इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद साल 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो- सीबीआई ने कॉन्ग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है। इसमें प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के हवाले से कहा गया है कि टाईटलर ने भीड़ को उकसाया था और दंगों का नेतृत्व किया था।
टाइटलर के खिलाफ 20 मई 2023 को दाखिल किए गए आरोप पत्र में प्रत्यक्षदर्शी के बयान में कहा गया है, “जगदीश टाइटलर ने भीड़ से पहले सिखों को मारने और फिर उनकी दुकानें एवं कीमती सामान लूटने के लिए कहा।” जाँच एजेंसी ने उन पर हत्या, दंगा और अपमान के आरोप में मामला दर्ज किया है।
आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि जगदीश टाइटलर ने दंगाइयों को आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में हुई हत्याओं की तुलना दूसरी जगहों से की और अपने फॉलोअरों से अधिक-से-अधिक सिखों पर हमला करने के लिए कहा।
आरोप पत्र में दर्ज एक प्रत्यक्षदर्शी के बयान में कहा गया है कि कॉन्ग्रेस नेता जगदीश टाइटलर अपनी सफेद एम्बेसडर कार से बाहर निकले और भीड़ को उकसाना शुरू कर दिया और दंगाइयों से दुकानें लूटने के लिए कहा। इस प्रत्यक्षदर्शी की दुकान दंगों में जला दी गई थी। एक गवाह ने भीड़ को पेट्रोल कनस्तर, लाठियाँ, तलवारें और छड़ें ले जाते देखा था।
आरोप पत्र में एक और गवाह का जिक्र किया गया है। गवाह के बयान में कहा गया है कि तत्कालीन सांसद टाइटलर ने दिल्ली के आज़ाद मार्केट में गुरुद्वारा पुल बंगश पर हमले को भी उकसाया था। इसके परिणामस्वरूप भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश को आग लगा दी और 1 नवंबर 1984 को सिख समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी।
टाइटलर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए गुरुद्वारे के सामने मौजूद थे। स्थिति को देखने के बाद बस में सिखों के सह-यात्रियों ने उनसे अपनी पगड़ी उतारने और अपने घर वापस जाने की सलाह दी। आरोपपत्र में एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से कहा गया, “मैंने आपको पूरी तरह आश्वस्त किया था कि आपको कुछ नहीं होगा। आप बस सिखों को मार डालिए।”
आरोप पत्र में मंजीत सिंह जीके द्वारा जाँच एजेंसी को भेजे गए एक पत्र का भी उल्लेख किया गया है। इस पत्र में वीडियो थे, जिनमें टाइटलर के सामने बैठा एक व्यक्ति 100 सिखों की हत्या करने की बात कह रहा है। टाइटलर पर प्रत्यक्षदर्शियों को धमकाने का भी आरोप लगाया। धमकी के बाद गवाह को सीबीआई के सामने अपना बयान बदलना पड़ा।
टाइटलर की आवाज के नमूने सीबीआई ने यह निर्धारित करने के लिए लिए थे कि क्या उनकी आवाज स्टिंग वीडियो में मौजूद आवाज से मेल खाती है। सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।
इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पुल बंगश हत्याओं से संबंधित एक मामले में टाइटलर को शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी।