वर्ष 2015 में जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी और डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब कॉन्ग्रेस ने सरकार पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खराब क्वालिटी वाले अनाज का वितरण करने का आरोप लगाया था। कॉन्ग्रेस का आरोप था कि राइस मिलर्स से मोटी रिश्वत ले कर अधिकारी लोगों के बीच खराब क्वालिटी के अनाज का वितरण करवा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खाद्यान्न खरीदकर लोगों को राशन बाँटने का काम करती रही है। कॉन्ग्रेस के आरोपों के बाद भाजपा सरकार ने NAN घोटाले की जाँच शुरू की। कुल 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला मुख्य आरोपित बनाए गए। बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू की और 2015 में चार्जशीट दायर की गई। तब तक छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तित हो गई और कॉन्ग्रेस की सरकार बन गई।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कामयाबी के बाद मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल ने भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा को बचाने और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उनके परिवार के लोगों, पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह व उनकी पत्नी यास्मीन सिंह, पूर्व डीजी (पुलिस) मुकेश गुप्ता, अशोक चतुर्वेदी और चिंतामणि चंद्राकर जैसे लोगों को फँसाने के लिए एक अभियान सा छेड़ दिया। NAN घोटाले के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा को बचाने के लिए भूपेश बघेल ने राज्य के आईपीएस अधिकारियों, न्यायपालिका और सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोगों समेत अन्य साधनों का इस्तेमाल किया। इसके लिए गवाहों पर दबाव बनाने के साथ-साथ सबूतों के साथ छेड़-छाड़ भी की गई। मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा के जाँच पर सवाल उठाए जाने के बाद भूपेश बघेल ने जाँच के लिए एक एसआईटी (SIT) का गठन कर दिया।
उसके बाद से कई ऐसे सबूत सामने आए हैं जिससे साबित होता है कि भूपेश बघेल न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा का बचाव कर रहे थे बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को घोटाले में फँसाने की कोशिश कर रहे थे। साल 2020 में कोर्ट से जमानत मिलते ही अनुल टुटेजा और आलोक शुक्ला को दोबारा बहाल कर दिया गया। टुटेजा को वाणिज्य और उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया तो दूसरे मुख्य आरोपित आलोक शुक्ला को शिक्षा के साथ-साथ अन्य विभागों का प्रभारी प्रधान सचिव बनाया गया।
ऑपइंडिया के पास नान घोटाले के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के व्हाट्सएप चैट उपलब्ध हैं। दरअसल फरवरी 2020 में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी के दौरान आईपीएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश के फोन जब्त कर लिए गए थे। इसके बाद विभाग के अधिकारियों को व्हाट्सएप पर अनिल टुटेजा और यश टुटेजा के दूसरे अधिकारियों के साथ बातचीत की जानकारी मिली थी। व्हाट्सएप पर टुटेजा और राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों जैसे एसआरपी कल्लूरी, कल्याण एलेसेला, जीपी सिंह और आरिफ शेख के बीच हुई बातचीत से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा ने आईपीएस अधिकारियों को अपने इशारों पर नचाया और किस तरह राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली का जमकर दुरुपयोग किया गया। ऑपइंडिया द्वारा इस पर विस्तृत लेख प्रकाशित किया गया था। जिसे आप हिंदी व अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।
अनिल टुटेजा को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी। एसएलपी में ईडी ने कोर्ट को उन व्हाट्सएप चैट्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिन्हें आयकर विभाग द्वारा प्राप्त किया गया था। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि घोटाले के मुख्य आरोपितों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने छत्तीसगढ़ EOW प्रमुख, ACB प्रमुख, उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिकारी, एसआईटी के अन्य सदस्यों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मदद से केस को कमजोर किया। सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर व गवाहों को धमका कर SIT से अनुकूल रिपोर्ट तैयार करवाया गया।
निलंबित आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह ने 22 दिसंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जानकारी दी कि किस तरह उनपर टुटेजा को बचाने और रमन सिंह को को फँसाने के लिए दबाव बनाया गया। जीपी सिंह ने दावा किया कि भूपेश बघेल ने उन्हें 2 बार मिलने के लिए बुलाया था। 14 सितंबर, 2019 और 10 मई, 2020 को मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) के आवास पर बुलाया गया था। इस दौरान उन्हें रमन सिंह को फँसाने के निर्देश दिए गए। इतना ही नहीं, जीपी सिंह और सीएम बघेल के बीच आधी रात को हुई बैठक के खत्म होने से पहले जीपी सिंह से NAN घोटाले के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा को जाँच में हुई प्रगति के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था। जीपी सिंह ने बताया कि असफल होने पर उन्हें परिणाम भुगतने की धमकी भी दी गई थी। उन्होंने अदालत को जानकारी दी कि स्वयं भूपेश बघेल ने उन्हों एक हिट लिस्ट सौंपा। उस हिट लिस्ट को भी उनकी याचिका के साथ संलग्न किया गया था।
व्हाट्सएप चैट के आधार पर ऑपइंडिया के रिपोर्टों की पुष्टि जीपी सिंह द्वारा अदालत को दी गई हिटलिस्ट भी करती है। इससे आगे ऑपइंडिया ने अब छत्तीसगढ़ में राजनेताओं और नौकरशाहों के मिलीभगत द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रभावित करने वाले सबूतों का अध्ययन किया है। ऑपइंडिया ने जिन व्हाट्सएप चैट्स को प्राप्त किया था, उनमें कई दस्तावेज भी थे। इन दस्तावेजों का आदान-प्रदान आईपीएस अधिकारियों और अनिल टुटेजा के बीच हुआ था। टुटेजा के फोन से बरामद अटैचमेंट और दस्तावेज से उस हिट लिस्ट की पुष्टि होती है जिसे भूपेश बघेल ने जीपी सिंह को सौंपा था।
EOW द्वारा हाईकोर्ट में जमा कराए जाने वाले स्टेटस रिपोर्ट मुख्य आरोपित और उनके बेटे (अनिल टुटेजा और यश टुटेजा) तैयार कर रहे थे
ऑप इंडिया को प्राप्त चैट्स में से यश और आईपीएस अधिकारी कल्याण एलेसेला के बीच हुई बातचीत भी शामिल है। उस चैट के अध्ययन से यह साबित होता है कि हाईकोर्ट में जमा कराए जाने वाले स्टेटस रिपोर्ट को अनिल टुटेजा और यश टुटेजा मिलकर तैयार कर रहे थे। 16 फरवरी, 2019 को यश टुटेजा ने EOW के एसपी कल्याण एलेसेला (वह विभाग जो नान घोटाले में अनिल टुटेजा की जाँच करने वाला था) को एक संदेश भेजा।
यश टुटेजा ने कल्याण एलेसेला को एक ड्राफ्ट (स्टेटस रिपोर्ट) भेजा। उस समय के घटनाक्रम और सच्चाई को समझने के लिए यश द्वारा भेजे गए इस संदेश को जानना जरूरी है। भेजे गए अटैचमेंट में लिखा था, “कॉन्फ्रेंस में चर्चा के आधार पर स्थिति रिपोर्ट के लिए निम्नलिखित क्रम पर ध्यान दें”। स्टेटस रिपोर्ट का मसौदा लिखने के बाद नीचे वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन के नाम से हस्ताक्षर किया गया था।
इस चैट से अनुमान लगाया जा सकता है कि टुटेजा, दयान कृष्णन और कल्याण एलेसेला के बीच एक कॉन्फ्रेंस कॉल हुई थी। अनुमान लगाया जा सकता है कि इस कॉल के दौरान उस स्थिति रिपोर्ट पर चर्चा हुई थी जिसे EOW उच्च न्यायालय में दाखिल करने वाला था। आपको बता दें दयान कृष्णन उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील हैं जो छत्तीसगढ़ सरकार (भूपेश बघेल) की ओर से नान घोटाले में ACB-EOW का पक्ष रख रहे थे।
अब चूँकि यश टुटेजा द्वारा कल्याण एलेसेला को भेजे गए स्टेटस रिपोर्ट में दयान कृष्णन के हस्ताक्षर हैं। इससे समझा जा सकता है कि कॉन्फ्रेंस कॉल के बाद दयान कृष्णन यश टुटेजा के माध्यम से अनिल टुटेजा की जाँच करने वाले विभाग तक स्टेटस रिपोर्ट भेज रहे हैं। हाईकोर्ट में EOW को ही स्टेटस रिपोर्ट सबमिट करना है। चूँकि हम संबद्ध सभी लोगों के चैट प्राप्त नहीं कर सके हैं इसलिए उपलब्ध चैट के आधार पर यह केवल एक अध्ययनशील अनुमान हो सकता है। दयान कृष्णन द्वारा स्टेटस रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद यश टुटेजा इसमें संशोधन करता है और इसे उच्च न्यायालय में दायर की जाने वाली रिपोर्ट के रूप में EOW के एसपी कल्याण एलेसेला को भेजता है। इसलिए, किसी को तो यह सवाल पूछना होगा कि क्या सच में एसीबी का पक्ष रखने वाले वकील पहले नान घोटाले के मुख्य आरोपित के साथ स्टेटस रिपोर्ट साझा कर रहे थे? फिर आरोपित इस रिपोर्ट को संशोधित कर उस जाँच एजेंसी के अधिकारी को भेज रहे थे जिसे जाँच के बाद रिपोर्ट हाईकोर्ट में सबमिट करनी थी।
विभाग द्वारा कोर्ट में जमा कराया गया स्टेटस रिपोर्ट यश टुटेजा द्वरा तैयार किया गया था इसकी पुष्टि भी ऑपइंडिया को प्राप्त चैट से होती है। यश टुटेजा द्वारा स्टेटस रिपोर्ट साझा किए जाने के एक दिन बाद, 17 फरवरी, 2019 को कल्याण एलेसेला ने यश टुटेजा के साथ अपडेट स्टेटस रिपोर्ट साझा किया।
अनिल टुटेजा के फोन से बरामद दस्तावेज संख्या 73ea6827-acf0-4712-9ba0-cc37cd5f757c ही अंतिम स्टेटस रिपोर्ट है। जो यश टुटेजा ने पिता अनिल के साथ साझा किया था। यह वही स्टेटस रिपोर्ट है जिसे एलेसेला ने यश टुटेजा के साथ साझा किया था।
दिलचस्प बात यह है कि अनिल टुटेजा के फोन से बरामद दस्तावेजों में से एक में ऐसे कार्यों की लिस्ट भी प्राप्त हुई है जिसे आने वाले समय में पूरा किया जाना था। यह लिस्ट भी ऑपइंडिया के पास उपलब्ध है।
यह दस्तावेज़ 21 फरवरी, 2019 को अनिल टुटेजा के साथ साझा किया गया था। ऑपइंडिया इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि अनिल टुटेजा को किसने यह लिस्ट भेजा। दरअसल यह लिस्ट किसी चैट में नहीं बल्कि फोन से बरामद किया गया था।
नान मामले से जुड़े इस टास्क लिस्ट से यह स्पष्ट है कि जीपी सिंह को वास्तव में एक हिटलिस्ट दी गई थी। टास्क लिस्ट से यह भी साबित होता है कि NAN घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, मुकेश गुप्ता, अमन सिंह और अन्य को फँसाने के लिए मिलीभगत की गई थी। टास्क लिस्ट के कुछ विशेष कार्य इस प्रकार हैं-
1- मुकेश गुप्ता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करें
2-अमन सिंह के मामले में उचित जवाब तैयार करना था – जिसे 27 फरवरी, 2019 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
इस टास्क लिस्ट से यह साबित होता है कि नान घोटाले में अनिल टुटेजा और दूसरे सरकारी अधिकारी कुछ लोगों को फँसाने की कोशिश कर रहे थे। ये वही लोग हैं जिनका नाम जीपी सिंह को प्राप्त हिटलिस्ट में दर्ज है। जीपी सिंह द्वारा दायर की गई याचिका के अनुसार यह हिटलिस्ट उन्हें खुद भूपेश बघेल ने दी थी।
टास्क लिस्ट पर गौर करें तो एक टास्क ‘अदालत में एसीबी का पक्ष रखने के लिए लॉ डिपार्मेंट द्वारा वकील के रूप में दयान कृष्णन की नियुक्ति की अनुमति प्राप्त करना’ भी था। दिसंबर 2019 में अनिल टुटेजा को बचाने के लिए भूपेश बघेल द्वारा दयान कृष्णन जैसे निजी वकील की नियुक्ति को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ था। बहस के दौरान यह पता चला था कि सरकार मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा को बचाने के लिए कृष्णन को 80 लाख का भुगतान कर रही थी। प्राप्त चैट की कड़ियों को जोड़ें तो पता चलता है कि नान घोटाला मामले में दयान कृष्णन एसीबी-ईओडब्ल्यू का प्रतिनिधित्व करते हुए अनिल टुटेजा के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
अनिल टुटेजा के फोन से एक अन्य सरकारी दस्तावेज भी बरामद हुआ है। इसमें दयान कृष्णन को एसीबी वकील के रूप में नियुक्त किए जाने की पुष्टि की गई थी।
आयकर विभाग द्वारा अनिल टुटेजा के फोन से बरामद दस्तावेजों से मामले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं। ऑपइंडिया भी प्राप्त दस्तावेजों का लगातार अध्ययन कर रहा है:
1- भूपेश बघेल द्वारा गठित SIT का उद्देश्य NAN घोटाले में अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की भूमिका की जाँच करना था। फिर EOW के एसपी और ACB-EOW के अन्य अधिकारी केस से जुड़े अपडेट्स मुख्य आरोपित के साथ साझा क्यों कर रहे थे? जीपी सिंह ने खुलासा किया है कि उन्हें भूपेश बघेल ने अनिल टुटेजा के साथ केस के अपडेट्स साझा करने के निर्देश दिए थे।
2-भूपेश बघेल ने दयान कृष्णन जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता को एसीबी का पक्ष अदालत में रखने के लिए नियुक्त किया। वही एसीबी जो नान घोटाले में मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा के भूमिका की जाँच कर रहा था। क्या दयान कृष्णन एसीबी का स्टेटस रिपोर्ट यश टुटेजा के साथ साझा कर रहे थे जिसे एसीबी अनिल टुटेजा के खिलाफ अदालत में दायर करने वाली थी?
3- दयान कृष्णन ने संभवतः यश टुटेजा के साथ स्टेटस रिपोर्ट का ड्राफ्ट साझा किया, यश ने इस स्टेटस रिपोर्ट को संपादित किया और कल्याण एलेसेला (EOW के एसपी) को भेजा। फिर एलेसेला ने यश द्वारा इसे दयान कृष्णन तक पहुँचाया (क्योंकि स्टेटस रिपोर्ट की फाइलिंग वकील द्वारा की जानी थी)। क्या दयान कृष्णन को भी भूपेश बघेल द्वारा अनिल टुटेजा के साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए गए थे ताकि एसआईटी केस को कमजोर कर सके?
4- दयान कृष्णन की नियुक्ति की पुष्टि करने वाला सरकारी दस्तावेज भी अनिल टुटेजा के फोन से बरामद किया गया था – क्या दयान कृष्णन सचमुच एसीबी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे या वो मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा के लिए काम कर रहे थे जिसकी जाँच एसीबी को करनी थी?
5- अनिल टुटेजा के साथ एक टास्क लिस्ट क्यों साझा की गई जिसमें वकील के रूप में दयान कृष्णन को नियुक्त किए जाने का जिक्र है? क्या दयान कृष्णन को इसलिए एसीबी के वकील के तौर पर नियुक्त किया गया ताकि वो अनिल टुटेजा की मदद कर सकें?
यह साबित करने के लिए कि दयान कृष्णन को संभवतः अनिल टुटेजा की मदद करने के लिए एसीबी का वकील नियुक्त किया गया था, एक और महत्वपूर्ण चैट का उल्लेख जरूरी है। यह चैट कल्याण एलेसेला और यश टुटेजा के बीच का है। फाइनल स्टेटस रिपोर्ट शेयर किए जाने के एक दिन बाद यानि 18 फरवरी, 2019 को कल्याण एलेसेला ने यश टुटेजा को दयान कृष्णन के हवाई टिकट की एक प्रति भेजी।
यहाँ यह जानना जरूरी है कि एसीबी के वकील का हवाई टिकट EOW के एसपी मुख्य आरोपितों को क्यों भेज रहे थे?
ऑपइंडिया द्वारा इन बिंदुओं की जाँच से कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं:
1- जीपी सिंह का दावा कि भूपेश बघेल ने उन्हें एक हिटलिस्ट सौंपा था वह इस लेख में उल्लेखित दूसरे दस्तावेजों और उपलब्ध चैट के विश्लेषण से सही साबित होता है। यह भी साबित होता है कि EOW के अधिकारी ACB उनके वकील और राज्य के अन्य आईपीएस अधिकारी अनिल टुटेजा को बचाने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहे थे। इतना ही नहीं हिटलिस्ट में शामिल लोगों को फँसाने की कोशिश भी की जा रही थी।
2- रमन सिंह ने जोर देकर कहा था कि एसीबी के वकील को अनिल टुटेजा के इशारे पर काम करने के लिए नियुक्त किया गया था। क्योंकि वकील अनिल टुटेजा को केस से निकालने के लिए तैयार थे। इस लेख में हुए खुलासों से रमन सिंह की बात सच हो सकती है।
3- नान घोटाले में अनिल टुटेजा की भूमिका की जाँच होनी थी लेकिन जाँच को खुद टुटेजा नियंत्रित कर रहे थे।
4- भूपेश बघेल ने एसआईटी का गठन किया ताकि रमन सिंह सरकार में मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा जिसके खिलाफ चार्जशीट तक फाइल हो चुकी थी को बचाया जा सके और इस जाँच को कमजोर किया जा सके।
5- भूपेश बघेल सरकार द्वारा उच्च न्यायालय को जानबूझकर गुमराह किया गया। एसीबी द्वारा कोर्ट में एक ऐसी स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई जिसे आरोपित ने खुद तैयार और संपादित किया था। सवाल यह भी है कि क्या दयान कृष्णन भी इस खेल में बराबर के भागीदार थे?
6- हालाँकि इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि दयान कृष्णन जैसे वरिष्ठ वकील एसीबी/ईओडब्ल्यू और टुटेजा के बीच हो रही मिलीभगत से अनजान थे। यदि कृष्णन इन बातों से अनजान नहीं थे तो क्या उन्हें भी अदालत को गुमराह करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए?
नान घोटाला बहुत बड़ा घोटाला है। उससे भी बड़ी बात यह है कि बघेल सरकार न केवल मुख्य अभियुक्तों को बचाने की कोशिश कर रही है बल्कि रमन सिंह और अन्य को घोटाले में फँसाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। जैसा कि ऑपइंडिया पहले भी कह चुका है कि नान घोटाला एक ऐसा मामला है जिसने एक व्यवस्था को बहुत नुकसान पहुँचाया है। इस मामले में हमने देखा किस तरह पुलिस अधिकारियों, आईएएस अधिकारियों, न्यायाधीशों और राजनेताओं के मिली भगत से भ्रष्टाचार के मामले को कमजोर करने और आरोपितों को बचाने की कोशिश हुई। हमने देखा कि किस तरह अपने राजनीतिक विरोधियों को फँसाने के लिए सबूतों को प्रभावित किया गया, गवाहों को धमकी दे कर स्टेटमेंट बदलने के लिए मजबूर किया गया। इतना ही नहीं अधिकारियों को दंडात्मक पोस्टिंग के नाम पर डराने की भी कोशिश हुई। अधिकारियों के मिली भगत से हवाला लेन-देन को जारी रखे जाने समेत और भी बहुत कुछ अंजाम दिया गया। जैसे-जैसे हम इस घोटाले की परतें उधेड़ते जाएँगे और ऑपइंडिया को प्राप्त व्हाट्सएप चैट का और गहन अध्ययन करेंगे वैसे-वैसे हम अपनी ‘द छत्तीसगढ़ फाइल्स’ सीरीज में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फॉलो-अप प्रश्न पूछते रहेंगे।
आयकर विभाग द्वारा अनुल टुटेजा के फोन से प्राप्त सभी व्हाट्सएप चैट, अटैचमेंट्स, फाइलें और अन्य दस्तावेज जो हमें भी प्राप्त हुए और जिनके आधार पर हम रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं उन्हें हमने जनहित में उन्हें सार्वजनिक कर दिया है। जिन्हें यहाँ देखा जा सकता है-
https://drive.google.com/drive/folders/1KqlOtQ-1ty2eyghcUlg0FJ8rmkGYBpqm
(नुपूर शर्मा की यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में है। इसे आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। इसका अनुवाद राजन झा ने किया है।)