भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय (Amit Malviya) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य में ‘द केरल स्टोरी (The Kerala Story)’ से प्रतिबंध हटाने के बाद तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) सरकार फिल्म ना दिखाने के लिए थिएटर मालिकों को धमका रही है।
बता दें कि बंगाल सरकार ने फिल्म को तथ्यहीन और समाज में वैमनस्य फैलाने का हवाला देकर राज्य में फिल्म को दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पलटने के बाद फिल्म वितरकों और थिएटर मालिकों ने फिल्म में दिलचस्पी दिखाई थी। हालाँकि, शनिवार (20 मई 2023) को फैसले के दो दिन बीत जाने के बाद भी किसी सिनेमाघर में ‘द केरला स्टोरी’ का प्रदर्शन नहीं किया।
अमित मालवीय ने इसके लिए ममता बनर्जी और तृणमूल कॉन्ग्रेस की सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि ममता सरकार ने इस फिल्म को दिखाने वाले थिएटरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की धमकी दी है। इसके कारण फिल्म को बंगाल में नहीं दिखाया जा रहा है। इसको लेकर मालवीय ने ट्वीट किया है।
अपने ट्वीट में अमित मालवीय ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में द केरला स्टोरी पर प्रतिबंध हटाने के बाद कोलकाता में एक भी थिएटर फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं कर रहा है, जबकि ममता बनर्जी द्वारा प्रतिबंध लगाने से पहले वे सभी हाउसफुल चल रहे थे। सिनेमा हॉल मालिकों को स्थानीय प्रशासन द्वारा दंडात्मक कार्रवाई, बिल्डिंग और फायर लाइसेंस रद्द करने और इससे भी बदतर की धमकी दी गई।”
After the Supreme Court lifted ban on The Kerala Story in West Bengal, not one theater in Kolkata is screening the movie, when they were all running houseful before Mamata Banerjee clamped down. Cinema hall owners are being threatened by the local administration with punitive…
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 20, 2023
मालवीय ने आगे कहा, “यह कोर्ट की अवमानना नहीं तो और क्या है? सुप्रीम कोर्ट को पश्चिम बंगाल की सीएम की अवमानना का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। अगर सुश्री बनर्जी इस तरह की दंडमुक्ति के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियाँ उड़ा सकती हैं तो कोई भी कल्पना कर सकता है कि यहाँ कानून का शासन कितना कमजोर है।”
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने जब फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की वजह पूछा तो बंगाल सरकार की ओर पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि केरल की इस कहानी में अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है और यह फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है। इससे राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य और कानून व्यवस्था से संबंधित स्थिति खड़ी हो सकती है।
इस फिल्म के निर्माता ने राज्य में इस फिल्म को ना दिखाने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। अपनी याचिका में निर्माता ने पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1954 की धारा 6 (1) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।
इस पर राज्य सरकार ने कहा कि फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया सूचनाओं पर आधारित एक नीतिगत निर्णय है। इससे याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता के वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं बताया जा सकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम के रूप में संवैधानिकता की एक धारणा है, जो उन फिल्म प्रदर्शनियों के लिए एक अपवाद बनाती है, जो शांति भंग कर सकती है।