कॉन्ग्रेस की राजनीति अब सिर्फ़ विरोध पर टिकी है। पार्टी का सरोकार न नैतिकता से रहा है और न ही जनता के हित से। साल पहले भी स्थितियाँ यही दिखा रही थीं। आज भी यही कह रही हैं। एक ओर गणतंत्र दिवस जैसे पावन अवसर पर जहाँ पूरी दिल्ली का माहौल खराब कर उपद्रवी राजधानी में घुस आए हैं। कोने-कोने में हल्ला काट रहे हैं। पुलिस पर तलवार भाँज रहे हैं। उस समय कॉन्ग्रेस ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है कि गणतंत्र की शक्ति को हल्के में मत लो।
Never underestimate the power of a republic.#RepublicDay#IndiaWithFarmers pic.twitter.com/S82ULiakBs
— Congress (@INCIndia) January 26, 2021
सबसे दिलचस्प बात यह है कि किसानों के उपद्रव की तस्वीरें सिर्फ़ ऑपइंडिया ने नहीं देखी हैं। इन्हें पूरा देश देख रहा है। हर मीडिया चैनल इसे अलग-अलग एंगल से कवर कर रहा है। बावजूद इसके कॉन्ग्रेस एक बढ़िया क्वालिटी से कैप्चर की गई ट्रैक्ट्रर की तस्वीर शेयर करके ये दर्शा रही है कि किसान सैंकड़ों ट्रैकट्रों के साथ किस तरह पंक्तिबद्ध होकर हाथ में झंडा लेकर मार्च निकाल रहे हैं।
इस हरकत को यदि घटिया राजनीति का उत्तम उदाहरण न समझा जाए तो फिर क्या समझा जाए! ऐसे वक्त में ऐसा पोस्ट करने के दो ही मतलब हैं कि या तो कॉन्ग्रेस मानती ही नहीं है कि वह कल तक जिस किसान आंदोलन के प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े होने के दावे कर रही थी, वो अब दिल्ली की सार्वजनिक संपत्तियों को तबाह कर रहे है। पुलिस की जान लेने पर आमादा हैं। या फिर ये उनके प्रोटोकॉल में नहीं है कि वो निम्न क्वालिटी वाली उन तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया हैंडल से शेयर करें जिसमें साफ दिख रहा है कि कैसे लाठी, डंडो सहित हिंसा को अंजाम दिया जा रहा है।
जो तस्वीरें आज दिल्ली के कई कोनों से देखने को मिल रही हैं। उसका थोड़ा साभार कॉन्ग्रेस के हिस्से में भी जाना चाहिए। जिस तरह पिछले दिनों उन्होंने इस आंदोलन की आग में घी डालने का काम किया। उसी का नतीजा है कि राजधानी में एक बार फिर पुलिस न्याय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।
अब गौर दीजिए, एक ओर कॉन्ग्रेस का आधिकारिक अकॉउंट है जिसमें इस उपद्रव की निंदा करने तक की हिम्मत नहीं है। दूसरी ओर इसी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी हैं जो इस मुद्दे पर ‘बस सब बोल रहे हैं इसलिए बोलना है’ की तर्ज पर ट्वीट करते हैं। मगर यह नहीं लिख पाते कि प्रदर्शन के नाम पर हो रही हिंसा किस हद तक देश की छवि को मलिन कर रही है और इससे स्पष्ट तौर पर क्या पता चल रहा है।
हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 26, 2021
देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!
बैलेंस छवि बनाए रखने के लिए राहुल गाँधी लिखते हैं, “हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा।” यहाँ तक आपको लगेगा कि राहुल बाबा सही तो कह रहे हैं आखिर नुकसान देश का ही होगा। लेकिन ट्वीट के आखिर में पढ़िए। जहाँ राहुल ने आज के दिन की सभी घटनाओं को दरकिनार करते हुए सरकार से ये कहना नहीं भूले कि देशहित के लिए कृषि विरोधी कानून वापस लो।
मंथन करिए इस बात पर कि राहुल गाँधी कौन से देश हित बात कर रहे हैं और अपने ट्वीट में वह हिंसा के लिए किसे जिम्मेदार मान रहे हैं? आज पूरा देश सवाल कर रहा है कि दिल्ली में अराजकता पैदा करने वाले ये अन्नदाता कैसे हो सकते हैं? मगर, कॉन्ग्रेस अब भी अपने प्रोपगेंडे को चलाने में ही प्रतिबद्ध है। उन्हें दिल्ली में तमाम क्षतिग्रस्त सार्वजनिक संपत्तियाँ नहीं दिख रहीं। लाल किला पर हुआ प्रदर्शनकारियों का कब्जा नहीं दिख रहा। पुलिसकर्मियों को घेरने वालों की मंशा नहीं दिख रही।
और ये सब क्यों? क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए आज अस्तित्व बचाने का मतलब यही है कि भाजपा के विरोध में उठी हर आवाज का समर्थन करें। चाहे तो वो आवाज कभी कट्टरपंथियों के रूप में जामिया हिंसा और दिल्ली दंगों को अंजाम दे जाएँ। चाहे तो किसान प्रदर्शन के नाम पर खालिस्तानियों की छाप छोड़ जाएँ।