Saturday, November 23, 2024
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मुख्य दागदार पर ‘कृपा’, रमन सिंह जैसों को फँसाने के लिए CM बघेल ने बनाई ‘हिटलिस्ट’: छत्तीसगढ़ में नान घोटाले की जाँच पर हो रहा खेल दस्तावेजों-चैट से बेनकाब

साल 2015 में कॉन्ग्रेस ने ही सबसे पहले NAN घोटाले के आरोप लगाए थे। जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी इसमें कॉन्ग्रेस के ही पदाधिकारी फँसते नजर आए। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री बघेल खुद आरोपित अनिल टुटेजा का बचाव करते पाए गए।

वर्ष 2015 में जब छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे। उस वक्त कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया था कि पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के तहत खराब गुणवत्ता वाले अनाज का वितरण किया जा रहा है। कॉन्ग्रेस ने अधिकारियों पर राइस मिल मालिकों से रिश्वत ले कर घटिया क्वालिटी के चावल खरीदकर बाँटने का आरोप लगाया। छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खाद्यान्न खरीदकर लोगों को राशन बाँटने का काम करती रही है। तात्कालिक भाजपा सरकार ने नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की जाँच शुरू की। मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला समेत 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच भी शुरू की और 2015 में चार्जशीट दायर की गई। तब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा हार जाती है और कॉन्ग्रेस सत्ता में आ जाती है।

घोटाले का मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा अब तक किए गए जाँच पर लगातार सवाल उठा रहे थे। भूपेश बघेल ने सत्ता संभालने के बाद NAN घोटाले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया। ऐसे कई सबूत सामने आए हैं जो यह साबित करते हैं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व्यक्तिगत रूप से मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा का बचाव कर रहे थे। साथ ही बघेल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को घोटाले में फँसाने की कोशिश कर रहे थे। साल 2020 में टुटेजा को जमानत मिल गई और बघेल सरकार ने उन्हें वाणिज्य और उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव (Joint Secretary for Commerce and Industries) और आलोक शुक्ला को शिक्षा और अन्य विभागों का प्रभारी प्रधान सचिव (Principal Secretary in charge of Education and other departments) बना दिया।

साल 2015 में कॉन्ग्रेस ने ही सबसे पहले NAN घोटाले के आरोप लगाए थे। जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी इसमें कॉन्ग्रेस के ही पदाधिकारी फँसते नजर आए। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री बघेल खुद आरोपित अनिल टुटेजा का बचाव करते पाए गए।

ऑपइंडिया को प्राप्त एक्सक्लूसिव व्हाट्सएप चैट से हुआ खुलासा

फरवरी 2020 में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी के दौरान आईपीएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के फोन जब्त कर लिए गए थे। व्हाट्सएप पर टुटेजा के दूसरे अधिकारियों के साथ चैट में विभाग को कई अहम जानकारियाँ मिली हैं। ऑपइंडिया के पास भी यह एक्सक्लूसिव व्हाट्सएप उपलब्ध है। चैट में टुटेजा के एसआरपी कल्लूरी, इंदिरा कल्याण एलेसेला, जीपी सिंह और आरिफ शेख जैसे अधिकारियों के साथ की गई बातचीत उपलब्ध है। चैट में उपलब्ध बातचीत से यह साफ हो गया है कि अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के इशारे पर राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली का जमकर दुरुपयोग किया गया। व्हाट्सएप चैट से यह भी स्पष्ट होता है कि कैसे राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी NAN घोटाले के मुख्य अभियुक्तों के सहायक बनकर रह गए हैं। चैट से पता चलता है कि राज्य के अधिकारी, आरोपित टुटेजा के साथ मिलकर उनके केस को कमजोर करने और उनके विरोधियों पर मुकदमा दर्ज कराने की साजिश रच रहे थे।

राज्य के एक प्रमुख आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह द्वारा दिए गए शपथ पत्र और अनिल टुटेजा के साथ हुई व्हाट्सएप चैट से भी मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जानकारी के मुताबिक अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अन्य बड़े पुलिस अधिकारियों और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलकर राजनीतिक विरोधियों की एक हिटलिस्ट तैयार की थी। मुख्यमंत्री बघेल न सिर्फ टुटेजा की मदद कर रहे थे बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनके परिवार के लोगों, पूर्व प्रमुख सचीव अमन सिंह उनकी पत्नी यास्मीन सिंह, पूर्व डीजी (पुलिस) मुकेश गुप्ता, अशोक चतुर्वेदी और चिंतामणि चंद्राकर जैसे अधिकारियों को भी फँसाने की कोशिश कर रहे थे।

व्हाट्सएप चैट से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक राज्य के पुलिस महानिदेशक ने अनिल टुटेजा के बेटे को पुलिस विभाग में तबादलों और पोस्टिंग जैसे निर्णयों में शामिल होने दिया। इतना ही नहीं पुलिस विभाग में अधिकारियों के तबादले, पोस्टिंग और निलंबन इस तरह किए गए कि इसका फायदा अनिल टुटेजा को मिले। इसके अलावा NAN घोटाला मामले में अभियोजन पक्ष (prosecution) और जाँच एजेंसी की हर रणनीति या तो अनिल टुटेजा तय करते या उनके बेटे यश टुटेजा। कुल मिलाकर कहें तो व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि एसआरपी कल्लूरी, कल्याण एलेसेला, जीपी सिंह, डीएम अवस्थी (उस वक्त के डीजीपी) और आरिफ शेख जैसे अधिकारी अनिल टुटेजा के इशारों पर नाच रहे थे।

चैट से पता चलता है कि किस तरह छोटे-छोटे एहसानों के बदले आईपीएस अधिकारी इंदिरा कल्याण एलेसेला हाई कोर्ट में मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा द्वारा संशोधित और प्रभावित की गई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर रहे थे। चैट से यह भी पता चलता है कि EOW/ACB के प्रमुख के रूप में कल्लूरी की जगह लेने वाले एडीजी जीपी सिंह न सिर्फ आरोपित अनिल टुटेजा के हितों का ध्यान रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रस्तावित आदेश का मसौदा तैयार कर रहे थे, बल्कि अनिल टुटेजा के हवाला ऑपरेटर के रूप में भी काम कर रहे थे।

मजे की बात यह है कि जिस जीपी सिंह को NAN मामले में अनिल टुटेजा का साथ देने और जाँच की दिशा बदलने में मदद करने व मुकेश गुप्ता और अमन सिंह जैसे अधिकारियों के खिलाफ खड़े होने के लिए एडीजी रैंक पर पदोन्नति दी गई। उन्हीं जीपी सिंह को छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा न सिर्फ निलंबित किया गया बल्कि कई एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार भी कर लिया गया। जीपी सिंह ने अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा है कि उनपर इसलिए कार्रवाई की जा रही है क्योंकि वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दी गई राजनीतिक हिटलिस्ट को निशाना बनाने में विफल रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की तरफ से उन्हें रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह, उनके बेटे अभिषेक सिंह, पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह व उनकी पत्नी यास्मीन सिंह, मुकेश गुप्ता, पुनीत गुप्ता, अशोक चतुर्वेदी और चिंतामणि चंद्राकर जैसे लोगों को घोटाले में फँसाने के लिए कहा गया था। यह आरोप इसलिए भी प्रसांगिक है क्योंकि जब जीपी सिंह ईओडब्ल्यू के प्रभारी थे तब मुकेश गुप्ता, अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ अनिल टुटेजा की मिलीभगत से एफआईआर दर्ज की गई थी। जैसा कि व्हाट्सएप रिकॉर्ड से स्पष्ट हो रहा है।

18 नवंबर 2021 की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने हाईकोर्ट द्वारा NAN घोटाले में अभियुक्त आईएएस अनिल टुटेजा को अग्रीम जमानत दिए जाने का विरोध किया था। टुटेजा की जमानत का विरोध कर रहे ईडी की तरफ से दी गई अर्जी से भी इस बात का पता चलता है कि कैसे टुटेजा राज्य सरकार और दूसरे अधिकारियों के साथ मिलकर जाँच को प्रभावित कर रहे थे।

आईटी विभाग द्वारा जब्त व्हाट्सएप चैट से खुलासा हुआ है कि मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, आर्थिक अपराध शाखा (EOW) व एंटी करप्शन ब्योरो (ACB) के नए चीफ और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ कानून अधिकारी इन सब की मिलीभगत चल रही थी। मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप कर एसआईटी की रिपोर्ट अपने अनुकूल बनवाया। इधर गवाहों को धमका कर भ्रष्टाचार के केस को कमजोर कर दिया गया।

व्हाट्सएप संदेशों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि किस तरह एक केस को प्रभावित करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग हुआ। सबूतों के साथ छेड़-छाड़ किया गया और गवाहों को प्रभावित करने के लिए साजिश रची गई जिसमें संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारी भी शामिल हैं।

प्रवर्तन निदेशालय ने ट्रांसक्रिप्ट (व्हाट्सएप चैट) की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश किया। ऑपइंडिया का मानना है कि उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों के भ्रष्ट गठजोड़ को छिपाने वाला गोपनीयता का पर्दा जनता के हित में नहीं है और इस तरह के पर्दे का फायदा अनिल टुटेजा जैसे अधिकारी उठाते हैं। जैसे NAN मामले में आरोपित आईपीएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,अन्य नेताओं और दूसरे भ्रष्ट अधिकारियों की सहायता से राज्य के न्याय व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया को रौंद दिया।

ऑपइंडिया को प्राप्त चैट से साबित होता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के इशारे पर कॉन्ग्रेस सरकार के पदाधिकारी डॉक्टर रमन सिंह और उनकी पत्नी को फँसाने के लिए सबूत गढ़ रहे थे और गवाहों को धमका रहे थे। चैट से यह भी पता चलता है कि आरोपित होने के बाद भी अनिल टुटेजा NAN जाँच के प्रमुख के रूप में काम कर रहे थे, इतना ही नहीं वे आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण, पदोन्नति और महत्वपूर्ण फैसलों को भी प्रभावित कर रहे थे जिनसे केस पर असर पड़ रहा था। चैट से पता चलता है कि उनकी सहायता न करने वाले अधिकारियों को दंडात्मक पोस्टिंग दी जा रही थी। कुछ को झूठे मामलों में फँसाया जा रहा था।

आरोपितों के जमानत से पहले हाईकोर्ट जज से मिले थे सीएम बघेल – ईडी, व्हाट्सएप चैट से भी हो रही है पुष्टि

19 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ के NAN घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ईडी ने दावा किया कि मुख्य आरोपितों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की राज्य सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ मिली भगत है। जो उन्हें बचाने की कोशिश में लगे हैं। ईडी ने मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की अपील की थी।

रिपोर्ट में हम जिन चैट के हवाले से अपने तथ्य रख रहे हैं उनमें से एक में जीपी सिंह (GP) अनिल टुटेजा (NAN घोटाले के मुख्य आरोपी) से बात कर रहे हैं। चैट में जीपी सिंह, अनिल टुटेजा के खिलाफ मामले में गवाहों के नाम भेज रहे हैं। जीपी सिंह आरोपित टुटेजा से कहते हैं कि “तमरकार” (NAN का कर्मचारी), को बाहर निकाल दिया जाना चाहिए क्योंकि वह चिंतामणि (NAN का एक अन्य कर्मचारी) का समर्थन करता है। इसके आगे, जीपी सिंह टुटेजा से कहते हैं कि चिंतामणि को भी और लात मारने की जरूरत है।

NAN घोटाले की जाँच के दौरान छापेमारी में बरामद डायरी के एक नोट में “सीएम सर” का जिक्र है। उस नोट में “सीएम सर” का अर्थ चिंतामणि (Chinta mani) है। हालाँकि, बाद में यह बात सामने आई कि सीएम बघेल ने गवाहों पर दबाव डालते हुए “सीएम सर” को डॉ. रमन सिंह साबित करने की कोशिश की। (NAN घोटाला रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते सामने आया था ) मुख्यमंत्री बघेल की कशिश थी कि इस सबूत का इस्तेमाल यह साबित करने में किया जाए कि रमन सिंह ने रिश्वत ली थी।

दिलचस्प बात यह है कि इस चैट के कुछ दिनों बाद ही NAN कर्मचारी चिंतामणि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई ताकि उसपर यह स्वीकार करने का दबाव बन सके कि ‘सीएम सर’ वास्तव में डॉ. रमन सिंह थे, न कि वह खुद।

व्हाट्सएप चैट

ईडी का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि मामले के मुख्य आरोपी (टुटेजा) को जमानत मिलने से कुछ दिन पहले हाई कोर्ट के जज ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी। तुषार मेहता ने तत्कालीक सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस अजय रस्तोगी और एस रवींद्र भट की बेंच के सामने यह दावा किया था। ईडी ने आरोपित को बचाने के लिए सीएम भूपेश बघेल और अन्य बड़े पदाधिकारियों की सक्रिय मिलीभगत के सामने आने के बाद ही मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार का पक्ष कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल रख रहे थे।

तुषार मेहता ने अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोर्ट में एक व्हाट्सएप चैट को पढ़ा था। चैट की बातों से सीएम बघेल और हाई कोर्ट के जज के मुलाकात की पुष्टि हो रही थी।

एसजी तुषार मेहता ने कहा- “कृपया इसे देखें – मैं सोच रहा था कि क्या HCM उनके साथ बात कर सकते हैं।” HCM का मतलब माननीय मुख्यमंत्री (Hon’ble Chief Minister) है। “वह HCM से मिले हैं”। यह 11 अक्टूबर 2019 को हुआ और उसके बाद जमानत दी गई। उपरोक्त बातें आरोपित सहआरोपित को बता रहा है। “AG को आवश्यक निर्देश दिए गए। फिर वे एक दूसरे को बधाई देते नजर आए।”

इस टाइमलाइन की पुष्टि उन चैट्स से भी होती है जिन्हें ऑपइंडिया ने प्राप्त किया है। जीपी सिंह (जीपी) ने एटी (अनिल टेटुजा) को मैसेज कर बताया कि आलोक शुक्ला (दूसरे सह आरोपी) को जमानत मिल गई है। जवाब में टेटुजा, जीपी सिंह को बधाई देते हैं। जिससे जीपी सिंह (उस समय EOW के प्रमुख), कॉन्ग्रेस सरकार के पदाधिकारियों, EOW और NAN घोटाले के मुख्य आरोपी के बीच स्पष्ट मिलीभगत के संकेत मिलते हैं।

व्हाट्सएप चैट

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कभी भी हाई कोर्ट के किसी न्यायाधीश से नहीं मिले। मुख्य आरोपित को बचाने के लिए मुख्यमंत्री और राज्य के पदाधिकारियों के बीच कोई मिलीभगत नहीं है। ईडी ने मुख्यमंत्री बघेल, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर जाँच प्रभावित कर NAN घोटाले में अपने सुविधानुसार मसौदा रिपोर्ट लिखवाने जैसे आरोप भी लगाए थे। इन आरोपों को भी कपिल सिब्बल ने खारिज कर दिया।

लेकिन ऑपइंडिया के पास उपलब्ध व्हाट्सएप चैट से ईडी के आरोप सही साबित होते हुए नजर आते हैं। इसी सिलसिले में हम कल्याण एलेसेला और अनिल टुटेजा के बेटे यश टुटेजा के बीच हुई व्हाट्सएप चैट का उल्लेख कर रहे हैं। कल्याण एलेसेला EOW के एसपी थे। उनके समय में ही एसआरपी कल्लूरी, जीपी सिंह और आरिफ शेख EOW के चीफ रहे जिन्होंने रमन सिंह और उनके परिवार के लोगों को घोटाले में घसीटने की कोशिश की। यश टुटेजा, कल्याण एलेसेला को एक ड्राफ्ट (स्टेटस रिपोर्ट) भेजते हुए कह रहे हैं,”इस स्टेटस रिपोर्ट को 3 बजे से पहले भर देना है।” इस पर एलेसेला जवाब देते हैं कि आपको यह रिपोर्ट पहले भेजनी चाहिए थी। कल्लूरी सर (EOW प्रमुख) को भी यह ड्राफ्ट देखनी होगी। इस पर यश कहता है कि कल्लूरी को सिर्फ इनपर हस्ताक्षर करने हैं। यह इंगित करता है कि उच्च न्यायालय में दायर की जाने वाली EOW की स्टेटस रिपोर्ट का मसौदा भी मामले के मुख्य अभियुक्त द्वारा तैयार किया जा रहा था।

व्हाट्सएप चैट

2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में आरोपियों के बीच हुई चौंकाने वाली बातचीत पेश की। मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट को बताया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले के प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने न केवल घोटाले में अपनी भूमिका की जाँच के लिए एसआईटी के गठन में पसंद के ऑफिसर्स की तैनाती करवाई बल्कि अपने खिलाफ मामले को कमजोर करने के लिए मामले की जाँच प्रभावित की और मसौदा रिपोर्ट में बदलाव किया।

इस लेख में अब तक हमने जिन व्हाट्सएप चैट का जिक्र किया है, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि ईडी द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं। ईडी द्वारा कोर्ट को सौंपे गए हजारों पन्नों के दस्तावेज में एक प्रमुख नाम हैं आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह। जीपी सिंह भी रमन सिंह व अन्य को घोटाले में फँसाने की साजिशकर्ताओं में से एक हैं। छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी उस वक्त भी जीपी सिंह के पास अच्छी पोस्टिंग थी। फिर जब कॉन्ग्रेस सत्ता में आई तो उन्हें आर्थिक अपराध शाखा (EOW) का प्रमुख बना दिया गया। लेकिन जब जीपी सिंह पूर्व सीएम रमन सिंह, मुकेश गुप्ता, अमन सिंह और अन्य लोगों के नाम NAN घोटाले से नहीं जोड़ सके तो उन्हें इसकी सजा भी दी गई। जीपी सिंह को बाद में पोस्ट से हटा दिया गया। कथित तौर पर कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा उनपर झूठे मामले दर्ज करा दिए गए।

आपको बता दें मुकेश गुप्ता और अमन सिंह दो ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं जिन्हें भूपेंद्र बघेल की कॉन्ग्रेस सरकार, डॉ. रमन सिंह के साथ NAN घोटाले में फँसाने की कोशिश कर रही है। जब राज्य में भाजपा की सरकार थी और रमन सिंह मुख्यमंत्री थे उस वक्त मुकेश गुप्ता EOW के प्रमुख थे और उन्होंने एक अन्य घोटाला मामले में कॉन्ग्रेस नेता भूपेश बघेल के खिलाफ जाँच शुरू की थी। रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते अमन सिंह उनके प्रधान सचिव थे। उनके नाम इस लेख में आगे भी दिखाई देंगे। जिससे यह स्पष्ट हो पाएगा कि कैसे उन्हें सीएम भूपेश बघेल द्वारा झूठा फँसाया जा रहा था।

राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार NAN घोटाले के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराती है। उनका दावा है कि छापेमारी में बरामद एक डायरी में रमन सिंह का जिक्र है उस वक्त वे राज्य के मुख्यमंत्री थे। उधर जीपी सिंह का दावा है कि उन्हें भूपेश बघेल ने NAN घोटाले में रमन सिंह, उनके परिवार के लोगों और सहयोगियों को फँसाने के लिए कहा था, जब उन्होंने इनकार कर दिया तो उनपर देशद्रोह और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज करा दिए गए। ऑपइंडिया द्वारा प्राप्त चैट्स में जीपी सिंह द्वारा मुख्य आरोपी टुटेजा को बचाने और रमन सिंह को फँसाने के लिए की गई कोशिशों का पता चलता है।

कोर्ट में जीपी सिंह की तरफ से दी गई याचिका और सीएम भूपेश बघेल द्वारा जीपी सिंह को दी गई “हिटलिस्ट”

22 दिसंबर, 2022 को जीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह जानकारी दी कि किस तरह उन्हें टुटेजा को बचाने और भाजपा नेता को फँसाने के लिए दबाव बनाया गया। ऑपइंडिया के पास उपलब्ध इस याचिका में जीपी सिंह ने अदालत को बताया कि 14 सितंबर, 2019 को उन्हें रात के अंधेरे में मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) के आवास पर बुलाया गया था। इस दौरान NAN घोटाला में प्राप्त सबूतों के आधार पर उन्हें रमन सिंह को फँसाने के निर्देश दिए गए। उनसे कहा गया कि छापेमारी में बरामद डायरी में जिस सीएम सर और सीएम मैडम का उल्लेख है उनका इस्तेमाल रमन सिंह के खिलफ करें। जीपी सिंह ने भूपेश बघेल से कहा कि सीएम सर और सीएम मैडम का अर्थ यहाँ उस वक्त के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि NAN में तैनात एक अधिकारी चिंता मणि चंद्राकर है। भूपेश बघेल ने जीपी सिंह को NAN घोटाला मामले में शिव शंकर भट्ट (कर्मचारी) का बयान लेने के लिए कहा। यह शख्स कॉन्ग्रेस सरकार की कृपा से जेल से बाहर आया था।

बकौल जीपी सिंह उनसे कहा गया कि वे शंकर भट्ट का स्टेटमेंट लें। शंकर भट्ट यह स्वीकार करेंगे कि डायरी में उल्लेखित सीएम सर, रमन सिंह के लिए लिखा गया है। भट्ट यह स्टेटमेंट देगा क्योंकि उसे बेल दिलाने में सरकार ने मदद की है। इस पर जीपी सिंह ने कहा कि कानूनन यह सही नहीं होगा। इसके बाद भूपेश बघेल के दबाव में उनसे हलफनामा तैयार करवाया। इस हलफनामें में लिखा गया कि “सीएम सर” का उल्लेख रमन सिंह के लिए ही किया गया है।

जीपी सिंह और सीएम बघेल के बीच आधी रात को हुई बैठक के खत्म होने से पहले जीपी सिंह से NAN घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा को जाँच में हुई प्रगति के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था। इसके बाद भी टुटेजा ने जाँच के अपडेट्स और दूसरे कार्यों के लिए उनसे संपर्क किया। टुटेजा ने भी इस बात पर जोर दिया कि तात्कालीन सीएम रमन सिंह और भाजपा सरकार के पदाधिकारियों को NAN घोटाले में फँसाया जाना चाहिए।

जीपी सिंह का कहना है कि 10 मई, 2020 को उन्हें सीएम भूपेश बघेल के साथ एक निजी बैठक के लिए फिर से बुलाया गया। इस बैठक के दौरान उन्हें एक बार फिर भाजपा नेता रमन सिंह और उनकी पत्नी को NAN घोटाले में फँसाने के निर्देश दिए गए। उन्हें मीडिया के सामने डॉ. रमन सिंह और वीणा सिंह को दोषी ठहराने वाले बयान देने के लिए कहा गया। उनपर जल्दी से जल्दी जाँच खत्म करने का भी दबाव बनाया गया।

जीपी सिंह ने जिस “राजनीतिक हिटलिस्ट” का जिक्र किया था, उसे याचिका के साथ संलग्न कर कोर्ट में जमा कराया गया है।

जीपी सिंह द्वारा प्रस्तुत हिटलिस्ट

याचिका में आगे कहा गया है कि सीएम भूपेश बघेल की उम्मीदों पर खड़ा न उतरने के कारण कुछ ही हफ्तों में उनका तबादला हो गया। याचिका में उन्होंने इसे दंडात्मक तबादला (punishment posting) कहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रमुख सचीव रहे अमन सिंह को फँसाने की कोशिश

सीएम भूपेश बघेल ने EOW के तत्कालीन प्रमुख जीपी सिंह को एक हिटलिस्ट सौंपा था। जीपी सिंह उस वक्त अनिल टुटेजा के साथ मिलकर भूपेश बघेल के इशारे पर काम कर रहे थे। बघेल द्वारा सौंपे गए हिटलिस्ट में अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह का नाम प्रमुख था। ऑपइंडिया द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि जीपी सिंह और अनिल टुटेजा ने मिलकर अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ मनगढ़ंत मामला दर्ज कराया था। अदालत में जीपी सिंह द्वारा किए गए खुलासे से स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ही जीपी सिंह को अमन सिंह और उनकी पत्नी को फँसाने का निर्देश दिया था। दस्तावेजों में आगे अनिल टुटेजा को केस से निकालने के लिए अधिकारियों के मिलीभगत का जिक्र किया गया है।

सत्ता परिवर्तन के बाद निशाने पर मुख्यतः पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उनके प्रधान सचिव अमन कुमार सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह थी। चैट से पता चलता है कि EOW की तरफ से अमन सिंह और यास्मीन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जाँच की जा रही थी। EOW चीफ और अनिल टुटेजा के बीच व्हाट्सएप चैट से स्पष्ट है कि अमन सिंह और उनकी पत्नी को सबक सिखाने के लिए साजिश की जा रही थी। टुटेजा EOW चीफ के हैंडलर की तरह काम कर रहे थे।

व्हाट्सएप चैट में की गई बातों के अनुसार आय से अधिक संपत्ति के मामले में अमन सिंह और यास्मीन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी संख्या 09/2020 दर्ज कराई गई। तीन प्राथमिक चैट हैं जो अमन सिंह और उनकी पत्नी को फँसाने की साजिश का खुलासा करती हैं। उदाहरण के तौर पर एक चैट जो 14 जनवरी 2020 की है। इसमें जीपी सिंह, अनिल टुटेजा से कह रहे हैं कि एजेंसियों को निर्देश दिया जाए कि वे EOW को जानकारी उपलब्ध कराएँ। यहाँ यह पूछना उचित होगा कि एडीजी NAN घोटाले के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा को EOW से सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश क्यों दिए जा रहे थे और कैसे कॉन्ग्रेस की सरकार में टुटेजा ने इतनी ताकत का इस्तेमाल किया।

व्हाट्सएप चैट

21 अक्टूबर, 2019 को जीपी सिंह और टुटेजा के बीच उपरोक्त चैट से पहले जीपी सिंह ने अनिल टुटेजा को दो दस्तावेज भेजे थे।

व्हाट्सएप चैट

इन संलग्न दस्तावेजों के अध्ययन से पता चलता है कि जीपी सिंह भ्रष्टाचार निवारण के तहत जाँच की स्वीकृति के लिए पत्र भेज रहे थे। पत्र एसपी द्वारा जीएडी को भेजा गया था। जिस दिन यह अनुरोध जीएडी को भेजा गया था उसी दिन इस पत्र को जीपी सिंह ने अनिल टुटेजा को भेज दिया था।

यहाँ चैट में अटैचमेंट की एक तस्वीर है, जिसे अनिल टुटेजा को भेजा गया था।

व्हाट्सएप चैट से भेजा गया अटैचमेंट

एक और दस्तावेज था जो जीपी सिंह ने अनिल टुटेजा को भेजा था, यह उस जानकारी की एक आंतरिक जाँच सूची थी जिसे EOW, GAD से प्राप्त करना चाहते थे। यह चेकलिस्ट EOW डिपार्टमेंट के आंतरिक उद्देश्यों के लिए बनाई गई है। तथ्य यह है कि EOW के प्रमुख इसे NAN मामले के मुख्य आरोपितों को भेज रहे थे जो न केवल अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ रची गई साजिश की कोशिश में मिलीभगत को दर्शा रही हैं बल्कि इससे यह भी स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस सरकार में टुटेजा कितने निरंकुश व शक्तिशाली थे।

व्हाट्सएप चैट से भेजा गया अटैचमेंट

नीचे अमन सिंह से जुड़े चैटिंग का सारांश है।

व्हाट्सएप चैट

अगर इन चैट्स की टाइमलाइन पर गौर करें तो यह समझना आसान होगा कि अदालत में जीपी सिंह ने सीएम बघेल के साथ जिस बैठक का जिक्र किया, वह बैठक 14 सितंबर, 2019 को हुई थी। उसके एक महीने बाद ही जीपी सिंह ने अनिल टुटेजा को अमन सिंह के खिलाफ जाँच की अनुमति का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा। 14 जनवरी, 2020 को जीपी सिंह ने टुटेजा से जीएडी को अमन सिंह और उनकी पत्नी के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया और 20 फरवरी, 2020 को अमन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

इसलिए व्हाट्सएप चैट से दो बातें स्पष्ट हैं, एक अमन सिंह और उनकी पत्नी को सीएम बघेल के इशारे पर गलत तरीके से फँसाया जा रहा है। दूसरा NAN मामले में अनिल टुटेजा के मिलीभगत से उन्हें बचाने की कोशिश हो रही है।

कुछ व्हाट्सएप चैट में डॉ.रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते EOW के प्रमुख रहे मुकेश गुप्ता को फँसाने के लिए कहा गया था

व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि न केवल मुकेश गुप्ता को फँसाने के लिए एक ठोस और निरंतर प्रयास किया गया था, बल्कि ऐसे हर अधिकारी को परेशान किया जा रहा था जो अनिल टुटेजा के साथ सहमत नहीं था। या जो मुकेश गुप्ता को फँसाने में बाधक था। कई अधिकारियों को मुकेश गुप्ता का करीबी होने का इल्जाम लगाते हुए या तो परेशान किया गया या उसका ट्रांसफर कर दिया गया।

व्हाट्सएप चैट
व्हाट्सएप चैट

उपरोक्त दोनों चैट्स से साफ है कि जीपी सिंह अनिल टुटेजा से चर्चा कर रहे हैं कि आईपीएस अधिकारियों को सजा वाली पोस्टिंग दी जानी चाहिए। NAN घोटाले के एक प्रमुख आरोपित अनिल टुटेजा एडीजी के साथ तबादले और पोस्टिंग को प्रभावित कर रहे हैं। उनसे सलाह और अनुमति माँगी जा रही है।

कई अन्य बातचीत भी हैं जो मुकेश गुप्ता को फँसाने के लिए मिलीभगत की ओर इशारा करती हैं। आने वाले समय में फॉलो अप आर्टिकल्स (follow up articles) में इन चैट्स का विश्लेषण किया जाएगा।

हवाला लिंक – जीपी सिंह, जिन्होंने EOW/ACB प्रमुख के रूप में एसआरपी कल्लूरी का स्थान लिया, अनिल टुटेजा के लिए हवाला ऑपरेटर का काम कर रहे थे

इस लेख की शुरुआत में बताया गया था कि कैसे 2015 में ACB द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू की गई थी, जिसके बाद NAN मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।

आयकर विभाग द्वारा अनिल टुटेजा और अन्य के खिलाफ अदालत में दी गई सबमिशन रिपोर्ट विशेष रूप से हवाला लिंक के बारे में बात किया गया है। सबमिशन के पैरा 4 में आयकर विभाग कहता है, “इसके अलावा वॉट्सऐप चैट पर दिनांक 24.10.2019 को 10 रुपये के 2 नोटों की तस्वीरें भेजीं गईं। इसके बाद आरोपित नंबर 4 ने श्री रावत का नाम और मोबाइल नंबर भेजा। 10 मिनट बाद आरोपित नंबर 1 ने टैंगो के नाम से मैसेज भेजा। इसके बाद आरोपित नं. 1 ने 10 रुपये के नोट की 2 और तस्वीरें भेजीं, इसके बाद श्री ढेबर ने 20 रुपये के नोट की तस्वीरें भेजीं। इसके अलावा, आरोपी नंबर 4 द्वारा 24-10-19 को सूचित किए गए नोट विवरण को आगे श्री जीपी सिंह को सूचित किया गया था। उक्त चैट को लेकर आरोपित संख्या 1 से आईटी अधिनियम, 1961 की धारा 131 (ए) दिनांक 8-10-2020 के बयान के दौरान सवाल पूछा गया। आरोपी नं.1 ने अपने द्वारा किए गए हवाला लेनदेन का जवाब देने से बचने की कोशिश की…”

यह चैट व्हाट्सएप पर हुई बातचीत का एक हिस्सा है जो ऑपइंडिया के पास उपलब्ध है।

व्हाट्सएप चैट

इसमें जीपी सिंह 10 रुपये का नोट अनिल टुटेजा को भेजते हैं और टुटेजा फिर ऑपरेटर रावत का नाम जीपी को भेजते हैं। दिलचस्प बात यह है कि जीपी जानते हैं कि हवाला ऑपरेशन के रूप में यह पकड़ा जा सकता है और फिर टुटेजा को पिछले वाले मैसेज हटाने के लिए कहते हैं। जीपी का कहना है कि लेन-देन के लिए तारीख तय होती थी। इसलिए यह स्पष्ट है कि एडीजी NAN घोटाले के मुख्य आरोपित अनिल टुटेजा के लिए हवाला ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे थे। जिसे सीएम भूपेश बघेल और अन्य लोग बचाने की कोशिश कर रहे थे।

इनकम टैक्स की दलीलों में कहा गया है कि जीपी सिंह ने अनिल टुटेजा के कहने पर समीर गोयल से हवाला के जरिए 1 करोड़ रुपये लिए थे।

अब तक सामने आई चैट से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं-

1-कॉन्ग्रेस सरकार NAN मामले के मुख्य आरोपित को बचाने की कोशिश कर रही है

2-कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आईपीएस अधिकारियों और अनिल टुटेजा के साथ मिलकर डॉ. रमन सिंह और अन्य को NAN घोटाले में फँसाने की साजिश कर रहे थे

3-अनिल टुटेजा के लिए हवाला संचालकों के रूप में काम करने वाले राज्य के अधिकारी बड़े पैमाने पर हवाला लेनदेन करते थे

4-अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा राज्य में इतने शक्तिशाली हैं कि वे न केवल अपने खिलाफ जारी जाँच को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि अधिकारियों के तबादलों और निलंबन को भी प्रभावित कर सकते हैं। जो भूपेश बघेल के समर्थन के बिना संभव नहीं है।

5-मनगढ़ंत सबूतों के साथ जाँच की दिशा को बदली जा रही है। गवाहों को धमकाया और खरीदा जा रहा है।

6-न्यायपालिका में भी ऐसे तत्व हैं जो अपने कर्तव्य से समझौता कर रहे हैं और अनिल टुटेजा को बचाने की साजिश का हिस्सा हैं

हजारों करोड़ रुपये के NAN घोटाले में कॉन्ग्रेस ने लगातार डॉ. रमन सिंह को फँसाने की कोशिश की। लेकिन ऑपइंडिया को प्राप्त इन व्हाट्सएप चैट का विश्लेषण कुछ और ही कहानी कहता है। बाद के लेखों में हम इनसे और तथ्य जुटाने की कोशिश करेंगे। यह स्पष्ट है कि रमन सिंह, मुकेश गुप्ता और अमन सिंह को कॉन्ग्रेस की सरकार द्वारा फँसाने की कोशिश की जा रही है और मुख्य आरोपित को बचाया जा रहा है।

ऑपइंडिया का मानना है कि लोकतंत्र में नागरिकों को अपने सार्वजनिक पदाधिकारियों द्वारा किए गए प्रत्येक सार्वजनिक कार्य को जानने का अधिकार है। लोग सार्वजनिक पदाधिकारियों के हर भ्रष्ट लेन-देन का विवरण जानने के हकदार हैं और इसलिए ऑपइंडिया के पास उपलब्ध व्हाट्सएप चैट के स्क्रीन शॉट्स यहाँ अपलोड किए गए हैं।

https://drive.google.com/drive/folders/1KqlOtQ-1ty2eyghcUlg0FJ8rmkGYBpqm?usp=sharing

नोट: नुपूर शर्मा की यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। इसे आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। इसका अनुवाद राजन झा ने किया है।

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