Sunday, December 22, 2024
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नीतीश कुमार की जाति पर बहुते भारी पड़ी तेजस्वी यादव की जाति: बिहार ने जारी किए जाति जनगणना के नंबर्स, सोशल मीडिया में रार देख अल्प आबादी वाले सहमे

इस जाति आधारित जनगणना का उद्देश्य क्या था, इसकी झलक मिलने लगी है। सोशल मीडिया पर 15 प्रतिशत वाले सवर्णों को नजरअंदाज करने की बात कही जाने लगी है। वहीं, अपनी विभाजनकारी नीति और 'भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो' का नारा देने वाले लालू यादव ने अपनी राजनीतिक पैंतरेबाजी शुरू कर दी है।

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के बीच सरकार के फैसलों को राजनीति से हटकर मानना थोड़ा मुश्किल होता है। बिहार सरकार का जातिगत आँकड़े कुछ ऐसे ही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू, राजद और कॉन्ग्रेस की गठबंधन सरकार द्वारा आज सोमवार (2 अक्टूबर 2023) को जातिगत आँकड़े पेश किए गए। इनको लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गया है।

जारी किए गए आँकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 310 है। इसमें हिंदू आबादी 81.99 प्रतिशत है, जबकि 17.70 प्रतिशत जनसंख्या के साथ मुस्लिम आबादी दूसरे नंबर पर है। प्रदेश में ईसाइयों 0.05 प्रतिशत, सिख 0.011 प्रतिशत, बौद्ध 0.0851 प्रतिशत और जैन 0.0096 प्रतिशत है। इस बिहार में बौद्धों की आबादी 1,11,226, जैनों की जनसंख्या 12,523 और सिखों की जनसंख्या 14753 है। इनमें 2146 लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कहा कि उनका कोई धर्म नहीं है।

अगर संविधानिक संरचना के अनुसार आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश की कुल जनसंख्या में सामान्य वर्ग, जिसे अगड़ा भी कहा जाता है, की जनसंख्या 15.52 प्रतिशत है। वहीं पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति (SC) 19.65 और अनुसूचित जनजाति (ST) 1.68 प्रतिशत हैं।

अगर हिंदुओं की जाति आधारित संख्या की बात करे तो सबसे अधिक जनसंख्या यादव लिखने वाले अहीर/गोप/ग्वाला जाति की है। उनकी जनसंख्या 14 प्रतिशत है। वहीं, दूसरे स्थान पर 4.21 प्रतिशत आबादी के साथ कुशवाहा (कोइरी) दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर ब्राह्मण, चौथे स्थान पर क्षत्रिय यानी राजपूत और पाँचवे स्थान पर मुसहरों की आबादी है।

अगर सामान्य वर्ग में जाति आधारित जनसंख्या की बात की जाए तो इसमें सबसे अधिक आबादी ब्राह्मण और उससे थोड़ा सा ही नीचे क्षत्रिय आबादी है। बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.65 प्रतिशत, क्षत्रिय (राजपूत) की 3.45 प्रतिशत और भूमिहार की 2.87 प्रतिशत है। वहीं, बनिया की आबादी 2.31 प्रतिशत और कायस्थ की आबादी 0.60 प्रतिशत है।

उसी तरह, अगर पिछड़ों, अतिपिछड़ों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में बात की जाए तो यादव जाति की आबादी सबसे अधिक 14 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर 4.21 प्रतिशत के साथ कुशवाहा (कोइरी) हैं। तीसरे स्थान पर 3.08 प्रतिशत के साथ मुसहर है। इसके बाद कुर्मी 2.87 प्रतिशत, मल्लाह 2.6086, बढ़ई 1.45 प्रतिशत, पासी 0.98 प्रतिशत और राजभर 0.17 प्रतिशत हैं।

जातिगत आँकड़ें जारी होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बधाई दी है। उन्होंने कहा, “आज गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आँकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई ! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था।”

उन्होंने आगे कहा, “जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।”

इस जाति आधारित जनगणना का उद्देश्य क्या था, इसकी झलक मिलने लगी है। सोशल मीडिया पर 15 प्रतिशत वाले सवर्णों को नजरअंदाज करने की बात कही जाने लगी है। वहीं, अपनी विभाजनकारी नीति और ‘भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो’ का नारा देने वाले लालू यादव ने अपनी राजनीतिक पैंतरेबाजी शुरू कर दी है।

लालू ने ट्वीट किया, “सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएँगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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