अपने शासन वाले विभिन्न राज्यों में पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफआईआर कराने वाली कॉन्ग्रेस ने अब फर्स्टपोस्ट को लीगल नोटिस भेजा है। मानहानि के क़ानूनी नोटिस में पार्टी ने आरोप लगाया है कि फर्स्टपोस्ट के लेख न सिर्फ़ उत्तेजक हैं, बल्कि भड़काऊ और समाज में वैमनस्य पैदा करने वाले हैं।
कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मीडिया को सत्ताधारी पार्टी का प्रवक्ता बनने से बचना चाहिए और अपनी लिमिट में रहना चाहिए। उन्होंने फर्स्टपोस्ट को लीगल नोटिस भेजे जाने की सूचना देते हुए ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को टैग किया। इसके बाद लोगों ने कॉन्ग्रेस पार्टी की ख़ासी आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी फ्री स्पीच पर वार कर रही है।
पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने कहा कि ये कॉन्ग्रेस की स्टाइल का ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ है। साथ ही उन्होंने फर्स्टपोस्ट के लिए लिखे गए अपने उस लेख को भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने कॉन्ग्रेस की तुलना एक ऐसे खानदानी अमीर व्यक्ति से की है जो भले ही ग़लत जॉब में घुस गया हो, लेकिन वो पब सर्किट में लोकप्रिय है और सोशल मीडिया पर भले उत्तेजक बातें लिख कर कमेंट कमाता हो, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर उसे अपने फोन में एक अदद नंबर तक ढ़ूँढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
This is freedom of expression, Congress-style 🙂
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) June 22, 2020
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उन्होंने अपने इस लेख में ध्यान दिलाया कि किस तरह राहुल गाँधी ने एक घायल सैनिक के पिता का वीडियो शेयर कर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। बाद में उनकी बेइज्जती तब हो गई जब सैनिक के पिता ने राहुल गाँधी को राजनीति न करने की सलाह दी। उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ बताए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने दिखाया कि किस तरह वो भारत विरोधी पक्ष ले रहे हैं।
हालाँकि, इस विषय में एडिटर्स गिल्ड ने कुछ नहीं कहा है। जब पत्रकार अर्नब गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने 11 घंटे लगातार पूछताछ की थी, तब भी एडिटर्स गिल्ड ने चुप्पी साध ली थी। पश्चिम बंगाल में पत्रकारों पर हमले पर भी गिल्ड चुप ही रहता है। बता दें कि महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस सत्ताधारी पार्टी है। पत्रकार सुधीर चौधरी को मिल रही धमकियों और अमीश देवगन को मिली जान से मारने की धमकियों पर भी गिल्ड चुप रहा था।