू महिलाओं के साथ बीएनपी कार्यकर्ताओं ने बलात्कार किया। सबसे कम उम्र की पीड़िता 8 साल की तो सबसे बुजुर्ग 70 साल की थी।
बांग्लादेश के दक्षिणी-मध्य हिस्से में पड़ने वाला भोला देश का सबसे बड़ा द्वीप है। इसके दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की आबादी करीब 20 लाख है। करीब 96 फीसदी आबादी समुदाय विशेष की है। हिंदू 4.24 फीसदी हैं। भोला में 2001 ही नहीं, 1992 में भी हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया था। इस साल अक्टूबर में भी यह जिला इसी वजह से सुर्खियों में था। बिप्लव चंद्र नामक एक हिंदू का फेसबुक अकाउंट हैक कर पहले तो ईश निंदा का पोस्ट किया गया फिर समुदाय विशेष ने इसके बहाने जमकर उत्पात मचाया। ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार बिप्लव 18 अक्टूबर को थाने में अपना फेसबुक अकाउंट हैक करने की शिकायत लेकर पहुॅंचा। जिस वक्त वह शिकायत दर्ज करवा रहा था उसी दौरान उसके पास हैकर्स का फोन आया और उन्होंने उससे रुपयों की मॉंग की। द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार इस पोस्ट के बहाने 20 अक्टूबर को मजहब विशेष ने भोला के बोहरानुद्दीन उपजिला में हिंदुओं के 12 घरों को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद डर के मारे भोला के हिंदुओं ने काफी समय तक घर से निकलना बंद कर दिया था।
बांग्लादेश माइनॉरिटी काउंसिल की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें
आज भोला में हिंदुओं की संख्या कुछेक हजार ही है। लेकिन, द डेली स्टार की इसी साल की अक्टूबर की रिपोर्ट में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चयन ओइकिया परिषद के भोला चैप्टर के अध्यक्ष अबिनाश नंदी के हवाले से बताया गया है कि कभी इस जिले में हिंदुओं की आबादी 2.8-3 लाख के बीच थी। उन्होंने बताया कि ताजा घटना के बाद ज्यादातर हिंदू घरों में कैद हो गए थे। हिंदू बच्चों ने स्कूल-कॉलेज जाना छोड़ दिया था। इस घटना ने लोगों के जेहन में 1992 और 2001 की हिंसा की याद ताजा कर दी थी, जब हिंदुओं के साथ बड़े पैमाने पर अत्याचार हुआ था। इस बार भी जब हिंसा भड़की तो लोगों ने पुलिसकर्मियों तक को बंधक बना लिया था। लेकिन हिंदुओं के लिए राहत की बात यह थी कि इस बार सत्ता में बीएनपी न होकर शेख हसीना की अवामी लीग थी और हालात पर काबू पाने के लिए बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश की तैनाती कर दी गई थी।
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत का अंदाजा इसी साल मई में ओइकिया परिषद की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लगाया जा सकता है। इसमें बताया गया था कि इस साल के पहले चार महीनों में ही अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर गैंगरेप और मर्डर सहित 250 हिंसक घटनाएँ हुई थी। अप्रैल तक कम से कम 29 मंदिरों पर इस साल हमले की घटना भी सामने आ चुकी थी।