बिहार की राजनीति में फिर से परिवर्तन की सुगबुगाहट है। नीतीश कुमार पहले से ही मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वे फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इसके कयास लगाए जा रहे हैं। ये नौवाँ मौका होगा, जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। ये अलग बात है कि उनके साथी वक्त के साथ बदलते रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि वे 28 जनवरी 2024 को एक बार फिर से भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाएँगे। खबर ये भी है कि नीतीश कुमार को मनाने के लिए उनके सहयोगी राजद के सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हें पाँच बार फोन किया, लेकिन उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 28 जनवरी 2024 को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। इस बार वे जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के साथ सरकार बनाएँगे। इस गठबंधन सरकार में भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी उप-मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा-जदयू की गठबंधन सरकार में सुशील मोदी पहले भी उपमुख्यमंत्री रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार महागठबंधन से बाहर निकलने का फैसला कर लिया है। इसके पीछे मतभेद बड़ा कारण बताया जा रहा है। INDI गठबंधन में राष्ट्रीय संयोजक नहीं बनाए जाने से वे नाराज बताए जा रहे हैं।
#WATCH | Bihar CM Nitish Kumar and Bihar Minister Ashok Choudhary present at an official event in Raj Bhavan, Patna.
— ANI (@ANI) January 26, 2024
Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav is not present at the event. pic.twitter.com/bdHNECUn2a
जेडीयू के सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार कॉन्ग्रेस से सुलह के मूड में नहीं हैं। उनकी नाराजगी की बड़ी वजह इंडी गठबंधन में उन्हें संयोजक पद नहीं मिलने के अलावा सीटों के बँटवारे में देरी भी शामिल है। जेडीयू की नजर इंडी गठबंधन के 17 (16+1) लोकसभा सीटों पर है। इस मामले में कॉन्ग्रेस ढील नहीं दे रही है। वहीं, इंडी गठबंधन का संयोजक पद भी कॉन्ग्रेस के पास जा चुका है। विधानसभा में पहले से ही कम विधायकों की वजह से नीतीश कुमार में छटपटाहट है। ऐसे में सांसदों की कमी के बाद वे अपनी राजनीतिक ताकत कम नहीं होने देना चाहते। लोकसभा चुनाव के साल भर बाद ही बिहार विधानसभा का भी चुनाव है।
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी हर जगह ये संकेत दे रही है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से दूर जा रहे हैं। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में भी तेजस्वी यादव नदारद दिखे। तेजस्वी यादव के नाम की पर्ची लगी कुर्सी पर बैठने के लिए अशोक चौधरी ने उसे हटा दी और फिर वो नीतीश कुमार के साथ गुफ्तगू करते देखे गए। वहीं, बाद में पत्रकारों ने नीतीश कुमार से पूछा कि तेजस्वी यादव कार्यक्रम में क्यों नहीं आए तो नीतीश कुमार ने कहा कि ये तो उन्हीं से पूछा जाना चाहिए, जो कार्यक्रम में नहीं आए। जाहिर है कि नीतीश कुमार अब तेजस्वी का नाम भी नहीं ले रहे हैं।
#WATCH | When asked why Deputy CM Tejashwi Yadav did not come for the official event at Raj Bhavan, Bihar CM Nitish Kumar says, "Ask those who did not come." https://t.co/A0fGEvUIxU pic.twitter.com/KN322Hnz24
— ANI (@ANI) January 26, 2024
इस बीच अपने बेटे की कुर्सी बचाने के लिए राजद सुप्रीमो लालू यादव सीधे मैदान में आ गए। उन्होंने नीतीश कुमार से बात करने के लिए पाँच बार फोन मिलाया, लेकिन नीतीश कुमार ने उनसे बात करने से साफ इनकार कर दिया। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि लालू यादव ने नीतीश कुमार को लैंडलाइन से भी फोन किया, लेकिन उस पर भी बात नहीं हुई है। दरअसल, लालू यादव इस पूरे मामले में नीतीश कुमार से बात करना चाह रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने साफ संकेत दे दिया कि वे अब किसी से सुलह के मूड में नहीं हैं।
राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि भाजपा के दफ़्तर के चपरासी ने भी कह दिया है नीतीश कुमार को पार्टी में नहीं लेंगे, फिर कैसे वो जा सकते है। तिवारी ने आगे कहा, “नीतीश कुमार से मिलने के लिए मैंने कल समय माँगा था, लेकिन अभी तक नहीं समय मिला है। हमने नीतीश से कहा भी कि बात क्या है कि मेरे लिए समय नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि वे आज (26 जनवरी को) बताते हैं। हमें अभी भी भरोसा नहीं है कि नीतीश कुमार इधर से उधर चले जाएँगे।”
लालू यादव भी चल रहे अपनी चाल
सूत्रों की मानें तो लालू यादव अब नीतीश कुमार से अलगाव की सूरत में किसी भी शर्त पर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे। इसके लिए नीतीश कुमार के पूर्व साथी जीतनराम माँझी, कॉन्ग्रेस, वाम दलों, एआईएमआईएम के एक विधायक के अलावा एक निर्दलीय विधायक को भी अपनी ओर करना चाहेंगे। वहीं, दूसरी ओर चर्चा ये भी है कि कॉन्ग्रेस के 19 में से 10 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। वो कॉन्ग्रेस के भीतर ही अलग गुट भी बना सकते हैं। ऐसे में अगले दो दिन सभी दल अपनी जोर-आजमाइश करने वाले हैं।